Cyber Crime in Lockdown इन तरीकों से बढ़ गया ग्राफ, पुलिस ने दिए बचने के सुझाव
Cyber Crime in Lockdown दो माह में आए 35 मामले। एक जनवरी से 24 मार्च के दौरान 20 शिकायतें।
आगरा, जागण संवाददाता। केस एक: सिकंदरा क्षेत्र के व्यापारी देहरादून की कंपनी सर्जीकल से अपना सामान मंगवाते हैं। एक सप्ताह पहले कंपनी के एजेंट को फोन किया। उसे मॉस्क और ग्लब्ज समेत अन्य सामान का आर्डर दिया। एजेंट ने कंपनी बंद होने कहा,एक व्यक्ति का फोन नंबर दिया। व्यापारी से कहाकि उक्त नंबर पर बात करके दूसरी कंपनी से आर्डर बुक करा सकते हैं। कारोबारी ने छह लाख रुपये का आर्डर दिया। बताए गए खाते में 2.80 लाख रुपये जमा करा दिए।दो दिन बाद भी माल नहीं आने पर फोन किया। उक्त व्यक्ति का मोबाइल नंबर बंद था। पीड़ित ने साइबर क्राइम थाना में शिकायत की। पुलिस ने छानबीन की तो पता चला कि उक्त खाता सुल्तानपुर के एक युवक का है। पुलिस खाताधारक से बात करके खाते में लेन- देन फ्रीज करा दिया। खाताधारक से रकम वापस व्यापारी के खाते मे जमा करने की कहा गया है।
केस दो: एत्माद्दौला क्षेत्र निवासी जितेंद्र सिंह धाकरे को 24 मई को उनको परिचित ने फोन किया। जितेंद्र को बताया कि उनकी आईडी से पैसे मांगे जा रहे हैं। जितेंद्र जब अपनी आईडी चेक की तो उसका पासवर्ड बदल चुका था। इसके बाद उन्होंने पासवर्ड बदल दिया। शातिरों ने मैसेंजर के माध्यम से जितेंद्र के दो दर्जन से ज्यादा परिचितों और संबंधियों से रुपये मांगे थे। जितेंद्र सिंह ने शातिरो से सतर्क करने के लिए फेसबुक पर एक पोस्ट डाली। अपने मोबाइल नंबर को भी डाला, इसके बाद भी शातिरों ने मैसेंजर के माध्यम से रकम मांगना जारी रखा है। वह रकम ऑनलाइन ट्रांसफर करने की कह रहे हैं। गूगल और पेटीएम के माध्यम से ही रकम की मांग कर रहे हैं।
लॉकडाउन में साइबर क्राइम का ग्राफ बढ़ा है। इस वर्ष एक जनवरी से 24 मार्च के दौरान साइबर क्राइम के 20 मामले साइबर सेल पहुंचे। वहीं 25 मार्च काे लॉकडाउन की घोषणा के बाद 25 मई के दौरान साइबर रेंज थाने और साइबर सेल में 35 शिकायतें आयीं। साइबर पुलिस द्वारा जांच के दौरान चौंकाने वाली जानकारी सामने आईं। अभी तक झारखंड, बिहार और छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित क्षेत्रों के लोग ही साइबर अपराधियों की शरणगाह बने हुए थे। इस कड़ी में अब हरियाणा के मेवात गैंग भी शामिल हो गए हैं। वह लोगों को अपना शिकार बना रहे हैं। इन गिरोह का तरीका भी वही है, जो झारखंड के नक्सल प्रभावित इलाकों में रहने वाले साइबर शातिरों का है।
इन तरीकों से करते हैं शिकार
- पुरानी चीजो की खरीदफरोख्त वाली वेबसाइट पर सस्ता सामान बेचने का लालच देकर।
- फेसबुक अकाउंट हैक करके परिचितों और रिश्तेदारों को मदद के नाम पर मैसेज भेजकर रकम की मांग।
- केवाइइसी अपडेट करने, ई-वॉलेट एकाउंट निलंबित या ब्लॉक होने की कहकर उसे अपडेट करने को लिंक भेजकर।
- टिक-टॉक के माध्यम से
- खुद को परिचित बताकर खाते में रकम ट्रांसफर करने के नाम पर लिंक भेजकर।
इन टिप्स पर अमल करके बच सकते हैं जाल से
एसपी क्राइम राजेश सोनकर के अनुसार कुछ सतर्कता बरतकर हम साइबर ठगी के शिकार होने से बच सकते हैं।इनमें प्रमुख बाते निम्न हैं
- यदि आपके पास किसी अनजान मोबाइल नंबर से कॉल आए। वह आपको अपना रितेश्दार या परिचित बताकर फोनपे, गूगल पे, पेटीएम के माध्यम से कुछ रुपये आपके खाते में भेजन की बोलता है तो सतर्क हाे जाएं। शातिर आपके साथ साइबर ठगी का प्रयास कर रहा है।
- आपको टेक्स्ट मैसेज, फोन कॉल के द्वारा केवाइसी अपडेट करने के लिए बताया जा रहा है, जिसमें आपसे कोई छोटी रकम लेना चाहता है। प्ले स्टोर से कोई एप करने के लिए कहा जाता है तो समझ जाएं कि आपके साथ साइबर ठगी होने जा रही है।
- आपको टेक्स्ट मैसेज या फोन कॉल के द्वारा बताया जा रहा है कि आपको कैश बैक,पाइंट रिवार्ड, या प्रामो कूपन मिल रहा है, आपको फोनपे या गूगल पे पर लिंक भेजकर उसे क्लिक करने की कहा जाए तो सतर्क हो जाएं।
- गूगल पे, फोनपे, पेटीएम का कोई लिंक या क्यूआर कोड टेक्स्ट मैसेज या वाट्सएप पर इन एप के माध्यम से कोई नोटिफिकेशन प्राप्त होता है तो उस पर क्लिक या स्कैन नहीं करें।
- यदि कोई मित्र, रिश्तेदार, फेसबुक या मैसेंजर से मैसेज भेजकर मदद मांग रहा है तो एक बार उससे फोन करके इसकी तस्दीक जरूर करें।