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दिल की आस्था से निकला अनुशासन का रास्ता

स्वामीबाग में चल रहे द्विशताब्दी समारोह में अब तक पहुंच चुके हैं 20 हजार लोग। राधास्वामी-राधास्वामी करते हुए जिम्मेदारी निभा रहे हैं सभी।

By JagranEdited By: Published: Sat, 01 Sep 2018 02:07 PM (IST)Updated: Sat, 01 Sep 2018 02:07 PM (IST)
दिल की आस्था से निकला अनुशासन का रास्ता
दिल की आस्था से निकला अनुशासन का रास्ता

आगरा(जेएनएन): जब दिल में आस्था होती है, तो अनुशासन, संयम और विवेक खुद-ब-खुद आ जाता है। स्वामीजी महाराज के द्वि-शताब्दी समारोह में यही देखने को मिल रहा है। महोत्सव में शामिल होने के लिए 20 हजार से अधिक सत्संगी स्वामीबाग पहुंच चुके हैं लेकिन इतनी भीड़ के बाद भी सब कुछ व्यवस्थित नजर आ रहा है। अनुशासन, सेवा और प्रीत का अनुपम मिलन देखने को मिल रहा है।

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शुक्रवार दोपहर स्वामीबाग से बाहर वाहनों की चहलपहल, तेज आवाज, भागदौड़ में लगे लोग और आपाधापी की स्थिति थी। जैसे ही कदम स्वामीबाग की चहारदीवारी में रखा, तो लगा मानो एक दूसरे ही संसार में आ गए हों। ना कोई भागमभाग, न शोर, न ही काम निपटाने की जल्दी। सब कुछ एकदम व्यवस्थित। सभी को पता है कि उसे क्या करना है? कैसे करना है, कब करना है? इसलिए सेवा में लगे लोग मुस्कुराते हुए सेवा कर रहे थे। खाना बनाने से लेकर भंडारे में श्रद्धालुओं को भोजन करा रहे सत्संगी मुस्कुराते हुए स्वयं को सौंपी गई सेवा को अंजाम दे रहे थे। राधास्वामी-राधास्वामी करते हुए सभी अपनी जिम्मेदारी निभा रहे थे। सुरक्षा व्यवस्था संभाल रहे सत्संगी: आयोजन में स्वामीबाग में सुरक्षा की जिम्मेदारी भी सत्संगियों को ही सौंपी गई है। वह दो-दो घटे की शिफ्ट में सेवा देते हैं। उनका साथ देने के लिए प्राइवेट सिक्योरिटी लगाई गई है। अलग हैं नियम-कायदे: स्वामीबाग के नियम-कायदे अलग हैं, जो यहा आने वाले सभी सत्संगियों को पहले से पता हैं। ज्यादा शोरशराबा और प्रचार नहीं किया जाता। किसी को आने या सत्संग के लिए जोर नहीं दिया जाता, जो अपने स्वेच्छा और अंतरआत्मा की आवाज सुनकर यहा आता है, उसका स्वागत किया जाता है।

ऐसे होती है व्यवस्था: गुजरात से आए सत्संगी दिनेश पटेल ने बताया कि महोत्सव की व्यवस्थाएं एक साल पहले से ही तय होना शुरू हो गई थीं। पूरे देश से सत्संगियों ने अपने नाम सेवा के लिए भेजे और यहा से उन्हें जिम्मेदारी दी गई। सभी को मैसेज कर बताया गया कि उन्हें क्या सेवा करनी है और कब-कब जिम्मेदारी संभालनी है? इसलिए कोई भी हड़बड़ी नहीं है। सभी तय समय पर अपनी जिम्मेदारी पूरी करने को उपलब्ध रहते हैं और मालिक के काम को आगे बढ़ाते हैं।


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