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न करें भराेसा, रात में सो जाते हैं पुलिस के डिजिटल मुखबिर Agra News

शार्ट सर्किट की आशंका के चलते व्यापारी बंद कर देते हैं कैमरे। आगरा के 42 थानों में लगे 72 सीसीटीवी कैमरों में 20 खराब।

By Tanu GuptaEdited By: Published: Fri, 19 Jul 2019 05:06 PM (IST)Updated: Fri, 19 Jul 2019 05:06 PM (IST)
न करें भराेसा, रात में सो जाते हैं पुलिस के डिजिटल मुखबिर Agra News
न करें भराेसा, रात में सो जाते हैं पुलिस के डिजिटल मुखबिर Agra News

आगरा, अली अब्बास। पुलिस का परंपरागत मुखबिर तंत्र टूट चुका है, लेकिन अब इनकी जगह सीसीटीवी कैमरों ने ले ली है। कोई भी वारदात होते ही पुलिस सबसे पहले संबंधित क्षेत्र के सीसीटीवी कैमरों में सुराग तलाशती है। अतीत में इन्हीं डिजिटल मुखबिरों से मिले सुराग के चलते पुलिस ने कई अहम केस सुलझाएं हैं, लेकिन इन मुखबिरों को हर समय सतर्क रखने के लिए पुलिस के पास कोई आधारभूत ढांचा नहीं है। हालत यह है कि जहां थानों पर ही लगे सीसीटीवी कैमरे खराब हैं तो शहर के प्रमुख बाजारों और कालोनियों में निजी संसाधनों से लगवाए गए सीसीटीवी कैमरों में से बड़ी संख्या में खराब पड़े हैं।

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कुछ समय पहले तत्कालीन एसएसपी जोगेंद्र कुमार ने जिले के 42 थानों में लगे 72 सीसीटीवी कैमरों को चेक कराया था। इनमें 20 कैमरे खराब मिले थे। उन्होंने थानों में सीसीटीवी कैमरों को लेकर अभियान शुरू किया था। खराब पड़े कैमरों को एक सप्ताह में सही कराने के निर्देश दिए थे लेकिन उनके जाते ही फिर कैमरों की हालत जस की तस हो गई।

यही हाल व्यापारियों की कमेटियों द्वारा अपने यहां लगवाए गए कैमरों का भी है। बाजारों में निगरानी के लिए सीसीटीवी कैमरे लगवा तो लिए, लेकिन ये कैमरे दिन में तो सक्रिय रहते हैं मगर रात में बंद हो जाते हैं। कई दुकानों में शार्ट सर्किट से आग लगने की आशंका के कारण दुकानदार रात में मेन स्विच ऑफ कर देते हैं। इससे रात में किसी घटना के होने पर बदमाशों के फुटेज नहीं मिल पाते। इसका फायदा उठाकर अपराधी वारदात के बाद बच निकलते हैं।

जिले में एक हजार से अधिक छोटे एवं बड़े बाजार हैं। जबकि 300 से अधिक विभिन्न सरकारी विभाग हैं। इसके अलावा कई सौ हाउसिंग सोसाइटी एवं गेट बंद कॉलोनी हैं। इन सभी को सीसीटीवी कैमरों से लैस करने की प्रकिया जारी है। ताजनगरी में अब तक छह हजार से सीसीटीवी कैमरे लगाए जा चुके हैं।

बड़े काम के हैं डिजिटल मुखबिर

अतीत में पुलिस डिजिटल मुखबिरों के चलते कई बड़े मामले खोल चुकी है। मलपुरा के गांव लालऊ की दसवीं की छात्रा संजली को 18 दिसंबर 2018 को सिरफिरों ने स्कूल से लौटते समय पेट्रोल डालकर जिंदा जला दिया था। आरोपितों ने छात्रा की हत्या की साजिश इस तरह से रची कि अपने पीछे कोई सुराग नहीं छोड़ा। पुलिस को पहला अहम सुराग सीसीटीवी कैमरे की फुटेज से मिला। इसके बाद हत्याकांड की कडिय़ां जुड़ती चली गईं। पुलिस ने 24 दिसंबर को दो लोगों को गिरफ्तार कर मामले का राजफाश कर दिया।

इसी तरह शाहगंज के कमाल खां क्षेत्र से 17 मार्च को नौ वर्षीय बालिका घर से सौ मीटर दूर स्थित दुकान पर गई थी। दुकान पर उसे मुल्तानी मिट्टी नहीं मिली। दुकान पर खड़ा एक युवक उसे सामान दिलाने के बहाने वहां से साथ ले गया। करीब आठ किलोमीटर दूर पैदल ही उसे सिकंदरा आवास विकास कॉलोनी के सेक्टर 10 के एक खंडहर मकान में ले गया। वहां बच्ची से दुष्कर्म करके भाग गया। पीडि़ता से बातचीत के बाद पुलिस ने वह जिन रास्तों से आयी थी, वहां लगे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज देखी। इसमें आरोपित बालिका को साथ ले जाता दिखाई दे गया। पुलिस ने फुटेज के आधार पर आरोपित की पहचान कर उसे गिरफ्तार कर लिया। महर्षिपुरम कॉलोनी में डॉक्टर अतुल बंसल के घर दिनदहाड़े पड़ी डकैती के मामले में भी पुलिस को आरोपितों का सुराग सीसीटीवी कैमरों से मिला।

शहर की डिजिटल नाकाबंदी होगी : एसएसपी

डिजिटल मुखबिरों की उपयोगिता को देखते हुए एसएसपी बबलू कुमार भी इस दिशा में सक्रिय हैं। उनका कहना है कि शहर में स्मार्ट सिटी योजना के तहत हर चौराहे पर सीसीटीवी कैमरे लगाने की तैयारी है। इसका कंट्रोल रूम बनाया जा रहा है। इससे शहर की डिजिटल नाकाबंदी संभव हो सकेगी। जबकि ग्रामीण इलाकों में पेट्रोल पंप, स्कूल एवं कॉलेजों के प्रबंधकों से वार्ता करके उन्हें अपने यहां सीसीटीवी कैमरे लगाने की कहा जाएगा। इससे अपराधियों को पकडऩे में मदद मिलेगी। 


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