जवाहरबाग कांड: मारपीट प्रकरण में 43 आरोपितों को तीन-तीन वर्ष का कारावास
दो महिलाओं को किया गया दोषमुक्त, अदालत ने सुनाया फैसला। 15 मार्च 2016 में आलू खुदाई के दौरान की थी उद्यान कर्मियों से मारपीट।
मथुरा, जेएनएन। चर्चित जवाहरबाग कांड में आलू खुदाई के दौरान हुई मारपीट के मामले में सोमवार को अदालत ने 43 आरोपितों को तीन- तीन वर्ष के कारावास की सजा सुनाई है, जबकि दो महिला आरोपितों को दोषमुक्त कर दिया है। दो आरोपितों के पेशी पर न आने के कारण उनको सजा नहीं सुनाई जा सकी। इस प्रकरण में कुल 52 आरोपित थे, इनमें से पांच आरोपितों की फाइल अलग कर दी गई थी।
जवाहरबाग में कथित सत्याग्रहियों ने कब्जा कर लिया था। 15 मार्च 2016 को उद्यान विभाग के कर्मचारी आलू खोदने के लिए पहुंचे तो कथित सत्याग्रहियों ने आलू की खोदाई नहीं करने दी। कर्मचारियों ने इसका विरोध किया तो उनके साथ भी मारपीट कर दी। मारपीट के मामले 52 कथित सत्याग्रही आरोपित किए गए थे। जमानत के बाद दयाशंकर, कौशल, विमलादेवी, रामश्रृंगारी गैर हाजिर चल रहीं थी। इनके साथ अनूप की फाइल अलग कर दी गई थी। इसलिए कुल 47 आरोपितों की सुनवाई चल रही थी। अदालत ने पूनम बोस और श्यामवती को दोषमुक्त कर दिया। शेष 45 आरोपितों को दोषी माना और इसमें से 43 को तीन-तीन वर्ष के कारावास की सजा सुनाई। चंदनबोस फतेहपुर जेल और हरनाथ नैनी जेल होने के कारण आज पेशी पर नहीं आ सके। इसलिए उनको सजा नहीं सुनाई जा सकी। अभियोजन अधिकारी एसपी ङ्क्षसह ने बताया कि आलू खोदाई मारपीट में एसीजेएम द्वितीय सीनियर डिविजन जहेंद्र पाल की अदालत ने दो महिलाओं को दोषमुक्त कर दिया। 45 आरोपितों को दोषी माना है।
बाद में सुनाई जाएगी सजा
दो आरोपितों के पेशी पर न आने के कारण उन्हें सजा बाद में सुनाई जाएगी। बचाव पक्ष के अधिवक्ता एलके गौतम ने बताया कि चंदनबोस फतेहपुर और हरनाथ नैनी जेल से पेशी पर नहीं आ सके थे। मथुरा, आगरा, अलीगढ़ आदि जेलों से आरोपित पेशी पर आए थे।
यह हैं आरोपी
वीरेश, राकेश बाबू, रामायण, योगेंद्र, वेदप्रकाश, विमल कुमार, अमर, अमरजीत, विपिन कुमार, नेतराम, शिवकुमार, उत्तम कुमार, तुलसीराम, रामअवध, राजेश, ओमवीर, यजमान, हजारीलाल, ङ्क्षमटू, प्रमोद, संजय, पूरन तिवारी, सीताराम, कामेश्वर, वेदप्रकाश, अनिल, भोलानाथ, अनिरूद्ध, नरेश ङ्क्षसह, सियाराम, राजनारायण, रामनरेश, अंगद प्रसाद, उजागरलाल, रविकांत, विनय कुमार आदि को अदालत ने दोषी माना है।
सजा सुनते ही मुरझा गए चेहरे
अदालत ने जैसे ही कथित सत्याग्रहियों को तीन-तीन साल की सजा सुनाई, उनके चेहरे मुरझा गए। वे एक दूसरे से आंख तक नहीं मिला पा रहे थे। कई आरोपितों की आंखें नम हो गई थी।
दरअसल, जवाहर बाग पर रामवृक्ष यादव ने वर्ष 2014 में कब्जा कर लिया था। उद्यान विभाग के कर्मचारियों को मारपीट कर बाहर निकाल दिया। तमाम पेड़ काट डाले थे। आलू की फसल को भी खोद कर रख लिया था। दो साल बाद जवाहर बाग को खाली कराने की कार्रवाई चल रही थी। इसी बीच जवाहर बाग की निगरानी करने के लिए गई पुलिस पर कथित सत्याग्रहियों ने हमला बोल दिया। ङ्क्षहसा में एसपी सिटी मुकुल द्विवेद्वी और एसओ फरह संतोष कुमार शहीद हो गए थे। 28 कथित सत्याग्रही भी मारे गए थे। इस मामले की जांच सीबीआइ कर रही है। सोमवार को जिन आरोपितों को सजा सुनाई गई है, वह सभी उद्यान विभाग के कर्मचारियों के मारपीट के मामले में आरोपित हैं।
सुरक्षा के कड़े किए इंतजाम
आरोपितों के पेशी पर आने को लेकर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए थे। पेट्रोल पंप से पोस्ट ऑफिस मार्ग पर स्थित कचहरी के गेट को बंद कर दिया गया था। पुलिस बल तैनात किया गया था। अदालत का फैसला आने तक पुलिस मुस्तैद बनी रही। कड़ी सुरक्षा के बीच अभियुक्तों को जेल भेज दिया गया।