नीले खेमे में सुलग रही रार की चिंगारी, खुलकर दिख रहा मतभेद, बैठक में भी हुआ हंगामा
पश्चिमी उत्तर प्रदेश के प्रभारियों के बीच पार्टी पदाधिकारियों के मतभेद खुलकर सामने आए।
आगरा, जागरण संवाददाता। लोकसभा चुनाव में आगरा और फतेहपुर सीकरी की दोनों सीटें हारने के बाद आगरा में बसपा की पहली बैठक हुई। पश्चिमी उत्तर प्रदेश के प्रभारियों के बीच पार्टी पदाधिकारियों के मतभेद खुलकर सामने आए। आगरा लोकसभा से पार्टी के प्रत्याशी रहे मनोज सोनी पर भी संगठन में मतभेद का आरोप लगाया। संगठन में महत्वपूर्ण स्थान पाए पदाधिकारियों के खिलाफ भी मोर्चा खोल दिया। किसी तरह वरिष्ठों ने समझाकर शांत किया।
कालिंदी विहार स्थित बसपा के मंडलीय कार्यालय में नगीना से सांसद और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के प्रभारी गिरीश चंद्र, शमसुद्दीन राइन, पूर्व मंत्री राजकुमार गौतम, कमल सिंह ने बसपा के पदाधिकारियों की बैठक ली। बैठक शुरू होते ही हंगामा भी होने लगा। दरअसल, पहले जिला संयोजक रह चुके विक्रम सिंह को तीन जून को दिल्ली में हुई बैठक में बसपा मुखिया ने जिलाध्यक्ष बनाया था, लेकिन दो दिन बाद ही उन्हें हटाकर कोऑर्डिनेटर संतोष आनंद को जिलाध्यक्ष बना दिया गया। इस पर विक्रम सिंह के समर्थकों ने हंगामा शुरू किया। निशाने पर लोकसभा चुनाव में प्रत्याशी रहे मनोज सोनी थे। समर्थकों की हां में हां मिलाते हुए धर्मवीर पार्षद, मलखान सिंह आदि ने भी संगठन में हस्तक्षेप पर आपत्ति की। प्रभारियों के सामने साफ कहा कि मनोज सोनी कहते हैं कि वह संगठन अपने हिसाब से चलाएंगे। उनके चुनाव लडऩे के दौरान कई लोगों को पार्टी से बाहर कर दिया गया, तो कई लोगों से पद छीन लिए गए। ऐसे में संगठन में विरोध शुरू हो गया है। आपसी मतभेद से संगठन कमजोर होगा। नए जिलाध्यक्ष संतोष आनंद, ओपी बघेल और देवी सिंह पर भी निशाना साधा गया। माहौल गरमाता देख प्रभारियों को हस्तक्षेप करना पड़ा। कहा कि इस मामले से पार्टी नेतृत्व को अवगत कराया जाएगा। तब जाकर कहीं मामला शांत हो सका।
क्या कहते हैं प्रभारी
बैठक में पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं ने अपनी बात रखी है। नेतृत्व को अवगत कराया जाएगा, जो भी अच्छा काम करेगा, संगठन में उसे महत्वपूर्ण जिम्मेदारी मिलेगी।
गिरीश चंद्र, सांसद व प्रभारी पश्चिमी उत्तर प्रदेश।
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