कभी किस्मत वाला ताज खेमा आज बदकिस्मती पर बहाता है आंसू, जानिए क्या है वजह Agra News
बिल क्लिंटन की मौजूदगी में यहीं हुई थी अमेरिका-भारत में पर्यावरण संधि। बदहाल हो चुका पर्यटन निगम का होटल स्विस टैंट का रह गया स्ट्रक्चर।
आगरा, निर्लोष कुमार। मैं ताज खेमा हूं। शहंशाह शाहजहां के संगमरमरी ख्वाब के साकार होने का गवाह। मैंने शाहजहां के हाथियों और ताज के पत्थरों का बोझ सहा है। सदियों से सूर्योदय और सूर्यास्त के समय हरीतिमा के बीच ताज के मोहक नजारों का साक्षी हूं। 20 साल पहले आए अमेरिकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन ने यहीं बैठकर भारत से पर्यावरण संधि की थी। मगर, इसके बाद तो मेरी किस्मत ही फूट गई। शानदार लोकेशन के बावजूद बदहाल हूं। कभी मेरी शान रहे स्विस टैंट का बचा हुआ स्ट्रक्चर मेरी खूबसूरती में दाग बना हुआ है।
ताज पूर्वी गेट से चंद कदमों के फासले पर अब मैं होटल ताज खेमा के रूप में जाना जाता हूं। मेरी ये दुर्दशा पर्यटन निगम और सरकारी उपेक्षा से हुई है। मुझमें पर्यटन की उम्मीदों को रंग लग सकते थे मगर, बेरुखी से इसकी उम्मीद नजर नहीं आती। यह भी तब है जबकि 22 मार्च, 2000 को तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन ने यहीं से दुनिया में बढ़ती ग्लोबल वार्मिंग की बढ़ती समस्या पर चिंता जताई थी। उन्होंने सुधार के लिए आवश्यक कदम उठाने पर जोर दिया था। क्लिंटन की मौजूदगी में तत्कालीन अमेरिकी सेक्रेटरी ऑफ स्टेट मेडलीन अलब्राइट और तत्कालीन भारतीय विदेश मंत्री जसवंत सिंह ने पर्यावरण संधि पर दस्तखत किए थे। इसके बाद तो दुनिया भर में मेरा जलवा हो गया था। बिल क्लिंटन के भाषण और यहां से ताज के मोहक नजारे को लेकर मेरी ही चर्चा थी। मेरी इसी कशिश को भुनाने के लिए फोटोग्राफी पर टिकट लगाया गया। पर्यटन निगम इतनी बड़ी उपलब्धि को भी भुनाने में नाकाम रहा। आज जहां शहर में रूफटॉप रेस्टोरेंट में बड़े ब्रांड आ रहे हैं, उस समय ताज के सबसे दिलकश नजारों के होते हुए भी ताज खेमा उपेक्षित है।
प्रो-पुअर टूरिज्म डवलपमेंट प्रोजेक्ट में होना है काम
विश्व बैंक सहायतित प्रो-पुअर टूरिज्म डवलपमेंट प्रोजेक्ट में ताज खेमा का अपग्रेडेशन किया जाना है। इसमें स्विस टैंट के साथ ही टीलों की स्थिति में सुधार का काम प्रस्तावित है। इस पर करीब 14.65 करोड़ रुपये व्यय होंगे।
ऐसे हुआ नामकरण
जब ताजमहल का निर्माण हो रहा था, तब शाही सेना और मजदूर यहीं पर रहते थे। ताज का नजदीकी होने से यह महत्वपूर्ण भी था। प्रदेश सरकार ने वर्षों बाद नजरें इनायत कीं। मुझे सजाने-संवारा गया और नाम रख दिया ताज खेमा।