Operation RTPCR: ना करिए सरकारी रिपोर्ट का इंतजार, कोरोना कर लेगा शिकार
Operation RTPCR पांच दिनों में आ रही है आरटीपीसीआर जांच की रिपोर्ट। बढ़ रहा है संक्रमण। फीरोजाबाद में रिपोर्ट आने से पहले कई लोग गवां चुके हैं जान सामने आई विभाग की लापरवाही। प्राइवेट जांच लैब की फीस में भी अंतर सामने आया।
आगरा, डा. राहुल सिंघई। केस एक- शिकोहाबाद के एटा रोड पर रहने वाले 40 वर्षीय पोल्टी फार्म डीलर की तबीयत खराब होने पर 30 अप्रैल को आरटीपीसीआर की जांच के लिए सैम्पल दिया। कारोबारी परिवार के साथ रहते रहे। स्वास्थ्य विभाग ने न कोई हिदायत दी और न दवाई। 4 मई को एमएमएस पर बताया गया कि वे कोरोना पाजिटिव हैं। उनके बेटे को खांसी है। कहने के बाद भी पत्नी बेटे की जांच को कोई नहीं पहुंचा।
केस दो- फीरोजाबाद शहर के रामनगर में रहने वाली 28 वर्षीय युवती की तबीयत खराब होने पर 24 अप्रैल को आरटीपीसीआर जांच के लिए सैम्पल दिया गया। हालत बिगड़ती गई और आठ दिन बाद स्वास्थ्य विभाग ने बताया कि उन्हें कोरोना है। सरकारी कोविड हास्पिटल में भर्ती कराया गया, जहां तीन मई को दम तोड़ दिया।
केस तीन--शिकोहाबाद के रहने वाले सरकारी विभाग के इंजीनियर ने 30 अप्रैल को कोरोना की जांच के लिए सैम्पल दिया। उसके बाद वे रोजे से रहे और बच्चों के साथ पार्क में घूमते रहे। तीन मई को स्वास्थ्य विभाग की रिपोर्ट में वे काेविड संक्रमित बताए गए। परिवार के साथ बरेली गए और वहां उनकी मौत हो गई।
केस चार--टूंडला के रेलवे कर्मचारी ने तबीयत बिगड़ने पर 25 अप्रैल नगर की प्राइवेट लैब में कोविड की जांच कराई। इसके लिए 1200 रुपये फीस दी। दो दिन बाद वे पाजिटिव निकले। स्वास्थ्य विभाग की तीन मई को रिपोर्ट आई, जिसमें उनका नाम पाजिटिव की सूची में शामिल किया गया। स्वास्थ्य विभाग ने पूछा, लेकिन दवाई नहीं पहुंचाई।
ये चार मामले सरकार की जांच रिपोर्ट में लापरवाही के साथ-साथ हम सबको डराने वाले हैं। अगर आपको बुखार और खांसी है और आपने कोरोना की जांच के लिए सैम्पल दिया है तो सरकारी लैब की रिपोर्ट आने का इंतजार मत करिए। जब तक आपकी रिपोर्ट आएगी, तब तक आपको कोरोना मौत के मुहाने तक ले सकता है। इलाज के हालात खराब हैं। बैड और आक्सीजन मिलना मुश्किल है। इसलिए रिपोर्ट का इंतजार करने के बजाए आप इलाज शुरू करिए। विशेषज्ञ बताते हैं कि यदि पहले तीन दिन समुचित इलाज लिया जाए तो कोरोना की घातक स्थिति से बचा जा सकता है। जांच रिपोर्ट की लगातार बढ़ रही पेंडेंसी के बाद जागरण ने ‘Operation RTPCR’ के तहत पड़ताल हर रोज आने वाली स्वास्थ्य विभाग की रिपोर्ट में शामिल संक्रमितों से फोन पर बात की। बातचीत में बताया कि रिपोर्ट आने तक स्वास्थ्य विभाग की ओर से कोई जानकारी नहीं ली गई न दवा दी गई। बातचीत में कुछ ऐसे भी लोग थे जो परिवार के सदस्यों के साथ रह रहे थे और बाजार में भी घूम रहे थे। अब परिवार के अन्य सदस्य भी बीमार हो चुके हैं। वहीं कई ऐसे लोग मिले तो प्राइवेट इलाज लेकर घर पर हैं। स्वास्थ्य विभाग ने उन्हें तब संपर्क किया, जब तक कि वे कोविड का पांच दिनों का कोर्स ले चुके थे।
