28 वर्ष बाद आया फैसला, सांसद और विधायक समेत आठ आरोपित बरी
आगरा कैंट पर शताब्दी एक्सप्रेस रोककर तत्कालीन केंद्रीय पर्यटन मंत्री का विरोध करने का आरोप। वर्ष 1992 में जीआरपी कैंट थाने में दर्ज हुआ था मुकदमा सांसद विधायक समेत अन्य थे आरेापित। कोर्ट के बाहर बड़ी संख्या में भाजपा नेता और कार्यकर्ता भी अदालत के फैसले की प्रतीक्षा कर रहे।
आगरा, जागरण संवाददाता। आगरा कैंट रेलवे स्टेशन पर शताब्दी एक्सप्रेस रोकने मामले में 28 वर्ष बाद शनिवार को फैसला आ गया।सांसद राजकुमार चाहर, विधायक योगेंद्र उपाध्याय समेत अन्य आरोपित शनिवार को अदालत में पेश हुए।उन पर तत्कालीन केंद्रीय पर्यटन मंत्री का विरोध करने का आरोप था।
मामला दो जनवरी 1993 का है। तत्कालीन केंद्रीय पर्यटन मंत्री माधव राव सिंधिया ग्वालियर से दिल्ली जा रहे थे। आगरा कैंट रेलवे स्टेशन पर भाजपाइयों ने उनका विरोध किया था। इस पर जीआरपी कैंट थाने में बलवा व रेलवे एक्ट अादि धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया था। जिसमें वर्तमान भाजपा सांसद राजकुमार चाहर, वर्तमान विधायक योगेंद्र उपाध्याय, पूर्व विधायक डाक्टर रामबाबू हरित, अधिवक्ता दुर्ग विजय सिंह भैया, सुशील शर्मा, योगेंद्र परिहार, शैलेंद्र गुलाटी, मुकेश गुप्ता आदि को नामजद किया गया था। इस मामले में विशेष न्यायाधीश एमपी-एमएलए कोर्ट में सुनवाई चल रही थी। शनिवार को इसमें फैसला आना था। इसलिए सांसद और विधायक समेत अन्य सभी आरोपित अदालत में पेश हुए। आरोपितों की मौजूदगी में विशेष न्यायाधीश एमपी-एमएलए उमाकांत जिंदल ने संदेह का लाभ देते हुए सभी को बरी कर दिया। अदालत के फैसले के इंतजार में बड़ी संख्या में भाजपा नेता और कार्यकर्ता अदालत के बाहर मौजूद थे। फैसला आने के बाद सभी खुश थे।
जीआरपी कैंट थाने में दर्ज हुए थे दो मुकदमे
इस मामले में जीआरपी कैंट थाने में बलवा, जानलेवा हमला, चोरी, रेलवे अधिनियम के तहत अलग-अलग दो मुकदमे दर्ज हुए थे। एक मुकदमा उप स्टेशन अधीक्षक किरन सिंह प्रताप और दूसरा मुकदमा एसओ जीआरपी कैंट बिजेंद्र सिंह ने लिखाया था। विवेचना के दौरान माधव राव सिंधिया के पीआरओ अमर सिंह द्वारा भी अपनी तहरीर दी गई थी।इसको विवेचक ने इसी मामले में शामिल करते हुए विवेचना की। इसके बाद सभी आरोपितों के खिलाफ आरोप पत्र प्रेषित किए थे।