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Coronavirus Vaccine: तैयारियों के बावजूद SNMC में नहीं हो सका कोरोना वैक्सीन का ट्रायल

Coronavirus Vaccine एम्स दिल्ली पटना सहित एसएन मेडिकल कालेज को ट्रायल के लिए चुना गया। 350 स्वस्थ्य लोगों पर होना था ट्रायल 22 वालेंटियर हो गए थे तैयार। इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आइसीएमआर) ने एसएन में ट्रायल की अनुमति नहीं दी।

By Tanu GuptaEdited By: Published: Sat, 21 Nov 2020 08:39 AM (IST)Updated: Sat, 21 Nov 2020 08:39 AM (IST)
Coronavirus Vaccine: तैयारियों के बावजूद SNMC में नहीं हो सका कोरोना वैक्सीन का ट्रायल
आइसीएमआर ने एसएन में ट्रायल की अनुमति नहीं दी।

आगरा, जागरण संवाददाता। कोरोना की देसी वैक्सीन का ह्रयूमन ट्रायल (स्वस्थ लोगों में अध्ययन) एसएन मेडिकल कॉलेज में नहीं हो सका। उत्तर प्रदेश के राजकीय मेडिकल कॉलेजों में एसएन मेडिकल कॉलेज पहला संस्थान है, जिसे वैक्सीन के ह्रयूमन ट्रायल के लिए चुना गया है। मगर, यहां पहले, दूसरी और तीसरे चरण में भी वैक्सीन का ट्रायल शुरू नहीं हो सका। इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आइसीएमआर) ने एसएन में ट्रायल की अनुमति नहीं दी।

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कोरोना वैक्सीन का ह्रयूमन ट्रायल जुलाई में एम्स, दिल्ली, पटना सहित देश के 12 संस्थानों में वैक्सीन का पहले चरण का ह्रयूमन ट्रायल किया गया। इसके साथ ही पहले चरण के ह्रयूमन ट्रायल के लिए उत्तर प्रदेश के राजकीय मेडिकल कॉलेजों में एसएन मेडिकल कॉलेज को ही चुना गया है। मगर, ट्रायल के लिए तैयारी की गई, उससे पहले ही पहला चरण पूरा हो गया। इसके बाद दूसरे चरण के लिए एसएन में तैयारी की गई, लेकिन आइसीएमआर ने अनुमति नहीं दी। अब तीसरे चरण का ट्रायल शुरू हो रहा है। एसएन मेडिकल कालेज के कोरोना वैक्सीन ट्रायल के प्रभारी डा बलवीर सिंह ने बताया कि आइसीएमआर ने तीसरे चरण के ट्रायल के लिए भी अनुमति नहीं दी है। देश भर में यह ट्रायल चल रहा है, प्रारभिकता पर बडे संस्थान रखे गए हैं। एसएन में 400 स्वस्थ्य लोगों पर ट्रायल होना था, 22 वालेंटियर ट्रायल में शामिल होने के लिए तैयार हो गए थे। मगर, अब यहां ट्रायल नहीं हो रहा है।

डबल ब्लाइंड तकनीकी से होना था ह्रयूमन ट्रायल, डॉक्टर भी होते शामिल

एसएन में वैक्सीन का 18 से 50 साल की उम्र के 400 स्वस्थ लोगों पर ह्रयूमन ट्रायल होना था। ट्रायल में शामिल वॉलेंटियर्स को वैक्सीन की पहली डोज के बाद दूसरी डोज 14 दिन बाद लगाई जाती। इसमें डबल ब्लाइंड तकनीकी का भी इस्तेमाल किया जा रहा है, इस तकनीकी में ट्रायल में शामिल कुछ लोगों को वैक्सीन की जगह प्लेसीबो (वैक्सीन नहीं लगाई जाएगी ) की डोज दी जाती है। मगर, यह ट्रायल में शामिल लोग को पता नहीं होता है। वैक्सीन की दो डोज लगाने के बाद कोई साइड इफेक्ट, एलर्जिक रिएक्शन तो नहीं हैं, यह देखा जाता है। वैक्सीन लगाने के बाद ट्रायल में शामिल होगों में कोरोना की एंटीबाडीज की जांच होती है, एंटीबाडीज कितनी मात्रा में और कितने समय के लिए बनी हैं, इसका रिकॉर्ड रखा जाता है। 


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