डीएपी का संकट नहीं हुआ दूर, किसानों ने लगाया आगरा जगनेर रोड पर जाम
डीएपी के लिए आगरा जिले में लग रही केंद्रों पर लंबी कतार निजी विक्रेता कर रहे कालाबाजारी। 1200 रुपये का कट्टा दो हजार में खरीदने को मजबूर किसान। जिले में मांग 19 हजार मीट्रिक टन डीएपी की है जबकि उपलब्धता तीन हजार मीट्रिक टन है।
आगरा, जागरण संवाददाता। दो महीने से जिले में डीएपी की किल्लत है, जिससे कालाबाजारी करने वालो अवसर मिल गया है। निजी क्षेत्र के विक्रेता जमकर कालाबाजारी कर रहे हैं, जबकि जिम्मेदारों ने आंखें मूंद रखी है। निजी विक्रेता 1200 रुपये का डीएपी का कट्टा किसानों को 1700 से लेकर दो हजार रुपये तक मिल रहा है। जिले में मांग 19 हजार मीट्रिक टन डीएपी की है, जबकि उपलब्धता तीन हजार मीट्रिक टन है। कुछ किसान सरसों की बोवाई नहीं कर पाए हैं, जबकि आलू की बोवाई पिछड़ रही है। उपलब्धता नहीं होने के कारण किसान सहकारी समितियों पर पहुंच आक्रोश जाता रहे है।
सोमवार सुबह से समितियों पर किसानों की लंबी कतार है लेकिन समितियों पर डीएपी की उपलब्धता नहीं है। इससे आक्रोशित होकर किसानों ने आगरा जगनेर रोड पर जाम लगा दिया है और जमकर नारेबाजी चल रही है। जाम में फंसकर वाहनों की कई किलोमीटर तक लाइन लग गई है।
जिले में 20 दिन से डीएपी की उपलब्धता नहीं है, इससे किसानों में आक्रोश भड़का हुआ है। बरहन के किसान नरेंद्र प्रजापति ने बताया कि रविवार सुबह से डीएपी के लिए खड़े थे, लेकिन शाम पांच बजे तक उपलब्धता नहीं हो सकी। सोमवार सुबह से फिर समितियों पर पहुंच गए। किसान विकास का कहना था कि डीएपी नहीं मिल पा रही है, जिससे आलू बोवाई में मुश्किल हो रही है। किसान हरीओम का कहना था कि निजी विक्रेता दो हजार रुपये तक प्रति कट्टा डीएपी के वसूल रहे हैं, जबकि दाम 1200 रुपये हैं। पिनाहट की छह में से पांच समितियों पर सोमवार को भी डीएपी उपलब्ध नहीं हो पाई है, जबकि राटोटी समिति पर उपलब्धता होने के बाद भी वितरण नहीं होने से किसानों का आक्रोश भड़का हुआ है। खेरागढ़ के किसान राजेंद्र का कहना है कि समितियों पर उपलब्धता नहीं है। वहीं निजी विक्रेता दो हजार रुपये तक प्रति कट्टा बेच रहे हैं।