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NGT: सूर सरोवर पक्षी विहार के ईको सेंसिटिव जोन की जांच करेगी समिति

एनजीटी में हिंदुस्तान और आनंद काॅलेज से संबंधित मामले पर हुई सुनवाई। पर्यावरण मंत्रालय ने एफीडेबिट दाखिल कर राज्य सरकार को जिम्मेदार ठहराया।

By Prateek GuptaEdited By: Published: Sat, 19 Sep 2020 04:38 PM (IST)Updated: Sat, 19 Sep 2020 04:38 PM (IST)
NGT: सूर सरोवर पक्षी विहार के ईको सेंसिटिव जोन की जांच करेगी समिति
NGT: सूर सरोवर पक्षी विहार के ईको सेंसिटिव जोन की जांच करेगी समिति

आगरा, जागरण संवाददाता। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) में सूर सरोवर पक्षी विहार के ईको सेंसिटिव जोन में हिंदुस्तान और आनंद काॅलेज के निर्माण से संबंधित याचिका पर सुनवाई हुई है। पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (एमओईएफसीसी) ने एफीडेबिट दाखिल कर ईको सेंसिटिव जोन का दायरा तय नहीं होने के लिए उप्र सरकार को जिम्मेदार ठहराया है। एनजीटी ने समिति गठित करने व तीन माह में रिपोर्ट दाखिल करने के निर्देश दिए हैं।

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सूर सरोवर पक्षी विहार के ईको सेंसिटिव जोन में हिंदुस्तान इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी एंड मैनेजमेंट और आनंद इंजीनियरिंग कॉलेज के निर्माण के खिलाफ पर्यावरणविद् डीके जोशी ने एनजीटी में वाद दायर किया था। उनके निधन के बाद इस वाद में अधिवक्ता उमाशंकर पटवा द्वारा पैरवी की जा रही है। शुक्रवार को एनजीटी के चेयरमैन न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल द्वारा इस मामले पर सुनवाई की गई। एमओईएफसीसी द्वारा एफीडेबिट दाखिल कर कहा गया है कि पक्षी विहार के ईको सेंसिटिव जोन पर उप्र सरकार द्वारा स्थिति स्पष्ट नहीं की जा रही है, जबकि उसे कई पत्र भेजे जा चुके हैं। पक्षी विहार के ईको सेंसिटिव जोन के नोटिफिकेशन के खिलाफ डॉ. शरद गुप्ता ने सुप्रीम कोर्ट में वाद दायर कर रखा है, जिसमें नौ अक्टूबर को सुनवाई होनी है। एनजीटी ने सूर सरोवर पक्षी विहार के जंगल व झील की स्थिति स्पष्ट करने को तीन सदस्यीय समिति गठित करने के निर्देश दिए। इसमें उप्र वाइल्ड लाइफ, केंद्रीय वाइल्ड लाइफ और एमओईएफसीसी के अधिकारी या विशेषज्ञ शामिल रहेंगे।

गोलमोल रिपोर्ट दी थी

एनजीटी ने 13 दिसंबर, 2019 को एमओईएफसीसी से सूर सरोवर पक्षी विहार के ईको सेंसिटिव जोन में बने हिंदुस्तान इंस्टीट्यूट अॉफ टेक्नोलॉजी और आनंद इंजीनियरिंग कॉलेज पर स्पष्ट रिपोर्ट मांगी थी। एनजीटी में जमा की गई रिपोर्ट में पक्षी विहार का पूरा क्षेत्र 403.09 हेक्टेअर नीली लाइन से दिखाया गया था। प्रस्तावित ईको सेंसिटिव जोन 1020.25 हेक्टेअर रेखांकित किया गया था। रिपोर्ट से स्थिति स्पष्ट नहीं हो पा रही थी। यहां लागू नियमों को लेकर एनजीटी द्वारा मांगी गई रिपोर्ट दाखिल नहीं की गई थी। चार सितंबर को सुनवाई करते हुए एनजीटी ने एमओईएफसीसी के संयुक्त सचिव को 18 सितंबर की सुनवाई में तलब किया था।

सुप्रीम कोर्ट में नहीं हो सकी सुनवाई

शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे की बेंच में सूर सरोवर पक्षी विहार के ईको सेंसिटिव जोन के निर्धारण में की गई गड़बड़ी से संबंधित डॉ. शरद गुप्ता की याचिका पर सुनवाई प्रस्तावित थी। डॉ. शरद गुप्ता ने बताया कि सुनवाई नहीं हो सकी है। इसमें अगली तिथि अक्टूबर की दी गई है।


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