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Corona Warriors: टूटती सांसों को जिंदगी की डोर पकड़ाने की मुहिम, आगरा का ये व्‍यक्ति खुद बन गया ऑक्‍सीजन कॉल सेंटर

अस्पताल में भर्ती कोरोना संक्रमितों के स्वजन को आक्सीजन सिलिंडर के लिए भटकने से रहे बचा। आक्सीजन प्लांट और उसकी उपलब्धता की जानकारी से कर रहे अपडेट। उनकी यह छोटी सी कोशिश लोगों का समय और व्यर्थ की भागदौड़ दोनों बचा रही है।

By Prateek GuptaEdited By: Published: Wed, 28 Apr 2021 09:20 AM (IST)Updated: Wed, 28 Apr 2021 09:20 AM (IST)
Corona Warriors: टूटती सांसों को जिंदगी की डोर पकड़ाने की मुहिम, आगरा का ये व्‍यक्ति खुद बन गया ऑक्‍सीजन कॉल सेंटर
झुग्‍गी के बच्‍चों के साथ आगरा के नरेश पारस। फाइल फोटो

आगरा, जागरण संवाददाता। अस्पतालों में भर्ती अपने लोगों की जिंदगी को आक्सीजन देने की कोशिश में लोगों को भटक रहे हैं। शहर में जहां भी आक्सीजन सिलिंडर मिलने की उम्मीद दिखाई दे रही है, लोग वहां भाग रहे हैं। गंभीर कोरोना संक्रमितों की टूटती सांसों को बचाने के लिए स्वजन आक्सीजन सिलिंडर की तलाश में दर-दर भटकने को मजबूर हैं। ऐसे में सामाजिक कार्यकर्ता नरेश पारस उनकी मदद कर रहे हैं। वह आगरा और उसके आसपास के जहां आक्सीजन प्लांट लगे हैं, जहां आक्सीजन मिलती है। इन केंद्रों में आक्सीजन की उपलब्धता के बारे में इंटरनेट मीडिया पर लगातार अपडेट दे रहे हैं। इससे कि इस मुश्किल वक्त में लोगों का एक-एक मिनट कीमती है, उन्हें भटकना न पड़े। उनकी यह छोटी सी कोशिश लोगों का समय और व्यर्थ की भागदौड़ दोनों बचा रही है।

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जगदीशपुरा के नगला अजीता निवासी नरेश पारस करीब दो दशक से सामाजिक कार्यों से जुड़े हैं। विशेषकर बच्चों के अधिकारों की लड़ाई के लिए जाने जाते हैं। कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर में अस्पतालों में लोगों को आक्सीजन से कई लोगों की सांसे टूट चुकी हैं। अस्पतालों में भर्ती मरीजों के लिए उनके स्वजन आक्सीजन सिलिंडर की तलाश में भटकता देखा। उन्हें लगा कि लोगों को सही जगह जहां आक्सीजन मिल रही है, वहां भेजना जरूरी है। इससे कि मरीज को समय पर आक्सीजन मिल सके। वहीं लोगों को भी भटकना न पड़े।

इसके लिए उन्होंने 23 अप्रैल को आगरा और उसके अासपास उन आक्सीजन प्लांट वह केंद्रों की सूची तैयार की। इन सबके फोन नंबर लिए। इसके बाद सामाजिक कार्यकर्ताओं की मदद से वहां की वास्तविक स्थिति की अपडेट ली। इससे कि जहां वास्तव में आक्सीजन मिल रही है, वहां पर ही लोगों को भेजा जा सके। इसके लिए उन्हेांने इंटरनेट मीडिया का सहारा लिया। विभिन्न वाट्सएप ग्रुप में पल-पल की जानकारी अपडेट कर रहे हैं। इससे लोगों को सही जगह पर पहुंचने में मदद मिल रही है। नरेश पारस कहते हैं उनका यह छोटा सा प्रयास तब सार्थक लगता है, जब सिलिंडर मिलने के बाद लोग उन्हें धन्यवाद का मैसेज भेजते हैं।

हर दिन आती हैं 700 से ज्यादा काॅॅल

नरेश पारस बताते हें आक्सीजन सिलिंडर कहां मिल रहा है, इस बारे में जानने के लिए उनके पास प्रतिदिन 700 से ज्यादा काॅॅल आ रही हैं। वह कोशिश करते हैं कि सभी काॅल रिसीव करके लोगों को जानकारी दे सकें। महामारी के इस समय में लोगों की किसी भी रूप में जरा सी मदद कर सकें, यही उनकी कोशिश है।

पुलिस-प्रशासनिक कार्यालयों से भी आए फोन

आक्सीजन सिलिंडर की उपलब्धता को लेकर फोन करने वालों में सिर्फ आम लोग नहीं हैं। उनके अलावा पुलिस-प्रशासनिक अधिकारियों के कर्मचारी भी शामिल हैं। सरकारी विभाग के लोगों की भी प्रतिदिन दर्जनों काल आती हैं।

विदेशों से भी आ रहे फोन

नरेश पारस ने बताया कि आक्सीजन के लिए मदद के लिए फोन करने वालों में विदेशों से आने वाले फोन भी हैं। इनमें बोत्सवाना, इंग्लैंड, अमरीका से भी फोन आए। अप्रवासी भारतीयों के स्वजन यहां पर अस्पताल में भर्ती हैं। विदेश में बैठे स्वजन ने उनकी मदद के लिए उनसे संपर्क किया। 


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