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नहीं थमा लाडि़ली मंदिर की सेवा का विवाद, जानिए अब किस वजह से है रार

कोर्ट ने जिसे नहीं माना उसे सेवा दिलाना चाहता है प्रशासन।मायादेवी पक्ष ने इलाहाबाद कोर्ट से की गुहार।

By Prateek GuptaEdited By: Published: Sat, 20 Apr 2019 10:46 AM (IST)Updated: Sat, 20 Apr 2019 09:53 PM (IST)
नहीं थमा लाडि़ली मंदिर की सेवा का विवाद, जानिए अब किस वजह से है रार
नहीं थमा लाडि़ली मंदिर की सेवा का विवाद, जानिए अब किस वजह से है रार

आगरा, जेएनएन। बरसाना के लाडिली मंदिर में दो पक्षों के बीच सेवा के हक का विवाद थम नहीं रहा है। इस मामले में प्रशासन का रवैया भी संदेहास्पद है। प्रशासन कुछ महीने पहले तक जिस पक्ष को सेवा न देने पर अड़ा था आज उसे ही सेवा दिलाने को दूसरे पक्ष पर दबाव डाल रहा है। यह तब है जबकि उसके पक्ष में कोर्ट ने कोई आदेश भी नहीं दिया है।

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लाडि़ली मंदिर की सेवा गोस्वामी समाज के कई परिवारों में हिस्सेदारी के आधार पर बंटी है। इनमें से यह थे पूर्व सेवायत हरवंशलाल गोस्वामी। उनकी दो पत्नियां थी। यह विवाद उनके ही उत्तराधिकारियों से जुड़ा है। उनकी दो पत्नी गुलाब देवी और मायादेवी में एक की मौत हो गई और दूसरी मायादेवी की छह माह की सेवा आती है। न तो गुलाब देवी की कोई संतान भी और न ही मायादेवी के। विवाद यह है कि कुछ लोग स्वयं को गुलाबदेवी के उत्तराधिकारी बताकर सेवा पाना चाहते हैं, जबकि मायादेवी खुद को वैद्य बताते हुए सेवा पाए हुए हैं। गुलाबदेवी का उत्तराधिकारी बताने वाले कई पक्षकार हैं। इनमें से एक देवेश गोस्वामी का मायादेवी से सिविल कोर्ट छाता में विवाद चल रहा है। एक पक्षकार रासबिहारी गोस्वामी भी हैं। वह खुद को उत्तराधिकारी बताते हुए सेवा पाना चाहता है। उनके साथ गोस्वामी टोला के कुछ अन्य गोस्वामी भी है। उत्तराधिकारी का विवाद पुराना है और हर बार मायादेवी की बारी आने पर विवाद खड़ा होता है। एक बार फिर नवंबर 2018 में देवेश और मायादेवी में विवाद खड़ा हो गया। 12 नवंबर को उपजिलाधिकारी गोवर्धन में दोनों पक्षों के कागजों के आधार पर मायादेवी को वैद्य माना। इस मामले में रासबिहारी पक्ष भी अपना दावा करता रहा जिसे प्रशासन ने सुनने से ही इंकार कर दिया। इस पर रासबिहारी पुत्र गोङ्क्षवदराम और कन्हैयालाल पुत्र सुरेश चंद ने 11 मार्च 19 को हाइकोर्ट में रिट डाली। इसमें शपथपत्र देते हुए कहा कि वह छाता सिविल कोर्ट में चल रहे विवाद में पक्षकार है लेकिन उन्हें सुना नहीं जा रहा है। इस पर हाइकोर्ट ने 25 मार्च को सिविल कोर्ट छाता को तीन सप्ताह में निस्तारण करने के निर्देश दिए। इस आदेश में कहीं भी मायादेवी की सेवा के अधिकार पर कोई टिप्पणी नहीं की गई। मगर, इसी आधार पर अब प्रशासन मायादेवी पक्ष पर रासबिहारी पक्ष को सेवा देने को कह रहा है, जबकि रासबिहारी मामले में पक्षकार हैं या नहीं इसका भी अभी किसी कोर्ट में फैसला नहीं हुआ है।

इनका क्‍या है कहना

सिविल कोर्ट छाता में पक्षकार होने के लिए आवेेदन किया है। इस पर अभी फैसला आना बाकी है।

- रासबिहारी

दूसरे पक्ष के लोगों की ओर से प्रशासन उनके पक्ष पर सेवा दूसरे को सौंपने को दबाव बना रहा है। 13 अप्रैल को रासबिहारी के साथ 20 लोगों ने मंदिर का गेट तोडऩे का प्रयास किया। इसकी शिकायत इलाहाबाद हाइकोर्ट को भेजी गई है।

- गोकुलेश कटारा, मायदेवी पक्ष के वकील 


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