तंत्र के गण: आगरा की ये संस्था कर रही बेरोजागार, दिव्यांगों को अपने पैरों पर खड़ा
संस्था की मदद से हुनर के मंत्र से रोजगार का सृजन कर बना रहे आत्मनिर्भर। युवाओं को रोजगार परक प्रशिक्षण देकर अपने पैरों पर खड़ा कर रही इमानुअल हास्पिटल एसोसिएशन। इमानुअल हास्पिटल एसोसिएशन का गठन आजादी के बाद हुआ था।
आगरा, अली अब्बास। सदर के देवरी रोड पर नंदपुरा के रहने वाले दिव्यांग सत्यवीर सोनी और उनके दोस्त कमल सिंह जूता कारखाने में काम करते थे। करीब नौ साल पहले दोनों दिव्यांग इमानुअल हास्पिटल एसोसिएशन (ईएचए)संस्था के संपर्क में आए। यहां उनमें दोस्ती हुई। दोनों अपना कारखाना खोलना चाहते थे। इसके लिए उनके पास जरूरी पूंजी नहीं थी। जिससे कि वह मशीनों को लगा सकते। संस्था उनकी मदद को आगे आई, दाे साल पहले जरूरी पूंजी व मशीनों का इंतजाम कराया।
दोनों दोस्तों ने अपनी दिव्यांग पत्नियों के साथ मिलकर देवरी रोड पर जूता कारखाना खोला। जूते बनाने के साथ ही उनकी आनलाइन व आफलाइन बिक्री शुरू कर दी। वर्ष 2020 में कोरोना काल के दौरान लाकडाउन में उन्होंने आनलाइन ट्रेडिंग का काम शुरू कर दिया। वर्तमान में दोनों ने अपने कारखाने में करीब तीन दर्जन लोगाें को रोजगार दे रखा है। जो 15 से 20 हजार रुपये महीने कमा रहे हैं।
ईदगाह कटघर के रहने वाले 70 साल के बुजुर्ग रामबाबू उनकी पत्नी रामश्री के बेटे की पिछले साल कोरोना वायरस संक्रमण से मौत हो गई। बहू और दस साल की नातिन की जिम्मेदारी उनके कंधों पर आ गई। ईदगाह कटघर ही के रहने वाले 45 साल के दिव्यांग मोहम्मद अमन परचूनी की दुकान चलाते थे। जो पिछले साल कोरोना के चलते बंद हो गई थी। पत्नी व तीन बच्चों की जिम्मेदारी उनके कंधों पर थी। आर्थिक तंगी में घिरे परिवारों को संस्था ने परचूनी की दुकान खुलवाईं। इसमें पूरा सामान भरकर दिया, जिससे कि वह आत्मनिर्भर बन सकें। संस्था ने कोराेना काल के बाद आर्थिक संकट में घिरे दर्जनों लोगों को परचूनी की दुकानें खुलवाईं। जिससे कि वह इससे उबर सकें।
दस साल से मुहिम चला रही है संस्था
इमानुअल हास्पिटल एसोसिएशन का गठन आजादी के बाद हुआ था। जिसमें विभिन्न शहरों में एक दर्जन अस्पताल शामिल हैं। संस्था ने ग्रामीण इलाकों में स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराना शुरू किया। वर्ष 2012 में यूपी अर्बन प्रोजेक्ट आगरा और अलीगढ़ में शुरू किया।प्रोजेक्ट मैनेजर राजकुमार ने बताया इसका उद्देश्य शिक्षा, रोजगार व स्वास्थ्य के विषय में युवाओं को जागरूक करना है।जिससे कि वह सरकारी योजनाओं के बारे में जानकारी कर उसका लाभ उठा सकें। इस प्रोजेक्ट के तहत लोगों के कौशल पर काम किया गया। युवाओं को उनकी रूचि के अनुसार को शू मैन्युफैक्चरिंग, होटल मैनेजमेंट, कुक, टेलरिंग, डिजीटल मार्केटिंग, एकाउंटेंसी, ब्यूटी पार्लर आदि का कोर्स प्रशिक्षण दिया गया। जिससे कि वह खुद का रोजगार सृजित कर सकें।
आत्मनिर्भर बन दूसरों को आगे बढ़ने में करते हैं मदद
यूपी अर्बन प्रोजेक्ट के मैनेजर राजकुमार बताते हैं कि संस्था के द्वारा संचालित अस्पताल उसे आर्थिक मदद करते हैं। इसके साथ ही संस्था की मदद से आत्मनिर्भर बनने वाले लोग बड़ी संख्या में उसकी मदद करते हैं। वह दूसरों को आगे बढ़ने के लिए उनकी आर्थिक व तकनीकी मदद करते हैं। राजकुमार बताते हैं, दस साल के दौरान 800 से ज्यादा लोगों को रोजगार परक प्रशिक्षण देकर आत्मनिर्भर बना चुके हैं।