Goat's Milk: क्या वाकई बकरी का दूध पीने से बढ़ती हैं प्लेटलेट्स, जानिए क्या है सच
प्लेटलेट्स तो खुद ब खुद बढ़ती हैं बकरी के दूध से नहीं। डेंगू के मरीजों में प्लेटलेट्स बढ़ाने के लिए तमाम तरह की सामग्री का इस्तेमाल। सीरप और टैबलेट ले रहे लोग। बकरी के दूध की बढ़ी डिमांड तो भाव पहुंचा 1500 रुपये लीटर तक।
आगरा, जागरण संवाददाता। पूरे ब्रज में इस समय डेंगू का प्रकोप है। लोग बच्चों या बड़ों को बुखार आने पर डॉक्टर की लिखी गईं दवाओं के साथ बकरी का दूध और पपीते के पत्तों का रस दे रहे हैं। खासतौर पर बकरी के दूध की तो इतनी डिमांड बढ़ गई है कि यहां उसका भाव 1500 रुपये प्रति लीटर तक पहुंच गया है। लेकिन क्या वाकई में बकरी के दूध के सेवन से प्लेटलेट्स बढ़ती हैं, इसका कोई वैज्ञानिक साक्ष्य सामने नहीं है। डॉक्टर्स का कहना है कि प्लेटलेट्स तो खुद ब खुद बुखार आने के सातवें दिन बाद बढ़ने लग जाती हैं।
डेंगू के मरीजों में बुखार आने के तीसरे दिन के बाद प्लेटलेट्स काउंट कम हो रहे हैं, चौथे से छठवें दिन के बीच में प्लेटलेट्स काउंट 20 से 50 हजार तक पहुंच रहे हैं। इससे लोग दहशत में आ रहे हैं। कुछ डाक्टर द्वारा पपीते के रस का सीरप और पपीते के पत्ते की टैबलेट दी जा रही हैं। इसके साथ ही बकरी के दूध का सेवन लोग करा रहे हैं। मगर, इससे प्लेटलेट्स काउंट नहीं बढ़ते हैं। डेंगू के मरीजों को तरल पदार्थ का सेवन करने के लिए कहा जाता है, जिससे खून गाढ़ा न हो, प्लेटलेट्स काउंट बढ़ाने के लिए कोई दवा उपलब्ध नहीं है। सरोजनी नायडू मेडिकल कालेज के पैथोलाजी विभाग के डा. हरेंद्र यादव ने बताया कि प्लेटलेट्स हर रोज बनती हैं, सात से 10 दिन (हाफ लाइफ) तक खून में रहती हैं। इसके बाद खत्म हो जाती हैं। डेंगू के मरीजों में तीसरे दिन से प्लेटलेट्स काउंट कम होते हैं और डेंगू की रिपोर्ट आइजीएम सातवें दिन के बाद निगेटिव होते जाती है। इसके साथ ही प्लेटलेट्स काउंट बढ़ने लगते हैं। बकरी के दूध, पपीते के रस, पत्ते की टैबलेट, कीवी सहित अन्य दवा से प्लेटलेट्स काउंट बढ़ने का कोई डाटा नहीं है।
बकरी के दूध से हो सकती है उल्टी
एसएन के मेडिसन विभाग के डा. मनीष बंसल ने बताया कि डेंगू के मरीजों को बकरी का दूध दिया जा रहा है। इससे गेस्ट्राइटिस होती है। बकरी का दूध पीने के बाद उल्टी आ सकती है। डेंगू के मरीजों को बकरी का दूध नहीं देना चाहिए।
बकरी पालकों ने उठाया मौके का लाभ
इस समय आगरा के अस्पताल मरीजों से भरे हुए हैं। हालत ये है कि तमाम जुगाड़ लगाने के बाद बमुश्किल एक बैड मयस्सर हो रहा है। इधर डेंगू के बीच बकरी के दूध से प्लेटलेट्स बढ़ने की बात ने बकरी पालकों को मौका दे दिया। जिस दूध को कोई सालभर में कभी नहीं पूछता, उसको लेने के लिए लोग गांव तक दौड़ लगा रहे हैं। इसी मजबूरी का फायदा बकरी पालक उठा रहे हैं। जहां जिस तरह का मौका लग जाए, उस हिसाब से दूध का दाम वसूल रहे हैं। दो दिन पहले तक बकरी के दूध का भाव 1500 रुपये लीटर तक वसूला जा चुका है।