Acid Attack: ज्वलनशील पदार्थ डालकर जलाए गए युवक की मौत, आरोपित को सात दिन में नहीं ढूंढ़ पाई पुलिस
Acid Attack सात दिन पहले युवक और उसके तीन बच्चों को लगाई थी आग अस्पताल में हैं बच्चे। पत्नी को भगाकर ले जाने की शिकायत पुलिस से करने पर आरोपित ने बोला हमला। जूता कारीगर के रिश्तेदार पुलिस पर मिलीभगत का आरोप लगा रहे हैं।
आगरा, जागरण संवाददाता। जूता कारीगर की पत्नी काे भगाकर ले गए पड़ोसी ने पुलिस तक शिकायत पहुंचने पर दुस्साहसिक घटना की। उसने जूता कारीगर और उसके तीन बच्चों पर ज्वलनशील पदार्थ डालकर आग लगा दी। तीनों बुरी तरह झुलस गए थे। अस्पताल में उनका इलाज चल रहा था। जूता कारीगर की रविवार सुबह सांसें थम गईं। जबकि बच्चे अभी जिंदगी की जंग लड़ रहे हैं। दिल दहला देने वाली इस घटना को अंजाम देने वाले आरोपित को सात दिन में भी पुलिस नहीं ढूंढ़ सकी है। जूता कारीगर के रिश्तेदार पुलिस पर मिलीभगत का आरोप लगा रहे हैं।
मलपुरा के नगला भगत धनौली निवासी 30 वर्षीय सोनू की पत्नी को पड़ोस में रहने वाला सरजू एक जनवरी को बहला-फुसला कर घर से भगा ले गया था। सोनू के तीन बच्चे हैं। आठ वर्षीय बेटी खुशी, छह वर्षीय बेटा इशान और चार वर्षीय बेटा रिशांत अपने पिता के साथ ही रह रहे थे। सोनू ने मलपुरा थाने में जाकर सरजू की शिकायत की। मगर, पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की। पुलिस से शिकायत करने से बौखलाकर सरजू और उसके दाेस्त संजय ने तीन जनवरी की सुबह चार बजे सोनू पर हमला बोला। उसने साेनू और उसके तीनाें बच्चों के ऊपर घर में सोते समय ज्वलनशील पदार्थ डाल दिया। इसके बाद उनको आग भी लगा दी। चीख पुकार मचने के बाद पड़ोसी पहुंचे। पड़ोसियों ने किसी तरह आग बुझाकर उन्हें एसएन इमरजेंसी पहुंचाया। इस मामले में सोनू के बहनोई कैलाशी ने सरजू और उसके दोस्त संजय के खिलाफ जानलेवा हमले की धारा में मुकदमा दर्ज करा दिया था। मगर, पुलिस ने गिरफ्तारी के कोई प्रयास नहीं किए। उधर, सोनू और उसके तीनों बच्चे एसएन इमरजेंसी में भर्ती थे। साेनू की रविवार सुबह सांसें थम गईं। बच्चों की हालत भी नाजुक बनी हुई है। सोनू के रिश्तेदार कैलाशी का आरोप है कि आरोपितों की पुलिस से मिलीभगत है। इसीलिए पुलिस इतनी गंभीर घटना के बाद भी हाथ पर हाथ रखकर बैठी है।
बच्चों का अब कौन सहारा बनेगा
मां पहले ही बच्चों को छोड़कर जा चुकी थी। पिता के साथ बच्चे रह रहे थे। ज्वलनशील पदार्थ डालकर बच्चों को भी आरोपित ने आग लगा दी। किसी तरह उनकी जान तो बच गई। मगर, अभी उनकी हालत खतरे से बाहर नहीं है। पत्थर दिल मां अभी तक उनकी हालत पर भी तरस खाकर नहीं आई। अब उनका कौन इलाज कराएगा और कौन उनका सहारा बनेगा? लोगों में यही चर्चाएं हैं।