Covid ने बदल दी दुनिया, वायरस ने छीन लिया पति, विधवा के सामने पति के स्वाभिमान और बेटे के भविष्य को संवारने की चुनौती
शाहगंज के रहने वाले अरुण शर्मा की कोरोना से नौ मई को हुई थी मौत। मां को है साढ़े तीन साल के मासूम बेटे के भविष्य की फिक्र। पत्नी अपने पैरों पर खड़े होकर बच्चे का करना चाहती हैं लालन पालन।
आगरा, जागरण संवाददाता। एक ओर पति के मरने के बाद उसके स्वाभिमान को बरकरार रखने की चुनौती तो दूसरी ओर साढ़े तीन साल के मासूम बेटे के भविष्य की फिक्र। कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर के प्रकोप ने 28 साल की विधवा को दोराहे पर लाकर खड़ा कर दिया है। उच्च शिक्षित विधवा को नौकरी की जरूरत है। इससे कि अपने पैरों पर खड़ी हो सकें। आर्थिक रूप से सशक्त होकर बेटे के भविष्य को बेहतर बना सकें।
शाहगंज के मुरली विहार के रहने वाले 29 साल के अरुण शर्मा एक फैक्ट्री में नौकरी करते थे। परिवार में पत्नी पारुल शर्मा व साढ़े तीन साल का बेटा है। वह पिता रविंद्र पाल शर्मा के साथ एक छत के नीचे रहते थे। पिता सेवानिवृत्त वायुसेना कर्मी हैं। उन्होंने बताया कि पुत्र स्वाभिमानी था।उनसे कभी एक रुपये की मदद नहीं ली। वह पिता से यही कहते, मुझे बस आपके प्यार की जरूरत है। अरुण ने अपनी पत्नी को भी यही सीख दी।
पिता ने बताया 27 अप्रैल को अरुण को बुखार के साथ सांस लेने में दिक्कत हुई। वह बेटे को अस्पताल ले गए, वहां बताया कि कोराेना के लक्षण हैं। शाम को उसे शाहगंज में साकेत कालोनी के अस्पताल में भर्ती करा दिया। वहां उसका इलाज चलता रहा। इसी दौरान मां में भी कोरोना के लक्षण आने पर उन्हें भी अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा। नौ मई को आक्सीजन का स्तर कम होने से अरुण की मौत हो गई। इससे परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा।
पारूल ने बताया फिलहाल उनकी व बेटे की जिम्मेदारी उनकी मां व ससुर मिलकर उठा रहे हैं। उन्होंने बीए बीएड किया हुआ है। इसलिए अपने पैरों पर खड़ा होना चाहती हैं। उन्हें एक नौकरी की जरूरत है, इससे कि आर्थिक रूप से सशक्त होकर बेटे के साथ स्वाभिमान की जिंदगी जी सकें।
पिता से वीडियो कॉल पर बात करने की जिद करता है बेटा
साढ़े तीन साल का बेटा पिता को याद करके रोता है। मां बहाना बनाकर यह कहती हैं पिता आफिस गए हैं तो वह वीडियो कॉल पर बात कराने की जिद करने लगता है। मां पारुल को उसे चुप कराने के लिए हर दिन कोई बहाना बनाना पड़़ता है।
मरने से दो दिन पहले लिखी थीं दो लाइन
पिता रविंद्र पाल शर्मा ने बताया कि अरुण को पहले कम गंभीर मरीजों वाले वार्ड में रखा गया था। पांच मई को स्टाफ ने उन्हें गंभीर मरीजों वाले आइसीयू वार्ड में शिफ्ट कर दिया। इस पर उन्होंने मुलाकात करने गई बहन को एक पर्ची दी, इसमें लिखा कि मुझे ऊपर से नीचे नहीं आना था। इसके कुछ घंटे बाद दूसरी पर्ची दी, इसमें लिखा था कि आज चार आदमी खत्म हो गए हैं, क्यों खत्म हो गए हैं। इसके दो दिन बाद ही अरुण ने भी दम तोड़ दिया।