Thanks to Doctors: सलाम! न दिन देखा न रात, कोविड हो गया फिर भी नहीं भूले मरीजों की सुरक्षा
Thanks to Doctors आगरा में ग्लोबल पेशेंट सेफ्टी दिवस पर कोविड-19 हॉस्पिटल्स में ड्यूटी पर लगे चिकित्सकों के सेवाभाव के प्रति जताया गया आभार।
आगरा, जागरण संवाददाता। कहते हैं भगवान के बाद यदि कोई है तो वे हैं चिकित्सक। मानवता की सेवा के प्रति समर्पित इन्हें धरती का भगवान भी यूं ही नहीं कहा जाता। कोविड-19 संक्रमण का विषम दौर पूरी दुनिया में छाया हुआ है। जहां परिवार के लोग भी अपनों की सेवा नहीं कर पा रहे, वहां चिकित्सक न दिन देख रहे हैं और न रात। कोरोना वायरस के शिकार हुए लोगों को स्वस्थ करने में खुद और परिवार की चिंता भी भूल बैठे हैं। हर साल 17 सितम्बर को ग्लोबल पेशेंट सेफ्टी दिवस मनाया जाता है। इलाज के दौरान बरती जाने वाली असावधानियों के बारे में जागरूक करने के लिये इसे मनाया जाता है। इस बार कोविड-19 के दौर में स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को संक्रमण के साथ भेदभाव, मनोवैज्ञानिक दवाब और इस बीमारी को झेलना पड़ रहा है। ऐसे में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इस बार ग्लोबल पेशेंट सेफ्टी दिवस की थीम 'मरीजों की सुरक्षा के लिए स्वास्थ्यकर्मियों की सुरक्षा जरूरी' रखा है।
आगरा जनपद में भी कोविड-19 के संक्रमण की रोकथाम और मरीजों के उपचार में स्वास्थ्यकर्मी 24 घंटे सेवारत हैं। वह लगातार सुरक्षा के इंतजामों के साथ मरीजों का उपचार कर रहे हैं। एेसे में कुछ स्वास्थ्यकर्मी, मरीजों का उपचार करते-करते कोविड-19 के संक्रमण की चपेट में भी आ गए। इसके बावजूद वह होम आइसोलेशन में रहते हुए फोन के माध्यम से मरीजों के उपचार हेतु जरूरी सूचनाएं अपने अन्य साथियों को दे रहे हैं। इस विषम दौर से मुक्ति पाने के लिए उनके सेवाभाव के प्रति कृतज्ञता भी जाहिर की जा रही है। ग्लोबल पेशेंट सेफ्टी दिवस पर आगरावासियों ने भी आभार जताया। ताजनगरी में कोविड-19 की ड्यूटी में लगे कुछ चिकित्सकों की बात हम भी करते हैं-
डॉ. संजय काला
सरोजिनी नायडू मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल भी बीते दिनों कोविड-19 की चपेट में आ गये थे। उनकी तबियत बिगड़ गई थी। रिपोर्ट आने के बाद उन्हें होम आइसोलेट होना पड़ा। उनके ऊपर कोविड-19 के मरीजों के उपचार की महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां थीं। उन्होंने होम आइसोलेशन में रहते हुए ही फोन के माध्यम से सारी जानकारी प्राप्त की। वे लगातार फोन पर ही मीटिंग करते थे और जरूरी दिशा-निर्देश देते थे। वे मरीजों के प्रति अपनी जिम्मेदारी को बिल्कुल नहीं भूले। उन्होंने स्वयं कोविड-19 को मात दी और साथ में अस्पताल की व्यवस्थाओं को भी दुरूस्त रखा।
डॉ. अजीत सिंह चाहर
सरोजिनी नायडू मेडिकल कॉलेज के मेडिसिन विभाग के डॉ. अजीत सिंह चाहर कोविड अस्पताल में लगातार मरीजों का इलाज कर रहे थे। बीती 21 अगस्त को वे कोविड पॉजिटिव हो गये। इसके बाद उन्हें होम आइसोलेट होना पड़ा। लेकिन तब भी कोविड वार्ड में वे कुछ पेशेंट्स का इलाज कर रहे थे। उन्होंने इस दौरान फोन के माध्यम से अपने साथियों को मरीजों की हालत के आधार पर उपचार बताया और मरीजों के स्वास्थ्य की लगातार जानकारी ली।
डॉ. प्रभात अग्रवाल
सरोजिनी नायडू मेडिकल कॉलेज के मेडिसिन विभाग के प्रोफेसर डॉ. प्रभात अग्रवाल भी छह सितंबर को कोविड की चपेट में आ गये थे। उन्हें होम आइसोलेट होना पड़ा। लेकिन उनके निर्देशन में बीते दिनों एडमिट हुए 16 मरीजों का उन्होंने फोन के माध्यम से ही फॉलो-अप लिया और अपने साथियों को मरीज के स्वास्थ्य के आधार पर उपचार में बदलाव इत्यादि भी कराया। उन्होंने होम आइसोलेशन में रहते हुए फोन के माध्यम से अपने निर्देशन में मरीजों का इलाज कराया।
चिकित्सकों से न करें भेदभाव
कोविड-19 के इस महामारी के दौर में पूरी दुनिया में चिकित्सकों से भेदभाव के मामले देखने को मिले हैं। 'कोविड-19 महामारी से आज पूरा देश लड़ रहा है पर याद रहे कि हमें बीमारी से लड़ना है, बीमार से नहीं। उनसे भेदभाव न करें और उनकी देखभाल करें। इस बीमारी से बचने के लिए जो हमारे ढाल हैंं, जैसे हमारे डॉक्टर्स, स्वास्थ्यकर्मी, पुलिसकर्मी और सफाईकर्मी, उनका सम्मान करें और उनका पूरा सहयोग करें।' क्योंकि जब स्वास्थ्यकर्मी सुरक्षित होंगे तो मरीजों की सुरक्षा की भी प्राथमिकता तय होगी।