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BSP: 23 दिन बाद ही बसपा ने आगरा के जिलाध्यक्ष के पद पर किया बदलाव, एससी को छोड़, ओबीसी पर लगाया दांव

BSP पार्टी सुप्रीमो मायावती के निर्देश पर यह बदलाव किया गया है। विक्रम सिंह को 24 नवंबर को हटा दिया।इतने कम समय में जिलाध्यक्ष बदलने पर पार्टी में चर्चाओं का बाजार गर्मा गया है। कई तरह के सवाल खड़े किए जा रहे हैं।

By Tanu GuptaEdited By: Published: Thu, 25 Nov 2021 02:29 PM (IST)Updated: Thu, 25 Nov 2021 02:29 PM (IST)
BSP: 23 दिन बाद ही बसपा ने आगरा के जिलाध्यक्ष के पद पर किया बदलाव, एससी को छोड़, ओबीसी पर लगाया दांव
आगरा में बनाए गए ओबीसी से जिलाध्यक्ष धीरज कुमार बघेल।

आगरा, जागरण संवाददाता। आगामी विधानसभा चुनाव की तैयारियों के बीच बहुजन समाज पार्टी ने अपने जिलाध्यक्ष पद पर बदलाव किया है। विक्रम सिंह को बदलकर धीरज कुमार बघेल को जिलाध्यक्ष बनाया है। विक्रम सिंह का 22 दिन बाद ही विकेट गिर गया। पार्टी ने उन पर भरोसा नहीं जताया। अब एससी वर्ग के जिलाध्यक्ष को छोड़ पार्टी ने ओबीसी वर्ग के जिलाध्यक्ष पर दांव लगाया है। जिलाध्यक्ष पद पर फेरबदल को लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म है।

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बसपा ने विमल कुमार वर्मा को हटाकर एक नवंबर को विक्रम सिंह को जिलाध्यक्ष बनाया था। जिलाध्यक्ष बनने के साथ ही वह सक्रिय हो गए थे। जिले के प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र के बूथ पदाधिकारियों से वह मिल भी नहीं पाए थे, उससे पहले ही पार्टी ने पद मुक्त कर दिया। आगरा मंडल के मुख्य कोर्डिंनेटर गोरेलाल ने बताया कि पार्टी सुप्रीमो मायावती के निर्देश पर यह बदलाव किया गया है। विक्रम सिंह को 24 नवंबर को हटा दिया।इतने कम समय में जिलाध्यक्ष बदलने पर पार्टी में चर्चाओं का बाजार गर्मा गया है। कई तरह के सवाल खड़े किए जा रहे हैं। पार्टी पदाधिकारियों में चर्चा है कि कुछ सीटों पर प्रत्याशी चयन को लेकर संगठन में एकराय नहीं हो पा रही थी, इस पर जिलाध्यक्ष पर गाज गिरी है। हालांकि विक्रम सिंह पार्टी के पुराने कार्यकर्ता हैं। वह विभिन्न पदों पर रह चुके हैं। इसके बाद भी उन्हें हटा दिया गया। बता दें कि जिले की कई सीटों पर बसपा का दबदबा रहता है। ऐसे में इस पार्टी में टिकट के दावेदारों की लंबी लाइन रहती है। वर्ष 2017 में भले ही बसपा कोई सीट नहीं जीत पाई थी लेकिन इससे पहले वर्ष 2012 और 2007 के चुनाव में जिले की नौ सीटों में से पार्टी के छह-छह प्रत्याशी चुनाव जीत चुके हैं। वहीं, वर्ष 2002 और 1996 के चुनाव में भी बसपा के दो-दो प्रत्याशी चुनाव जीत चुके हैं। 


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