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हर बस्ती में साहूकार और कर्जदार, एक बार फंस गए ब्‍याज के चक्रव्‍यूह में तो भेदना है मुश्किल

गैर लाइसेंसी साहूकारों के कर्ज के जाल में हजारों मजदूर। शहर की ज्यादातर बस्तियों में चलता है ब्याज का काम। आधार कार्ड और दो हस्‍ताक्षर युक्‍त चेक लेकर देते हैं ब्‍याज पर रुपया। वसूलने को गुंडे भी रहते हैं तैयार।

By Prateek GuptaEdited By: Published: Mon, 28 Sep 2020 04:43 PM (IST)Updated: Mon, 28 Sep 2020 05:09 PM (IST)
हर बस्ती में साहूकार और कर्जदार, एक बार फंस गए ब्‍याज के चक्रव्‍यूह में तो भेदना है मुश्किल
साहूकार के उत्‍पीड़न से तंग आकर खुदकशी का प्रयास करने वाला जूता कारीगर दीपक।

आगरा, अली अब्‍बास। शाहगंज के ग्यासपुरा में साहूकार के कर्ज के जाल में फंसकर परिवार समेत खुदकुशी की कोशिश करने वाले जूता कारीगर के मामले ने शहर की बस्तियों में फैले कर्ज के जाल को सामने ला दिया है। शहर की बस्तियों में रहने वाले हजारों जूता कारीगर और कारखानों में काम करने वाले मजदूर साहूकारों के जाल में फंसे हुए हैं। गैर लाइसेंसी साहूकारों के ब्याज का चक्रव्यूह उन्हें मकड़ी के जाल की तरह चारों ओर से घेर लेता है। वह जितना इससे निकलने की कोशिश करते हैं, उतना ही उलझते जाते हैं। शहर के शाहगंज, लोहामंडी, जगदीशपुरा, न्यू आगरा, मंटाेला, रकाबगंज, सदर, ताजगंज की बस्तियों में जूता कारीगरों और मजूदरों की संख्या सबसे ज्यादा है।

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जाटव महापंचायत के अध्यक्ष धर्मपाल सिंह के मुताबिक शहर में दो लाख से ज्यादा मजदूर किसी न किसी रूप में जूता उद्योग से जुड़े हैं। ये मजदूर फैक्ट्री, कारखाने और ठेके पर काम करते हैं। फैक्ट्री और कारखाने अधिकांश मजदूरों को महीने की जगह सप्ताह में भुगतान करते हैं। आमदनी कम होने के चलते मजदूरों को परिवार के लिए आपात स्थिति में अक्सर कर्ज की जरूरत पड़ जाती है।

शहर में लाइसेंसी साहूकारों की संख्या करीब एक दर्जन है। जबकि गैर लाइसेंसी साहूकारों की संख्या सैकड़ों में बतायी जाती है। आपात स्थिति में अपनी जरूरतों के लिए मजदूर बस्ती के ही गैर लाइसेंसी साहूकारों के पास जाते हैं। वह मजदूरों को अपनी शर्तो पर कर्ज देते हैं। इसका ब्याज दस से 15 फीसद तक होता है। इसके लिए उनका अाधार कार्ड, हस्ताक्षर किए दो चेक, सौ रुपये का एक स्टांप पेपर लेकर आसानी से कर्ज दे देते हैं। समय पर ब्याज न चुका पाने पर मजदूर उनके जाल में फंसता चला जाता है।

किस्त में 24 घंटे देरी, ब्याज पर दस फीसद पेनाल्टी

साहूकार के ब्याज का मीटर तेजी से घूमता है। इसे इस तरह से समझें, मजदूर ने एक लाख रुपये कर्ज दस फीसद ब्याज पर लिया। इसके दस हजार रुपये ब्याज की किस्त उसे महीने की पांच तारीख को चुकानी है। अगर यह किस्त वह छह तारीख को देगा तो उसे दस हजार रुपये ब्याज पर दस फीसद अर्थात एक हजार रुपये पेनाल्टी देनी होगी। किस्त जितने दिन लेट होगी, एक हजार रुपये रोज के हिसाब से पेनाल्टी लगती जाएगी।

एक नजर

-शहर की आबादी 20 लाख

-शहर के 100 वार्ड में मोहल्लाें की संख्या पांच हजार

-जूता कारोबार से जुड़े लोगों की संख्या पांच लाख

-जूता कारीगरों की संख्या दो लाख से ज्यादा

-फल-सब्जी की फड़ और ठेलों की संख्या करीब सात हजार

प्रशासन के साथ मिलकर गैर लाइसेंसी साहूकारों को चिन्हित किया जाएगा। पुलिस उनके खिलाफ कार्रवाई करेगी।

बबलू कुमार, एसएसपी


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