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चंबल नदी की बाढ़ में तबाह हो गया उमरैठा पुरा

एक सप्ताह से ग्रामीण टीलों पर शरण लेने को मजबूर नहीं पहुंची प्रशासनिक मदद घरों में आठ से 10 फीट तक भर गया था पानी अब कीचड़ से रहना भी मुश्किल

By JagranEdited By: Published: Wed, 11 Aug 2021 06:20 AM (IST)Updated: Wed, 11 Aug 2021 06:20 AM (IST)
चंबल नदी की बाढ़ में तबाह हो गया उमरैठा पुरा

जागरण टीम, आगरा। चंबल नदी में आई बाढ़ के बाद जलस्तर उतरने के साथ ही ग्रामीणों की मुश्किलें बढ़ने लगी हैं। उमरैठा पुरा तबाह हो चुका है। यहां घरों में पानी भरा हुआ है और लोग टीलों पर टेंट में शरण लिए हुए हैं। उनका कहना है कि फिलहाल घर पहुंचना आसान नहीं है। लौटते समय पानी दलदल छोड़ गया है। इसके साथ ही बदबू से बुरा हाल है।

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उमरैठा पुरा की आबादी 1500 है। चंबल नदी के तलहटी से करीब तीन किलोमीटर दूर बसा यह गांव काफी नीचाई पर है। इसलिए हर वर्ष चंबल नदी का जलस्तर बढ़ते ही ग्रामीणों की धड़कनें बढ़ जाती हैं। चार अगस्त को नदी का जलस्तर 128 मीटर के करीब पहुंचा तो ग्रामीण सन्न रह गए। नदी के पानी ने समूचे गांव को चपेट मे ले लिया। 150 घरों में आठ से 10 फीट तक पानी घुस गया। झोपड़ियां तेज बहाव में बह गई। मजबूरन ग्रामीणों को टीलों पर जाकर टेंट में शरण लेनी पड़ी। वर्तमान में चंबल नदी का जलस्तर 125 पर है। इस गांव के घरों से पानी तो निकल गया है लेकिन कीचड़ से बुरा हाल है। पूरा गांव में कीचड़ और दलदल है। फसलें बर्बाद हो चुकी हैं। उमस व गर्मी के कारण इन घरों में फिलहाल रहना संभव नहीं है। ग्रामीणों ने फागिंग कराकर सफाई कराने की मांग की है। इनके मकान हुए जर्जर, रहना जानलेवा

बाढ़ से उमरैठा पुरा में जनवेद सिंह, भूरी सिंह, बेताल सिंह, मलखान सिंह, किशन सिंह, रामप्रसाद, डिबटी सिंह, संजू सिंह, कप्तान, रमेश चंद्र, छोटेलाल, हिम्मत सिंह, सुभाष, रामसेवक, सुरेश सिंह, सूबेदार सिंह, धारा सिंह, विजय सिंह, बालकराम समेत करीब 60 लोगो के घर जर्जर हो चुके हैं। इनमें रहना जानलेवा है। बाढ से प्रभावित हुई फसले

चंबल की बाढ से पुरा उमरेठा के ग्रामीणो की करीब 300 बीघा में की गई फसल प्रभावित हुई है। ग्रामीणों के मुताबिक उन्होंने बाजरा और तिल की खेती की थी लेकिन बाढ़ ने उनके अरमानों पर पानी फेर दिया। हर बर्ष चंबल नदी में बाढ़ आती है। इससे तमाम लोगों के घर डूब जाते हैं। प्रशासन को हमें ऊंचाई पर आवास की सुविधा उपलब्ध करानी चाहिए।

टिकू सिह, क्षेत्रीय ग्रामीण बाढ़ के पानी से घर टूट चुका है। इसकी मरम्मत के लिए भी पैसा नहीं है। टेंट में आखिर कब तक जीवन यापन होगा। बच्चे परेशान हो रहे हैं।

बनवारी लाल, क्षेत्रीय ग्रामीण प्रशासन की ओर से हमें किसी भी तरह की मदद नहीं मिली है। भगवान भरोसे ही हमारी गाड़ी चल रही है। अब तक राजस्व कर्मी भी नुकसान का जायजा लेने नहीं आए।

रामसेवक, क्षेत्रीय ग्रामीण पिछली बार भी हम समेत कई ग्रामीणों के घर पानी में डूब गए थे। काफी नुकसान हुआ। अधिकारियों से शिकायत की लेकिन मुआवजा आज तक नहीं मिला है।

बिजेंद्र सिंह, क्षेत्रीय ग्रामीण


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