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Dev Deepawali in Agra: आगरा में भी कम नहीं है देव दीपावली का उत्साह, पढ़ें यहां क्या है मान्यता

Dev Deepawali in Agra आगरा के बल्‍केश्‍वर घाट पर दीप जलाए म‍ह‍िलाएं। बल्‍केश्‍वर महालक्ष्‍मी मंद‍िर में उमड़। श्रद्धालुओं का सैलाब। दैनिक जागरण के आह़वान का असर बल्केश्वर महालक्ष्मी मंदिर व कैलाश घाट पर उमड रहा आस्था का सैलाब।

By Tanu GuptaEdited By: Published: Thu, 18 Nov 2021 02:21 PM (IST)Updated: Fri, 19 Nov 2021 08:41 AM (IST)
Dev Deepawali in Agra: आगरा में भी कम नहीं है देव दीपावली का उत्साह, पढ़ें यहां क्या है मान्यता
आगरा के बल्‍केश्‍वर घाट पर दीप जलातीं महिलाएं।

आगरा, जागरण संवाददाता। दैनिक जागरण के आह़़वान पर कार्तिक पूर्णिमा के उपलक्ष्य में तीन दिवसीय देव दीपावली उत्सव का बुधवार का अगाज हो गया है। गुरुवार को भी बल्केश्वर घाट, बल्केश्वर महालक्ष्मी मंदिर, कैलाश घाट, हाथी घाट व दशहरा घाट पर दीपों की ऐसी आभा बिखरी कि हर कोई इस पल का साक्षी बनने के लिए पहुंचा। घाटों पर की गई आकर्षक विद्युत सजावट सभी को आकर्षित कर रही थी। विभिन्न सामाजिक एवं स्वयंसेवी संगठनों ने दीपदान शुरू कर दिया। कुछ ही क्षणों में यमुना के सभी घाट दीपकों की रोशनी से जगमगा उठे। कैलाश महादेव मंदिर में तो इस दाैरान महंत निर्मल गिरी के निर्देशन में विशेष महाआरती का भी आयोजन हुआ।

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बल्केश्वर घाट पर महादीपदान किया गया। जिसमें दीपों की रंगोलियां व स्वास्तिक बनाए गए। सनातन संस्कृति के अनुरूप दिव्य भगवत चिन्हों को दीपों के माध्यम से दिखाया गया। जिसकी दिव्यता सनातन संस्कृति दिखा रही थी। एक महिला टोली मेे शामिल पूजा मथरानी,पलक, शोभा,अलका , तान्या व ऋतु खुराना ने बताया कि वह यमुना तट पर कई सालों से कार्तिक मास की चौदस को आरती कर दीप जलाती हैं। भगवान विष्णु से मन्नत मांगती हैं। ऐसी मान्यता है कि भगवान विष्णु कार्तिक मास में यमुना में ही विराजमान होते हैं और कार्तिक मास की पूरनमासी को विदा होकर बैकुंठ धाम के लिए प्रस्थान कर जाते हैं। कुछ ऐसा ही वातावरण अन्य घाट पर नजर आया। बल्केश्वर महालक्ष्मी मंदिर में तो महाआरती का भी आयोजन हूुआ।

घाटों पर दीपदान करने से पूरी होती हैं मनौतियां

कार्तिक पूर्णिमा का स्नान विधि विधानपूर्वक करने से सद्बुद्घि की प्राप्ति होती है और रोगों का नाश होता है। यमुना घाटों पर दीपदान करने से मनौतियां पूरी होती हैं। ज्योतिषाचार्य आशिमा शर्मा ने बताया कि इस कार्तिक पूर्णिमा को देव दीपावली पर्व होने का भी बड़ा महत्व है। देवउठनी के दिन देवता जागृत होते हैं और कार्तिक पूर्णिमा के दिन घाटों पर स्नान कर दिवाली मनाते हैं। इसलिए इसे देव दिवाली कहा जाता है। इसी दिन संध्या काल को मत्स्यावतार हुआ था। इस पूर्णिमा को ब्रह्मा, विष्णु, शिव, अंगिरा और आदित्य आदि ने महापुनीत पर्व प्रमाणित किया है। इस दिन विधि-विधानपूर्वक पूजा करने से मनौतियां पूरी होती हैं। कार्तिक पूर्णिमा तिथि कालीन 18 नवंबर 2021 यानी आज रात्रि 25:29 से अगले दिन 19 नवंबर 2021 की रात्रि के बाद 28:29 तक कृतिका नक्षत्र के रहने से "पद्ममक नामक" योग रहेगा। इस दिन स्नान एवं दान का शुभ मुहूर्त प्रातः काल 6:48 बजे से 10:45 बजे तक है और मध्याह्न काल 12:05 बजे से अपराह्न 1:24 बजे तक है। इस दिन अगर कृर्तिका, भरणी, रोहिणी नक्षत्र हो तो इसका विशेष महत्व बढ़ जाता है। इस बार इस दिन कृतिका नक्षत्र एवं परिध योग का संयोग होने से इस दिन पूर्णिमा का अत्यन्त शुभ महत्व रहेगा। 


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