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खेत में हुई खोदाई के बाद मैनपुरी में मिले तांबे से बने 4 हजार साल पुराने हथियार, ताम्र पाषाण काल से है संबंध

ताम्र पाषाण काल के हैं मैनपुरी में मिले शस्त्र। ताम्र निधियों के चार हजार साल पुराना होने का अनुमान। 77 प्राचीन शस्त्रों का किया जा रहा है तीन स्तरीय परीक्षण। इटावा जिले के सैफई क्षेत्र में भी ताम्र निधि मिल चुकी है।

By Tanu GuptaEdited By: Published: Fri, 24 Jun 2022 07:03 PM (IST)Updated: Fri, 24 Jun 2022 07:03 PM (IST)
खेत में हुई खोदाई के बाद मैनपुरी में मिले तांबे से बने 4 हजार साल पुराने हथियार, ताम्र पाषाण काल से है संबंध
ताम्र पाषाण काल के हैं मैनपुरी में मिले ये शस्त्र।

आगरा, दिलीप शर्मा। ऋषियों की तपोस्थली कहा जाना वाला मैनपुरी जिला ताम्र पाषाण काल में भी आबाद था। कुरावली क्षेत्र में पिछले दिनों मिले प्राचीन शस्त्रों के प्रारंभिक परीक्षण से ऐसे ही संकेत मिले हैं। उस काल में लोग तांबे के बने शस्त्रों का प्रयोग करते थे। अनुमान हैं कि सभी शस्त्र करीब चार हजार साल पुराने हैं। इनके साथ मिले मृदभांड (मिट्टी के बर्तन) भी उसी काल के हैं। अब भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) इन ताम्र निधियों के तीन स्तरीय परीक्षण कर रहा है।

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कुरावली क्षेत्र के गांव गनेशपुर में 11 जून को बहादुर सिंह फौजी के खेत के समतलीकरण के दौरान प्राचीन शस्त्रों का जखीरा मिला था। मयन ऋषि, च्यवन ऋषि, मार्कंडेय ऋषि आदि की तपोस्थली रहे मैनपुरी में नौवीं-दसवीं सदी के पुरावशेष पहलेे भी मिल चुके हैं। परंतु एएसआइ के अनुसार, इस बार मिले शस्त्र और मृदभांड उनसे भी प्राचीन हैं। प्राचीन शस्त्रों के मिलने के बाद एएसआइ की टीम ने खेत में नौ दिन तक खोदाई की। इस दौरान वहां बर्तन पकाने की भी और एक चूल्हा भी मिला। भट्टी के अंदर दभांड (मिट्टी के बर्तन) भी मिले। इनमें कलश, कटोरे के साथ अन्य बर्तनों के टुकड़े शामिल हैं।

कई प्रकार हैं भाले और तलवारें

मैनपुरी में कुल 77 ताम्र निधियां मिली हैं। इनमें चार प्रकार की तलवार शामिल हैं। इतने ही प्रकार के भाले और अन्य शस्त्र भी हैं। इनके साथ कुछ मानव आकृति की ताम्र निधियां भी मिली हैं।

इस तरह ताम्र निधियों को परखेगा एएसआइ

प्राचीन शस्त्रों के परीक्षण के लिए एएसआइ तीन तरीके अपनाता है। इनमें सबसे पहले इन पर लगी मिट्टी हटाकर डाक्यूमेंटेशन किया जाता है। इसके बाद आगरा किला स्थित एएसआइ की केमिकल ब्रांच में रासायनिक तरीके से सफाई कर जांच की जाती है। यहां से वापस आने के बाद पुरातात्विक दृष्टिकोण से इनको फिर जांचा जाता है।

मैनपुरी में मिलीं ताम्र निधियों के ताम्र पाषाण युग के होने का अनुमान है। यह सिंधु घाटी सभ्यता के बाद का युग था। हालांकि अभी तीन स्तरीय जांच चल रही है, जो एक से दो महीने में पूरी होगी। इसके बाद ही स्पष्ट निष्कर्ष सामने आएगा।

- राजकुमार पटेल

अधीक्षण पुरातत्वविद, आगरा सर्किल

70 साल पहले सैफई में मिला था समकालीन शस्त्र

मैनपुरी से पहले इटावा जिले के सैफई क्षेत्र में भी ताम्र निधि मिल चुकी है। एएसआइ के मुताबिक, करीब 70 साल पहले वहां ताम्र पाषाणयुगीन एक तलवार मिली थी। इससे भी मैनपुरी में मिले शस्त्रों के ताम्र पाषाण युगीन होने की संभावना प्रबल हो रही है। 


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