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World Menstrual Hygiene Day: लॉकडाउन में सेनेटरी पैड पर भी लगा 'लॉक', विकल्‍प अपनाएं सोच समझकर

लॉकडाउन के चलते सेनेटरी पैड्स न मिलने पर युवतियां और महिलाएं कर रहीं कपड़े का इस्तेमाल। दो महीने में कम हो गया स्टॉक दुकानों पर कम हो रही अब उपलब्धता।

By Prateek GuptaEdited By: Published: Fri, 29 May 2020 09:44 AM (IST)Updated: Fri, 29 May 2020 09:44 AM (IST)
World Menstrual Hygiene Day: लॉकडाउन में सेनेटरी पैड पर भी लगा 'लॉक', विकल्‍प अपनाएं सोच समझकर
World Menstrual Hygiene Day: लॉकडाउन में सेनेटरी पैड पर भी लगा 'लॉक', विकल्‍प अपनाएं सोच समझकर

आगरा, प्रभजोत कौर। लॉक डाउन में राशन, दवाएं, जरूरी सामान की किल्लत के अलावा एक बहुत बड़ी समस्या सामने आई है। यह समस्या हजारों-लाखों युवतियों और महिलाओं की है। लॉकडाउन में उन्हें सेनेटरी पैड नहीं मिल पा रहे हैं। जिस वजह से वे काफी परेशान हैं। सेनेटरी पैड की कमी के कारण गांव-देहात में लड़कियों ने एक बार फिर से कपड़े के बने पैड इस्तेमाल करने शुरू कर दिए हैं। हालांकि इससे संक्रमण का खतरा भी बढ़ गया है।

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स्कूलों में भी बंद है वितरण

सरकार द्वारा किशोरी सुरक्षा योजना के तहत स्कूलों में सेनेटरी पैड का वितरण किया जाता है लेकिन लॉकडाउन के कारण स्कूलों के बंद होने से बहुत सी लड़कियों एवं उनके परिवार के अन्य सदस्यों को सेनेटरी पैड उपलब्ध नहीं हो पा रहे हैं। लॉकडाउन के कारण सेनेटरी पैड का निर्माण भी बाधित हुआ है जिससे ग्रामीण स्तर के रिटेल पॉइंट्स पर पैड की उपलब्धता भी बेहद प्रभावित हुयी है। गाँव के जो लोग जिला स्तर से सेनेटरी पैड की खरीदारी कर सकते थे, वह भी लॉकडाउन के कारण यातायात साधन उपलब्ध नहीं होने से वहां तक आसानी से पहुंच नहीं पा रहे हैं।

दुकानों पर भी कम है उपलब्धता

सेनेटरी पैड की आसान उपलब्धता में होल सेलर्स को भी दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है, निरंतर दो महीने तक देशव्यापी लॉकडाउन के कारण सेनेटरी पैड का होलसेल वितरण काफी प्रभावित हुआ है। फैक्ट्रियां बंद होने से इसका उत्पादन ठप पड़ा है। ऐसे में स्टॉक भी धीरे-धीरे खत्म हो रहा है।लॉकडाउन खुलने के बाद भी फैक्ट्रियों में मजदूर ना होने से दिक्कत आएगी।

कपड़ा हो सकता है विकल्प

रेगुलर सेनेटरी पैड के विकल्प के रूप में कपड़े से बने पैड को भी इस्तेमाल किया जा सकता है। पर कुछ जरूरी बातें ध्यान में रखनी होंगी। कपड़ों से बने पैड को 4-6 घंटे तक इस्तेमाल किया जाए। पैड बदलने से पूर्व एवं बाद में हाथों की सफाई की जाए। साफ सूती कपड़े से बने पैड ही इस्तेमाल में लाए जाएं।

