फतेहपुर सीकरी में बुलंद दरवाजा के पत्थर अब और हो गए ‘बुलंद’ Agra News
एएसआइ की रसायन शाखा ने किया रासायनिक संरक्षण। अब 8 से 10 वर्षो तक रखरखाव की नहीं होगी जरूरत।
आगरा, जागरण संवाददाता। मुगलिया सल्तनत की बुलंद गवाही देने वाला बुलंद दरवाजा अब अधिक समय तक सलामत रहेगा। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की रसायन शाखा से मिले उपचार के बाद इन्हें अधिक ताकत मिल गई है। एक विशेष लेप लगाकर पत्थरों को मजबूती दी गई है। एक वर्ष से चल रहा काम अब अंतिम चरण में पहुंच गया है।
मुगल शहंशाह अकबर ने फतेहपुर सीकरी में गुजरात विजय के बाद बुलंद दरवाजा का निर्माण कराया था। इसमें रेड सैंड स्टोन और बफ स्टोन के साथ सफेद और काले संगमरमर का इस्तेमाल किया गया है। 400 वर्षो से अधिक यह पत्थर मौसम की मार ङोलते खराब होने लगे थे। खराब होते पत्थरों को मजबूती देने के लिए एएसआइ की रसायन शाखा ने बुलंद दरवाजा के केमिकल प्रिजर्वेशन का काम जनवरी में शुरू किया।
दरवाजे के दोनों ओर के पत्थरों पर विशेष रसायनिक लेप लगाया गया। पत्थरों पर सिलिकॉन प्रोडक्ट्स की कोटिंग की गई। इससे पत्थरों पर सुरक्षा परत चढ़ गई है। इससे क्षरण रुकेगा और 8-10 वर्ष तक उन पर काम कराने की आवश्यकता नहीं होगी।
गुजरात विजय के उपलक्ष्य में बनवाया था
एप्रूव्ड टूरिस्ट गाइड एसोसिएशन के अध्यक्ष शमसुद्दीन बताते हैं कि मुगल शहंशाह अकबर ने बुलंद दरवाजा का निर्माण गुजरात विजय के उपलक्ष्य में वर्ष 1601-02 में कराया था। यह जमीन से 54 मीटर ऊंचा और 27 मीटर से अधिक चौड़ा है। यह एशिया का सबसे ऊंचा और दुनिया का सबसे चौड़ा दरवाजा है। दरवाजे पर बाहर की तरफ कुरान की आयतें लिखी हैं। अंदर की तरफ अकबर का लिखवाया हुआ संदेश ‘दुनिया एक पुल है, जिसे पार कर जाना है।..’ उत्कीर्ण है।