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शरद पूर्णिमा पर धवल पोशाक पहन बांकेबिहारी ने धारण की अधरों पर वंशी

साल में एक ही दिन वंशी धारण कर दर्शन देते हैं आराध्य। खीर और चंद्रकला का प्रसाद किया अर्पित। भक्तों का सैलाब उमड़।

By Prateek GuptaEdited By: Published: Wed, 24 Oct 2018 03:31 PM (IST)Updated: Wed, 24 Oct 2018 03:31 PM (IST)
शरद पूर्णिमा पर धवल पोशाक पहन बांकेबिहारी ने धारण की अधरों पर वंशी
शरद पूर्णिमा पर धवल पोशाक पहन बांकेबिहारी ने धारण की अधरों पर वंशी

आगरा [जेएनएन]: शरद पूर्णिमा पर बुधवार को श्रीधाम वृंदावन में भोर की पहली किरण से ही आस्था का समंदर बहता नजर आया। सुबह से ही मंदिरों में उल्लास का माहौल था। श्रद्धालुओं का भारी हुजूम शरद के इस उत्सव का साक्षी बनने को वृंदावन पहुंचा हुआ है। भक्तों को इंतजार था तो बस अपने ठाकुर जी के अलौकिक दर्शनों का।

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सुबह जब मंदिरों में बेशकीमती श्वेत वस्त्रों में ठाकुरजी ने भक्तों को दर्शन दिए तो हर ओर बस राधै- राधै की ही गूंज सुनाई दी। मोरमुकुट कटि काछनी और अधरों पर मुरली धारण किए ठा. बांकेबिहारी जी स्वर्ण सिंहासन पर विराजमान हुए तो भक्तों के जयकारों से मंदिर परिसर गुंजायमान हो उठा।

वहीं सायंकाल मंदिर के जगमोहन में विराजमान ठाकुरजी पर आसमान से चंद्रमा की धवल चांदनी की रोशनी भी भक्तों को आनंदित करेगी। शरद पूर्णिमा की रात ठाकुरजी को श्वेत चंद्रकला और खीर का प्रसाद विशेष रूप से अर्पित किया जाएगा। भक्तों की भारी भीड़ को देखते हुए मंदिर प्रबंधन ने दोनों वक्त के दर्शनों के लिए एक- एक घंटे का समय बढ़ा दिया है।

शरद पूर्णिमा पर श्वेत वस्त्रों में महारास की पोशाक धारण किए ठाकुरजी शहर के हर मंदिर में दर्शन दे रहे हैं। भगवान के इस मनोहारी झांकी के दर्शनों को श्रद्धालुओं ने एक मंदिर से दूसरे मंदिर दौड़ लगानी पड़ रही है। राधादामोदर मंदिर, राधारमण, राधाश्यामसुंदर, गोविंद देव, गोपीनाथ, मदनमोहन, गोकुलानंद मंदिर के अलावा करीब पांच हजार मंदिरों में ठाकुरजी महारास लीला के स्वरूप में भक्तों को दर्शन दे रहे हैं।

श्रद्धालुओं ने लगाई पंचकोसीय परिक्रमा

कृष्ण कृपा धाम में चल रहे शरद उत्सव में सुबह महामंडलेश्वर स्वामी ज्ञानानंद के सान्निध्य में हजारों श्रद्धालुओं ने पंचकोसीय परिक्रमा की। परिक्रमा में श्रद्धालुओं की सोहनी सेवा लोगों को मुग्ध कर गई। स्वच्छता का संदेश देने के लिए श्रद्धालुओं में हाथ में झाड़ू पकड़ परिक्रमा में सोहनी सेवा की। इस दौरान मिट्टी और कीचढ़ उठाने में भी श्रद्धालुओं ने संकोच नहीं किया। हिसार से आई ऊषा अरोड़ा ने बताया कि ब्रज के कण-कण में भगवान का वास होता है। ऐसे में यहां की मिट्टी मोक्ष दायनी है। यहां सोहनी सेवा कर जीवन सफल बनाना हर मनुष्य का उद्देश्य होता है।


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