Deepawali Pujan Timings: प्रदोष काल में होगा दीपावली पूजन, जानिए क्या है शुभ मुहूर्त
Deepawali Pujan Timings गुरुवार शाम 535 से 810 तक है लक्ष्मी पूजा प्रदोष काल मुहूर्त। चार नवंबर सुबह 603 बजे से पांच नवंबर रात 244 मिनट तक है अमावस्या तिथि। लक्ष्मी पूजा में खीर मिठाई हलवा व मोदक का आदि का भोग लगाया जाता है।
आगरा, जागरण संवाददाता। Deepawali Pujan Timings: कार्तिक मास की अमावस्या तिथि पर दीपावली पर्व मनाया जाता है, जो चार नवंबर को है। दीपावली पूजन प्रदोष काल में किया जाता है। मान्यता है कि जो व्यक्ति सच्चे मन से दीपावली के दिन मां लक्ष्मी की पूजा करता है, उसके सारे दुख दूर हो जाते हैं और धन व वैभव में वृद्धि होती है।
ज्योतिषाचार्य पं. चंद्रेश कौशिक बताते हैं कि लक्ष्मी पूजा दीपोत्सव का एक ऐसा संस्कार है जो चार नवंबर को संपन्न होगा। इसमें माता लक्ष्मी व गणेश की प्रतिमा की पूजा की जाएगी। लक्ष्मी जी धन व संपत्ति की देवी है, जबकि भगवान गणेश बुद्धि और कार्य को सफल करने वाले देवता हैं। लक्ष्मी पूजा में खीर, मिठाई, हलवा व मोदक का आदि का भोग लगाया जाता है। दीपावली पर बहुत से लोग व्रत भी रखते हैं, साथ ही अपने पूर्वजों के नाम का दिया भी जलाते हैं।
दीपावली का शुभ पूजन मुहूर्त
- सुबह 11 बजकर 20 मिनट से दोपहर एक बजकर 27 मिनट तक।
- दोपहर दो बजकर 50 मिनट से तीसरे पहर चार बजकर 20 मिनट तक।
- शाम पांच बजकर 35 मिनट से आठ बजकर 10 मिनट तक
(लक्ष्मी पूजा प्रदोष काल मुहूर्त)
- रात 11 बजकर 40 मिनट से 12 बजकर 31 मिनट तक
(लक्ष्मी पूजा महानिशीथ काल मुहूर्त)
- अमावस्या तिथि प्रारंभ नवंबर चार 2021 को सुबह छह बजकर तीन मिनट से पांच नवंबर रात दो बजकर 44 मिनट तक।
ऐसे करें दीपावली पूजन
दीपावली पूजास्थल में चावल या गेहूं की एक छोटी ढेरी बनाकर उस पर देसी घी का एक दिया जलाएं। माता लक्ष्मी का ध्यान करते हुए तीन बार श्रीसूक्त का पाठ करें। माता लक्ष्मी सहित सभी देवी-देवताओं को भोग लगाएं।
लक्ष्मी पूजा की विधि
ज्योतिष आशिमा शर्मा ने बताया कि लक्ष्मी पूजा से पहले पूरे घर की साफ-सफाई कर गंगाजल छिड़काव करें।घर अच्छे से सजाएं, मुख्य द्वार पर रंगोली बनाएं। पूजा स्थल पर एक चौकी रखकर उस पर लाल कपड़ा बिछाकर मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की प्रतिमा स्थापित करें। चौकी के पास जल से भरा कलश रखें। माता लक्ष्मी और गणेश की प्रतिमा का तिलक करें और उनके समक्ष घी का दीपक जलाएं। उन्हें जल, मौली, गुड़, हल्दी, चावल, फल, अबीर-गुलाल आदि अर्पित करें। देवी सरस्वती, मां काली, श्रीहरि और कुबेर देव की विधि-विधान पूजा कर उनका आह्वान करें। महालक्ष्मी पूजा के बाद तिजोरी, बहीखाते और व्यापारिक उपकरणों की पूजा करें। माता लक्ष्मी की आरती करें और मिठाई का भोग लगाकर प्रसाद परिवार में वितरित करें।