Cashless Treatment: कैशलैश ट्रीटमेंट फार यूपी टीचर्स ट्रेंड हुआ हिट, शिक्षकों ने खूब किया ट्वीट
Cashless Treatment संक्रमित शिक्षकों को बेहतर और सस्ता इलाज दिलाने की मांग। कैशलैस इलाज की मांग इंटरनेट मीडिया पर कर रही ट्रेंड। जिले के निजी अस्पतालों में हेल्थ इंश्योरेंस होने के बाद भी कैश ही मांगा जा रहा है।
आगरा, जागरण संवाददाता। कोरोना संक्रमण से जिले का काफी नुकसान हुआ। बेसिक शिक्षा विभाग में जहां 30 शिक्षक, कर्मचारी व अधिकारियों की मौत इसके चलते हो चुकी है, तो वहीं माध्यमिक शिक्षा विभाग में यह संख्या 20 तक जा पहुंची है। सैकड़ों शिक्षक व कर्मचारी अब भी संक्रमण से जूझ रहे हैं, लेकिन उन्हें इलाज के लिए लाखों रुपये निजी अस्पतालों में फूंकने पड़ रहे हैं। इस कारण शिक्षक कैशलैश ट्रीटमेंट की मांग को समर्थन दे रहे हैं।
दरअसल जिले के निजी अस्पतालों में हेल्थ इंश्योरेंस होने के बाद भी कैश ही मांगा जा रहा है। इससे शिक्षकों की सालों की बचत इलाज में खर्च हो रही है। उन्हें सरकारी व सस्ता इलाज नहीं मिल पा रहा। इसके कारण इंटरनेट मीडिया पर हैशटैग कैशलैट ट्रीटमेंट फार यूपी टीचर्स लगातार ट्रेंड कर रहा है। परिषदीय और माध्यमिक शिक्षकों में कोरोना काल में राशन वितरण, स्कूल और पंचायत चुनाव ड्यूटी के कारण संक्रमित हुए अपने साथियों को खोने और प्रशासनिक व्यवहार से को लेकर आक्रोश है। इससे व्यथित शिक्षकों ने अपना दर्द ट्विटर व इंटरनेट मीडिया पर व्यक्त करने की राह चुनी। बता दें कि अकेले आगरा जिले में दो दर्जन से अधिक शिक्षकों की कोरोना संक्रमण से मौत हो चुकी है।
मिले सस्ता इलाज
शिक्षकों का कहना है कि सरकार ने राज्य कर्मचारियों को निश्शुल्क मेडिकल सुविधा व चिकित्सा सुविधा प्रतिपूर्ति की व्यवस्था की है। लेकिन सरकारी संसाधन कम है, निजी अस्पतालों में स्वास्थ्य सेवाएं अत्यधिक महंगी है, इसलिए उन्हें कैशलैश इलाज मिलना चाहिए। वह सरकारी नौकरी करते हुए संक्रमित हुए। ऐसे में उन्हें भी सरकारी, सस्ता व अच्छा इलाज उपलब्ध कराया जाना चाहिए क्योंकि वह सरकारी नौकरी करते हुए संक्रमित हुए।