बोले एसीएमओ जनता भी करे सहयोग
फीरोजाबाद के एसीएमओ डा.प्रताप सिंह से जब इस संबंध में बात की गई तो उनका कहना था कि सैम्पल लेने वाली टीम संबंधित व्यक्ति को जांच रिपोर्ट आने तक आइसोलेट होने को कहती है। बीमारी के लक्षण पाए जाने पर दवा भी दी जाती है। अगर दवा नहीं मिली तो संबंधित व्यक्ति स्वास्थ्य केंद्र पर जाकर दवा ले ले। यह महामारी से लड़ाई है, जिसके लिए स्वास्थ्य विभाग अकेला कुछ नहीं कर सकता। जनता को भी सहयोग करना होगा।
आगरा और टूंडला की प्राइवेट लैब में फीस में अंतर
जागरण ने स्वास्थ्य विभाग की रिपोर्ट के आधार पर पड़ताल की तो प्राइवेट जांच लैब की फीस में भी अंतर सामने आया। टूंडला की पैथ काइंड लैब कोरोना की जांच कर रही है। इस लैब में जांच कराने वाले टूंडला के रेलकर्मी और बैंक कर्मी ने बताया कि जांच के लिए उन्होंने 1200 रुपये फीस के दिए। वहीं 24 अप्रैल को आगरा की पैथ काइंड लैब में कोरोना की जांच करने वाले शिकोहाबाद निवासी इंजीनियर ने बताया कि 900 रुपये फीस लगी थी। सीएमओ का कहना है कि लैब आइसीएमआर की अनुमति से जांच कर रहीं है। उनसे न तो अनुमति ली गई और न ही रेट के संबंध में कोई जानकारी दी गई है।
अटकती जांच-उखड़ती सांस
तारीख---पैंडेंसी-------संक्रमित
27 अप्रैल---3351---225
28 अप्रैल-- -3934----214
29 अप्रैल---2858-----116
30अप्रैल---5747-----120
एक मई---7092----191
दो मई -6575----102
तीन मई--5813----87
चार मई--4800---130
‘कोरोना की आरटीपीसीआर जांच स्वशासी राजकीय मेडिकल कालेज की लैब में होती है। 24 से 48 घंटे के बीच रिपोर्ट आना चाहिए, लेकिन सैम्पलिंग बढ़ने के कारण पैंडेंसी बढ़ रही है। इसके लिए मेडिकल कालेज प्राचार्या को पत्र भेजा गया है। आरटीपीसीआर जांच का सैम्पल लेने के बाद संबंधित व्यक्ति को आइसोलेट होने को कहा जाता है। उन्हें दवा दिए जाने का प्राविधान भी है। इसके संबंध में जानकारी ली जाएगी।
’डा. नीता कुलश्रेष्ठ सीएमओ, फीरोजाबाद
जागरण की सलाह
- जांच रिपोर्ट का इंतजार न करें। परिवार से खुद को अलग कर लें।
- लक्षण के आधार पर सरकारी स्वास्थ्य केंद्र या क्वालीफाइड डाक्टर से दवाई लें।
- दिन में हर तीन घंटे में बुखार और आक्सीजन लेवल चेक कर चार्ट बनाएं।
- सरकार की ओर से दवा न आने पर तत्काल कोविड हेल्पलाइन पर संपर्क करें।
- बुखार कम न होने और आक्सीजन का लेवल 90 होने पर तत्काल अस्पताल पहुंचें।