लखनऊ एक्सप्रेस वे में सामने आ रहा है मुआवजे का खेल
एक्सप्रेस वे में सदर और फतेहाबाद तहसील के तीन दर्जन गांवों की 345 हेक्टेअर जमीन की खरीद हुई थी, शासन के आदेश पर मामले की जांच शुरू हुई।
आगरा (जागरण संवाददाता)। आगरा एक्सप्रेस वे में जिस बात की आशंका थी, वो सच साबित हुई है। इसकी प्रारंभिक जांच रिपोर्ट में जमीन खरीद का खेल पाया गया है। कुछ लोगों ने किसानों से पहले ही जमीन खरीद ली, जिसका बाद में महंगा मुआवजा उठाया। माना जा रहा है कि जमीन के खरीददारों को योजना की पहले ही जानकारी हो गई थी।
देश के सबसे लंबे एक्सप्रेस वे की जमीन खरीद को लेकर सवालिया निशान लग रहे थे। भाजपा सरकार ने मामले की जांच के आदेश दिए थे। एक्सप्रेस वे में सदर और फतेहाबाद तहसील के तीन दर्जन गांवों की 345 हेक्टेअर जमीन की खरीद हुई थी। शासन के आदेश पर मामले की जांच शुरू हुई।
दो सप्ताह तक चली जांच में तहसीलों में दो-दो दर्जन किसानों को बुलाया गया। इनकी जमीनों की रजिस्ट्री व खसरा-खतौनी भी निकलवाई गईं। अधिकारियों की टीम ने किसानों से जमीन बिक्री और बैंक डिटेल सहित अन्य सवाल पूछे थे। जांच में पता चला कि किसानों के बैंक खाते में करोड़ों रुपये आते ही इसे निकालने में भी देरी नहीं की। रुपये की क्या जरूरत पड़ गई?
इसे कहां खर्च किया गया? इस तरह के सवालों पर किसानों के जवाब संतोषजनक नहीं पाए गए। कुछ किसानों को पहले ही जमीन खरीदने वालों की ओर से प्रति हेक्टेअर के हिसाब से हुआ नकद भुगतान भी सवालों के घेरे में है।
आधा दर्जन किसानों ने वर्ष 2014 के आसपास जमीन बेची है। इन किसानों को योजना से संबंधित कोई जानकारी नहीं थी। जांच में पाया गया कि किसानों ने जमीन बिक्री की जो रकम बताई और रजिस्ट्री में जो रकम अंकित थी, उसमें पांच लाख हेक्टेयर तक का अंतर है।
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क्या कहते हैं अधिकारी: एसडीएम सदर रजनीश मिश्रा कहते हैं, जो भी कमियां मिली हैं, उसकी फाइनल रिपोर्ट डीएम को भेजी जा रही है।
वहीं एसडीएम फतेहाबाद अजीत कुमार ने बताया, किसानों के बयान दर्ज कर लिए गए हैं जबकि कुछ ने बहुत ज्यादा जानकारी नहीं दी है।
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