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इस मुहूर्त और विधान से जागेंगे देव तो वर्षभर होगा मंगल ही मंगल

देवउठनी एकादशी सोमवार को है। चार मास के बाद जागेंगे देव। शुभ कार्य के लिए हैं अबूझ मुहूर्त।

By Prateek GuptaEdited By: Published: Sun, 18 Nov 2018 06:42 PM (IST)Updated: Sun, 18 Nov 2018 06:42 PM (IST)
इस मुहूर्त और विधान से जागेंगे देव तो वर्षभर होगा मंगल ही मंगल
इस मुहूर्त और विधान से जागेंगे देव तो वर्षभर होगा मंगल ही मंगल

आगरा [तनु गुप्ता]: उठो देव, बैठो देव, पावडिय़ा चटकावो देव..जैसे लोकगीतों की गूंज के मध्य सोमवार को चार मास से सोये देव जागेंगे और मंगल काज संवारेंगे। जी हां सोमवार को देवउठनी या प्रबोधिनी एकादशी है। धर्म वैज्ञानिक पंडित वैभव जोशी के अनुसार देवउठनी या देवोत्थान एकादशी के दिन ही आषाढ़ शुक्ल पक्ष की देवशयनी एकादशी को क्षीर सागर में शयन के लिए गए भगवान श्री हरि विष्णु जागते हैं।

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क्या है शुभ मुहूर्त

पंडित वैभव जोशी बताते हैं कि इस वर्ष देवउठनी एकादशी पर देवों जगाने का पारण मुहूर्त सुबह 06: 47: 17 बजे से 08:55:00 बजे तक  का है। 2 घंटे 7 मिनट के मध्य पूजन किया जा सकता है।

क्या है व्रत एवं पूजन विधि

पंडित वैभव जोशी बताते हैं कि इस दिन भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा होती है। भगवान विष्णु से जागने का आह्वान किया जाता है। इस दिन सुबह-सुबह उठकर स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें और भगवान विष्णु का ध्यान कर व्रत का संकल्प लें। घर के आंगन में भगवान विष्णु के चरणों की आकृति बनाएं लेकिन सूप में चरणों को ढक दें।

इसके बाद एक ओखली में गेरू से चित्र बनाकर मिठाई, ऋतुफल और गन्ना रखकर डलिया से ढक दें। इस दिन रात्रि में घरों के बाहर और पूजा स्थल पर दीये जलाए जाते हैं। शाम की पूजा में सुभाषित स्त्रोत पाठ, भगवत कथा और पुराणादि का श्रवण व भजन आदि गाया जाता है। पूरे परिवार के साथ भगवान विष्णु और अन्य देवी-देवताओं की पूजा करें। इसके बाद भगवान को शंख, घंटा-घडिय़ाल आदि बजाकर उठाना चाहिए। मंत्र जाप के बाद प्रसाद अर्पित करें।

करें इन मंत्रों का जाप

उत्तिष्ठ गोविन्द त्यज निद्रां जगत्पतये।

त्वयि सुप्ते जगन्नाथ जगत् सुप्तं भवेदिदम्॥

उत्थिते चेष्टते सर्वमुत्तिष्ठोत्तिष्ठ माधव।

गतामेघा वियच्चैव निर्मलं निर्मलादिश:॥

शारदानि च पुष्पाणि गृहाण मम केशव।

तुलसी के आठ नामों से मिलेगा अक्षय पुण्य

पंडित वैभव बताते हैं कि अधिकांश घरों में विराजित मां तुलसी के आठ नामों का मंत्र या सीधे आठ नाम देवउठनी एकादशी के दिन बोलने से भगवान विष्णु के साथ मां लक्ष्मी भी प्रसन्न होती है।

मंत्र

वृन्दा वृन्दावनी विश्वपूजिता विश्वपावनी। पुष्पसारा नन्दनीच तुलसी कृष्ण जीवनी।।

एतभामांष्टक चैव स्रोतं नामर्थं संयुक्तम। य: पठेत तां च सम्पूज् सौऽश्रमेघ फललंमेता।।

तुलसी के आठ नाम

 पुष्पसारा, नन्दिनी, वृंदा, वृंदावनी, विश्वपूजिता, विश्वपावनी, तुलसी और कृष्ण जीवनी।

तुलसी पूजन में आवश्यक चीजें

तुलसी पूजा के लिए घी दीपक, धूप, सिंदूर, चंदन, नैवेद्य और पुष्प अर्पित किए जाते हैं। पंडित वैभव जोशी के अनुसार रोजाना पूजन करने से घर का वातावरण पूरी तरह पवित्र रहेगा। इस पौधे में कई ऐसे तत्व भी होते हैं जिनसे कीटाणु पास नहीं फटकते।

इन बातों का रखें विशेष ध्यान

- तुलसी के पौधे के चारों तरफ स्तंभ बनाएं।

-फिर उस पर तोरण सजाएं।

- रंगोली से अष्टदल कमल बनाएं।

- शंख, चक्र और गाय के पैर बनाएं।

-तुलसी के साथ आंवले का गमला लगाएं।

 -तुलसी का पंचोपचार सर्वांग पूजन करें।

 - श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं वृन्दावन्यै स्वाहा, इस दशाक्षरी मंत्र से तुलसी का आवाहन करें।

- तुलसी को वस्त्र अंलकार से सुशोभित करें।

 - फिर लक्ष्मी अष्टोत्र या दामोदर अष्टोत्र पढ़ें।

- तुलसी के चारों ओर दीपदान करें।

- एकादशी के दिन श्रीहरि को तुलसी चढ़ाने का फल दस हजार गोदान के बराबर है।

- जिन दंपत्तियों के यहां संतान न हो वो तुलसी नामाष्टक पढ़ें।

- तुलसी नामाष्टक के पाठ से न सिर्फ शीघ्र विवाह होता है बल्कि बिछुड़े संबंधी भी करीब आते हैं।

- नए घर में तुलसी का पौधा, श्रीहरि नारायण का चित्र या प्रतिमा और जल भरा कलश लेकर प्रवेश करने से नए घर में संपत्ति की कमी नहीं होती।

- नौकरी पाने, कारोबार बढ़ाने के लिये गुरुवार को श्यामा तुलसी का पौधा पीले कपड़े में बांधकर, ऑफिस या दुकान में रखें। ऐसा करने से कारोबार बढ़ेगा और नौकरी में प्रमोशन होगा।

- दिव्य तुलसी मंत्र:

देवी त्वं निर्मिता पूर्वमर्चितासि मुनीश्वरै: । नमो नमस्ते तुलसी पापं हर हरिप्रिये ।। श्री तुलस्यै विद्महे। विष्णु प्रियायै धीमहि। तन्नो वृन्दा प्रचोदयात्।।

तुलसी श्रीर्महालक्ष्मीर्विद्याविद्या यशस्विनी।

धर्म्या धर्मानना देवी देवीदेवमन: प्रिया।।

लभते सुतरां भक्तिमन्ते विष्णुपदं लभेत्।

तुलसी भूर्महालक्ष्मी: पद्मिनी श्रीर्हरप्रिया।।

- 11 बार तुलसी जी की परिक्रमा करें।


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