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पिता की मौत से नि:शब्द, आंसू में भीगे शब्द, एक हादसे ने बदल दी पूरे परिवार की जिंदगी

पनवारी में साइकिल से जा रहे थे परीक्षा केंद्र छोड़ने, स्कूटी से टक्कर में हो गई मौत। स्‍कूल प्रबंध पर लगा स्‍कूटी सवारों को भगाने का आरोप।

By Prateek GuptaEdited By: Published: Fri, 15 Feb 2019 04:49 PM (IST)Updated: Fri, 15 Feb 2019 04:49 PM (IST)
पिता की मौत से नि:शब्द, आंसू में भीगे शब्द, एक हादसे ने बदल दी पूरे परिवार की जिंदगी
पिता की मौत से नि:शब्द, आंसू में भीगे शब्द, एक हादसे ने बदल दी पूरे परिवार की जिंदगी

आगरा, अली अब्बास। गुरुवार को अंजू परीक्षा देने पहुंच गई, मजबूरी थी, आखिर साल बचाने की चिंता थी। पिता का लहूलुहान चेहरा आंखों के सामने बार-बार तैर जाता, आंखे डबडबा आतीं। आंसू पोंछ प्रश्नपत्र से जुड़ना चाहती, लेकिन शब्द बार-बार आंसू में भीग जाते, कलम लड़खड़ा जाती। सामने लिखे प्रश्नों से बड़ा सवाल झकझोर जाता, दुर्घटना में घायल हुए पिता किस हाल में होंगे, कोई अनहोनी तो नहीं हुई होगी। जेहन में आता पिता का ख्वाब, खूब पढ़ो, शिक्षक बनो। अंतत: दिल-दिमाग को संयत कर परीक्षा में वह सब सवाल हल करने का प्रयास करती, जो लक्ष्य को हासिल करा सकें। परीक्षा खत्म होते-होते पहुंची घायल पिता के मौत की सूचना नि:शब्द कर गई, शेष रहे प्रश्न अब हल करना नामुमकिन सा हो गया, लेकिन पिता का अरमान ताकत दे रहा था, परीक्षा तो समय पर खत्म हो गई, तमाम प्रश्न भी हल हो गए। लेकिन अब जीवन का जटिल प्रश्न सामने मुंह बाए खड़ा था, अब कौन उसे पढ़ाएगा, कौन परीक्षा केंद्र तक छोड़ने आएगा।

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जगदीशपुरा के पनवारी गांव निवासी अंजू अपने पिता ठाकुर दास के साथ साइकिल से पूरी तैयारी के साथ हाईस्कूल का अंग्रेजी का पेपर देने निकली थी। स्कूल पहुंचने से पहले ही स्कूटी ने साइकिल में टक्कर मार दी। सिर में चोट लगने से ठाकुरदास वहीं गिर गए। आनन-फानन में अंजू ने फोन कर भाई गोपाल को बुलाया, पिता को उसके साथ अस्पताल भेज खुद भारी कदमों से परीक्षा देने चली गई। इधर, एसएन इमरजेंसी पहुंचने से पहले ही ठाकुरदास ने दम तोड़ दिया। इससे बेखबर जैसे-तैसे परीक्षा दी। बाहर निकलते ही पिता के मौत की सूचना मिल गई, भारी कदमों से बमुश्किल घर पहुंची। पिता का शव उसका इंतजार कर रहा था। बिलखती अंजू बार-बार यही कहे जा रही थी कि उसे अब कौन पढ़ाएगा? आंसुओं में डूबी अंजू ने बताया कि उसके लिए ये कठिन घड़ी थी। पापा की सीख ही थी कि उसने परीक्षा देने की ठानी। कैसे पेपर दिया, ये वो ही जानती है। उसे प्रश्नपत्र में बार-बार पापा का चेहरा दिखाई दे रहा था। मां गुड्डी देवी कभी उसे चुप करातीं तो कभी खुद रोने लगतीं।

अंजू को शिक्षक बनाना चाहते थे

अंजू दो भाई और दो बहनों में छोटी है। अंजू बताती है कि पापा ने उसे शिक्षक बनाने का सपना देखा था। हम सबकी पढ़ाई का खर्चा उठाने के लिए वे दिन में जूता फैक्ट्री में काम करते और रात में चौकीदारी करते थे। बड़ी बेटी सुनीता का रिश्ता तय कर दिया था। उसकी शादी की तैयारी कर रहे थे।

एक्टिवा सवारों के खिलाफ रिपोर्ट

घटनास्थल पर मौजूद ग्रामीणों ने स्कूल प्रबंधन के लोगों पर एक्टिवा सवार तीनों लोगों को भगाने का आरोप लगाया। इंस्पेक्टर सिकंदरा अनुज कुमार सिंह ने बताया कि एक्टिवा सवारों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया है।


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