आगरा की अदालत में मारपीट के मुकदमे में 44 साल तक तारीख पर तारीख के बाद आया ये फैसला
अछनेरा के गांव सहाई में 30 जून 1974 को हुई थी घटना। घर में घुसकर मारपीट करने कुंडल छीनने व अपहरण का था आरोप। पीड़िता और उसकी बहन के पूर्व बयानों से गईं मुकर अदालत ने सुनाया ये फैसला।
आगरा, जागरण संवाददाता। आगरा की अदालत में घर में घुसकर मारपीट और अपहरण के एक मुकदमे 44 साल तक तारीख पर तारीख पड़ती रहीं। इस दाैरान आरोपित और गवाह दोनों बुजुर्ग हो गए। घटना की पीड़िता और उसकी बहन अपने पूर्व बयान से मुकर गईं। इसके बाद अदालत का जो फैसला आया वह आरोपित पक्ष को राहत पहुंचाने वाला था।
घटना 30 जून 1976 की है। नत्थीलाल ने मुकदमा दर्ज कराया था। इसमें पीतम सिंह,माेहन निवासी गांव सहाई अछनेरा, संतोष कुमार, विशंभर निवासी अरहेरा फतेहपुर सीकरी को नामजद किया था। नत्थीलाल ने आरोप लगाया था कि आरोपितों ने लाठी-डंडों से लैस होकर घर में घुसकर गाली-गलौज करते हुए उससे मारपीट की थी। स्वजन ने उसे बचाने का प्रयास किया तो आरोपितों ने उनसे भी मारपीट कर दी। वादी की पत्नी किशन देवी के सोने के दोनों कुंडल उसके भाई की पत्नी अंगनिया के गले से सोने की हंसली चांदी के कड़े हथियारों के बल पर उतरवार करके ले गए थे।
नत्थीलाल का ये भी आरोप था कि आरोपित उसकी साली श्रीमती कांति को उसके दो बच्चों समेत घसीटकर ट्रैक्टर में डालकर ले गए थे।वादी के पिता खरग सिंह द्वारा शोर मचाने पर अारोपितों ने उन्हें भी मारपीट करके घायल कर दिया था।मुकदमे के विचारण के दौरान अभियोजन पक्ष सिर्फ कांति देवी और उसकी बहन किशन देवी को अदालत में प्रस्तुत कर सका।
अदालत में दोनाें गवाह अपने पूर्व बयानों से मुकर गए। इस पर अपर जिला जज की अदालत ने सभी आरोपितों को साक्ष्य के अभाव में बरी करने के आदेश दिए।