Breast Feeding Week: कोरोना संक्रमित मां के दूध से नहीं है बच्चे को कोई खतरा
Breast Feeding Week डब्ल्यूएचओ का कहना है कोविड-19 संक्रमित मां बंद नहीं कराएं स्तनपान। आगरा में विश्व स्तनपान सप्ताह में एक से सात अगस्त तक होंगे जागरूकता कार्यक्रम।
आगरा, जेएनएन। कोरोना काल में इन दिनों यह देखने में आ रहा है कि डिलीवरी से पहले मां का कोविड टेस्ट कराया जा रहा है और यदि मां पॉजीटिव आ जाती हैं तो वे अपनेे बच्चे को संक्रमण होने के डर से स्तन पान नहीं करा रही हैं। यह महज एक भ्रांति है। विश्व स्वास्थ्य संगठन का स्पष्ट कहना है कि कोविड-19 संक्रमित मां के दूध से उनके शिशु को कोई खतरा नहीं है। आगरा जिले में एक से सात अगस्त के मध्य विश्व स्तनपान सप्ताह मनाया जा रहा है। इस सप्ताह गर्भवती महिलाओं व हाल ही में बच्चे को जन्म देने वाली माताओं को छह महीने की आयु तक के बच्चों को मांँ के दूध पिलाने के फायदे बताए जाएंगे।
इस बार थीम "स्वस्थ समाज के लिए स्तनपान का संकल्प" रखा गया है। जिले में महिला स्वास्थ्य कर्मी जिनमें ए.एन.एम. आशा और आंगनबाड़ी कार्यकत्री महिलाओं को जागरूक करेंगी। कोविड-19 को देखते हुए स्तनपान को लेकर कुछ महत्वपूर्ण बिंदु दिए गए हैं। जैसे शिशु को जन्म के एक घंटे के अंदर मांँ का दूध अवश्य पिलाएं और पहले छह महीने तक सिर्फ स्तनपान ही कराएं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार यदि मां कोविड -19 से संक्रमित है या उसकी संभावना है, तब भी मांँ शिशु को स्तनपान करा सकती है। यदि बच्चा बीमार है और वह कोविड -19 से संक्रमित है और यदि वह दूध पी पा रहा हो तो माँ अवश्य शिशु को स्तनपान कराएं।
स्तनपान करें सावधानी के साथ, संक्रमण से करें बचाव
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. आर.सी. पांडेय ने बताया अगर मांँ को बुखार खांँसी या सांस लेने में तकलीफ जैसे लक्षण है तो वह तुरंत डॉक्टर से संम्पर्क करें। डॉक्टर की बताई गई बातों का पालन करें। जब भी बच्चे के संम्पर्क में आयें तो मास्क अवश्य पहनें। छींकते और खाँसते समय अपने मुंँह को रूमाल या टिशु पेपर से ढकें । छींकने और खासने के बाद, बच्चे को अपना दूध पिलाने से पहले और बाद में अपने हाथों को साबुन और पानी से हाथों को 40 सेकंड तक धोयें या सैनेटाइजर से सेनेटाइज करें । किसी भी सतह को छूने से पहले उसे साबुन या सेनीटाइजर से अच्छी तरह साफ करें।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने बताया कि विश्व स्तनपान सप्ताह में महिलाओं को स्तनपान कराने के लिए प्रेरित किया जाएगा। इस सप्ताह महिलाओं को स्तनपान संबंधी भ्रांतियों को दूर भी किया जाएगा। शिशु के स्तनपान अधिकार के प्रति जागरूकता प्रदान करना भी इस सप्ताह को मनाने का उद्देश्य है। बच्चे को छह महीने तक मांँ का दूध जरूर पिलाना चाहिए।
स्तनपान से शिशु को फायदे
प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र जीवनी मण्डी की प्रभारी चिकित्सा अधिकारी डॉ. मेघना शर्मा ने बताया बौद्धिक स्तर में सुधार, शिशु और मांँ के बीच जुड़ाव, दस्त रोग निमोनिया कान व गले का संक्रमण आदि का खतरा कम होता है। मांँ के दूध में बच्चों के लिए प्रोटीन वसा कैलोरी लैक्टोज विटामिन लोहा खनिज पानी और एंजाइम पर्याप्त मात्रा में होते हैं। मांँ का दूध पचने में त्वरित और आसान होता है। बच्चे को संक्रमण से सुरक्षित करता है। बच्चे के मस्तिष्क के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
जिला स्वास्थ्य शिक्षा एवं सूचना अधिकारी अमित कुमार ने बताया कि स्तनपान का महत्व कोविड संक्रमण के दौरान और अधिक हो जाता है क्योकि स्तनपान रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है । प्रत्येक मांँ बल्कि कॉविड से ग्रसित मांँ को भी शिशु को अवश्य स्तनपान कराना चाहिए। अभी तक किसी भी शोध में यह नहीं साबित हुआ है कि वायरस मांँ के दूध से शिशु में पहुँच सकता है। बस मां को सावधानी बरतने की आवश्यकता है, जैसे शिशु को दूध पिलाने से पहले स्तनों को और स्वयं के हाथ साबुन से कम से कम ४० सेकंड तक धोना तथा चेहरे, नाक व मुंँह पर मास्क लगाना चाहिए। यदि मांँ बीमार है और दूध पिलाने में सक्षम नहीं है तो परिवार के किसी सदस्य के सहयोग से मांँ के दूध को एक साफ़ कटोरी में निकालने के बाद उसे चम्मच से पिलाना चाहिए ।