11 महीने बाद 11 को ही टूटी कोरोना की चेन
11 फरवरी को आगरा में नहीं मिला था कोरोना का एक भी केस मार्च 2020 में मिला था पहला केस अप्रैल में तेजी से बढ़ी थी केसों की संख्या
आगरा, जागरण संवाददाता। विगत 11 फरवरी को 11 महीने बाद आगरा में कोरोना का एक भी नया केस सामने नहीं आया था। यहां पहला केस पिछले साल मार्च में आया था। अप्रैल में केसों की संख्या तेजी से बढ़ी थी। मंगलवार को कोविड अस्पताल खाली होने से चिकित्सकों और प्रशासन ने राहत की सांस ली है।
कोरोना का पहला केस आठ मार्च को सामने आया था। उसके बाद मार्च में ही कोरोना के 12 केस आए। अप्रैल में श्री पारस हास्पिटल के संपर्क में आए लोग और जमात से जुड़े लोगों में कोरोना की पुष्टि हुई। उसके बाद मई और जून में यह स्थिति हो गई कि हर दिन 10 केस सामने आने लगे। सितंबर का महीना सबसे भारी गुजरा, जब एक दिन में 100 से अधिक केस मिले। अक्टूबर के बाद से कोरोना मरीजों की संख्या कम होने लगी। जनवरी में एक दिन में कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या 10 से नीचे पहुंच गई। फरवरी में संख्या और नीचे आई और एक दिन में पांच से कम केस दर्ज होने लगे। अब तक कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या 10513 रही है। इनमें से 10326 मरीज स्वस्थ होकर घर जा चुके हैं। 174 की मृत्यु हो चुकी है। सक्रिय केसों की संख्या 14 है। पांच लाख से ज्यादा हुए टेस्ट
एसएन मेडिकल कालेज के माइक्रोबायालोजी विभाग में बनी कोविड-19 टेस्टिग लैब में पांच लाख से ज्यादा आरटी-पीसीआर टेस्ट हो चुके हैं। वर्तमान में भी यह लैब काम कर रही है।
लंग कैंसर के मरीज ने दी कोरोना को मात : एसएन मेडिकल कालेज के कोविड अस्पताल से विदा होने वाला आखिरी मरीज लंग कैंसर से पीड़ित था। इस मरीज का कोरोना संक्रमण को मात देकर स्वस्थ होना किसी चमत्कार से कम नहीं है। चिकित्सकों ने मरीज के स्वस्थ होने पर राहत की सांस ली। प्राचार्य ने सभी चिकित्सकों को बधाई दी।
बाह के जरार का रहना वाला यह मरीज पिछले कुछ समय से लंग कैंसर से पीड़ित चल रहा था। विगत 12 फरवरी को एसएन मेडिकल कालेज के कोविड अस्पताल में उसे भर्ती कराया गया, इससे पहले उसका इलाज एक निजी अस्पताल में चल रहा था। इलाज के दौरान ही उसके कोरोना संक्रमित होने की जानकारी मिली। कोविड अस्पताल प्रभारी डा. प्रशांत गुप्ता ने बताया कि जिस समय मरीज को भर्ती कराया गया, उसके फेंफड़ों में पानी भरा हुआ था। सबसे पहले फेंफड़ों से पानी निकाला गया। आक्सीजन का स्तर भी काफी कम था। मरीज को आक्सीजन देनी पड़ी। डा. गुप्ता ने बताया कि कोरोना संक्रमित होने के कारण उसका कैंसर का इलाज रोक दिया गया। सबसे पहले कोरोना संक्रमण पर ध्यान दिया गया। चार दिन के इलाज में मरीज की रिपोर्ट नेगेटिव आ गई। फिलहाल मरीज को मेडीसिन विभाग में स्थानांतरित कर दिया गया है, जहां कैंसर विभाग के सहयोग से इलाज चलेगा। प्राचार्य डा. संजय काला ने चिकित्सकों को बधाई दी।