सर्वे में निकल कर आई समस्या

वाटर ऐड इंडिया एंड डेवलपमेंट सॉल्यूशन द्वारा समर्थित मेंसट्रूअल हेल्थ अलायन्स इंडिया (एमएचएआई) द्वारा माहवारी स्वच्छता जागरूकता एवं उत्पाद से जुड़े संस्थानों से इस वर्ष के अप्रैल माह में सर्वेक्षण किया गया। एमएचएआई भारत में मासिक धर्म स्वास्थ्य और स्वच्छता पर काम करने वाले गैर सरकारी संगठनों, शोधकर्ताओं, निर्माताओं और चिकित्सकों का एक नेटवर्क है। माहवारी स्वच्छता जागरूकता एवं उत्पाद को लेकर एमएचएआई द्वारा कराये गए सर्वे में देश एवं विदेश के 67 संस्थानों ने हिस्सा लिया।इस सर्वे में निकल कर आया कि कोविड-19 के पहले माहवारी स्वच्छता जागरूकता एवं उत्पाद से जुड़े 89 प्रतिशत संस्थान सामुदायिक आधारित नेटवर्क एवं संस्थान के माध्यम से समुदाय तक पहुंच रहे थे, 61 प्रतिशत संस्थान स्कूलों के माध्यम से सेनेटरी पैड वितरित कर रहे थे, 28 प्रतिशत संस्थान घर-घर जाकर पैड का वितरण कर रहे थे, 26 प्रतिशत संस्थान ऑनलाइन एवं 22प्रतिशत संस्थान दवा दुकानों एवं अन्य रिटेल शॉप के माध्यम से सेनेटरी पैड वितरण कार्य में लगे थे। महामारी के बाद 67 प्रतिशत संस्थानों ने अपनी सामान्य कार्रवाई को रोक दिया है। कई छोटे एवं मध्य स्तरीय निर्माता सेनेटरी पैड नहीं बना रहे हैं। 25 प्रतिशत संस्थान ही निर्माण कार्य कर रहे हैं, 50प्रतिशत संस्थान आंशिक रूप से ही निर्माण कार्य कर पा रहे हैं।

नहीं मिल पा रहा कच्चा माल

सेनेटरी पैड निर्माण में इस्तेमाल होने वाला कच्चा माल दूसरे देशों से आयात होता है। विशेषकर माहवारी कप्स के आयात में काफी मुश्किलें आयी हैं, भारत और अफ्रीका के कई मार्केटर्स यूरोप में बने कप्स को ही खरीदते हैं ताकि आइएसओ की गुणवत्ता सुनिश्चित की जा सके।अब इनके आयात में समस्या आ रही है। डिस्पोजेबल सेनेटरी पैड के लिए जरूरी रॉ मेटेरियल वुड पल्प होता है, जिसकी उपलब्धता भी लॉकडाउन के कारण प्रभावित हुई है।

लॉक डाउन में महिलाओं के सामने सेनेटरी पैड की दिक्कत काफी आई है। शहरी से ज्यादा ग्रामीण इलाकों में यह समस्या ज्यादा है। ऐसे में युवतियां कपड़ा इस्तेमाल कर रही हैं जो सुरक्षित नहीं है। इससे संक्रमण का खतरा ज्यादा है। हम सेनेटरी पैड की होम डिलीवरी भी करा रहे हैं।

- डा. नरेंद्र मल्होत्रा, गायनाकोलोजिस्ट

कपड़े का इस्तेमाल अगर सुरक्षित होता तो सेनेटरी पैड का इस्तेमाल क्यों बढ़ता? कपड़े का इस्तेमाल तभी हो सकता है, जब सफाई का पूरा ध्यान रखा जाए। सेनेटरी पैड की वेडिंग मशीनों के बारे में प्रशासन को गंभीरता से सोचना होगा। वर्ना इस संक्रमण से महिलाओं को होने वाली समस्याएं विकराल रूप ले सकती हैं।

- डा. शिवानी चतुर्वेदी, गायनाकोलोजिस्ट

मैं पिछले तीन सालों से माहवारी जागरूकता के लिए काम कर रही हूं।अभी भी गांवों में सेनेटरी पैड को लेकर महिलाएं जागरूक नहीं है। हम तो नि:शुल्क वितरित कर रहे थे, अब लॉक डाउन में उन्हें उपलब्ध नहीं हो पा रहा है तो समस्या तो बढ़ी ही हैं।

- शीतल अग्रवाल, समाज सेवी 


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