Vocal For Local: आगरा के ब्रश की चीन के बाजार पर सर्जिकल स्ट्राइक, 80 फीसद बाजार में कब्जा
Vocal For Local हर दिन हो रहा करीब साढे़ सात लाख ब्रश का उत्पादन। चीन को टक्कर देते हुए बनाए जा रहे सस्ते ब्रश।
आगरा, गौरव भारद्वाज। कोरोना संक्रमण के चलते अभी उद्योग धंधे पटरी पर आने की तरफ बढ़ रहे हैं, वहीं ताजनगरी का ब्रश उद्योग रफ्तार पकड़ चुका है। कोरोना में साफ-सफाई पर लोगों का खास जोर होने के चलते टॉयलेट ब्रश, वाइपर, प्लास्टिक झाडू की डिमांड बढ़ी है। इस काम से जुडे़ कारीगर और मजदूरों को भी रोजगार मिल रहा है।कोरोना काल में साफ-सफाई पर विशेष ध्यान देने की बात की जा रही है। इसका फायदा यहां के ब्रश उद्योग को मिला है। अनलॉक में जब सब उद्योगों को फिर से खड़ा करने के लिए प्रयास हो रहे थे, उस समय ब्रश उद्योग में काम शुरू हो गया था। ब्रश कारोबारी रजनीश गुप्ता ने बताया कि लॉकडाउन में कारोबार बंद रहा। ऐसे में दैनिक इस्तेमाल में आने वाले ब्रश, वाइपर की सप्लाई नहीं हो पाई। जब अनलॉक हुआ तो इन आइटम की डिमांड आई। ऐसे में ऑर्डर आने शुरू हो गए। ऑर्डर के चलते उत्पादन भी पूरी क्षमता से शुरू हो गया। तीन माह में ब्रश उद्योग पुरानी रफ्तार पर लौट आया है।
हर दिन बन रहे साढे़ सात लाख ब्रश
ताजनगरी में करीब 250 छोटी-बड़ी ब्रश बनाने वाली इकाई हैं। औसतन एक इकाई में एक दिन में तीन हजार ब्रश बनाए जाते हैं। एेसे में एक दिन में करीब साढे़ सात लाख ब्रश तैयार होते हैं। आगरा के ब्रश की डिमांड पूरे देश में है। ब्रश कारोबारी शैलेंद्र गुप्ता ने बताया कि यहां के ब्रश वर्मा, नेपाल, पाकिस्तान, श्रीलंका, भूटान भी जाते हैं। अनुमान के मुताबिक ब्रश इंडस्ट्री का सालाना कारोबार करीब 500 करोड़ रुपये का है।
40 हजार लोगों को मिल रहा रोजगार
ताजनगरी में ब्रश बनाने का काम घर-घर में पहुंच गया है। आगरा की ब्रश इंडस्ट्री ने करीब 40 हजार लोगों को रोजगार दिया है। इसमें बड़ी संख्या में महिलाएं भी शामिल हैं। कोई ब्रश का हैंडल में छेद करता है तो कोई हैंडल में ब्रश लगाने का काम कर रहा है। ताजनगरी के नुनिहाई, प्रकाश नगर, नरायच, टेढ़ी बगिया, किशनलाल का नगला, नगला छउआ में घर-घर में ब्रश बनाने का काम होता है। एक दिन में घर पर काम करके लोग 300 रुपये तक कमा रहे हैं।
चीन को भी दी मात
साफ-सफाई के लिए ब्रश की जरूरत पड़ती है। ऐसे में भारत में बनने वाले ब्रशों की कीमत ज्यादा होती थी। इसका फायदा उठाते हुए चीन ने ब्रश बाजार में अपनी घुसपैठ बना ली। ब्रश कारोबारी अरुन जैन ने बताया कि यहां पर ब्रश बनाने का काम तो बहुत पहले से हो रहा है, लेकिन चाइना के सस्ते ब्रश के चलते दिक्कतों का सामना करना पड़ता था। चार-पांच साल पहले यहां के कारोबारियों ने चीन को टक्कर देने का रास्ता निकाला। चीन से ब्रश बनाने की मशीन मंगाना शुरू कर दिया। जो काम पहले घंटों में होता था वो जल्दी होने लगा। लागत भी घट गई। वर्तमान स्थिति में ब्रश बाजार में 80 फीसद आगरा का माल है। चार साल में बाजार से चीनी ब्रश साफ हो गए हैं।
ब्रश उद्योग एक नजर में
ब्रश बनाने की छोटी-बड़ी इकाई - 250
हर दिन ब्रश का उत्पादन - 6 लाख
ब्रश बनाने में लगे कारीगर - 40 हजार
सालाना कारोबार - करीब 500 करोड