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Murder of a family in Etha: कौन है पत्थर दिल जिसके मासूमों को मारते नहीं कांपे हाथ

मौत के तांडव से पहले बिजली काटकर कर दिया था अंधेरा। एक ही बेड पर पड़े थे दोनों बच्चे तकिया भी लगा था।

By Prateek GuptaEdited By: Published: Sun, 26 Apr 2020 09:47 AM (IST)Updated: Sun, 26 Apr 2020 10:17 AM (IST)
Murder of a family in Etha: कौन है पत्थर दिल जिसके मासूमों को मारते नहीं कांपे हाथ
Murder of a family in Etha: कौन है पत्थर दिल जिसके मासूमों को मारते नहीं कांपे हाथ

एटा [अनिल गुप्ता]। मुहल्ला श्रंगार नगर की गली नंबर 3 में एक ही परिवार के पांच सदस्यों की मौत के बाद मातम पसरा है। सबके मन में एक ही सवाल है कि आखिर कैसे यह सब हो गया, कौन है वो पत्थर दिल जिसके दो मासूमों को मारते हाथ नहीं कांपे। चारों तरफ से बंद मकान में मौत का तांडव शुरू होने से पहले अंधेरा कर दिया गया था।

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लॉकडाउन के दौरान एक ही परिवार के पांच सदस्‍यों की शनिवार को हुई हत्‍या के बाद घटनास्‍थल का मंजर रूह कंपा देने वाला था। दोनों बच्चे आरुष और आरव एक ही बेड पर पड़े थे। दोनों के सिर के नीचे तकिया भी लगा था। मौत के बाद भी वे सोए हुए लग रहे थे। यह स्थिति देखकर लगता है कि मारने वाले ने उन्हें मौत के बाद ठीक तरह से लिटा दिया था। ऐसी ही स्थिति दिव्या की बहन बुलबुल की थी, जबकि घर के बुजुर्ग राजेश्वर प्रसाद पचौरी का शव जरूर थोड़ा अस्त-व्यस्त लग रहा था। अचंभित करने वाली बात यह है कि पांचों शव अलग-अलग पड़े मिले हैं। जैसे कि इन्हें इनके बिस्तरों पर जाकर मारा गया हो। जिसने भी बच्चों के शवों को देखा उसी की आंखें भर आईं, सब मारने वाले को कोस रहे थे।

किसी ने भी नहीं सुनी चीखने-चिल्लाने की आवाज

शहर के मुहल्ला श्रंगार नगर में एक ही घर में रातभर मौत नाचती रही, मगर पड़ोसियों को भी भनक नहीं लगी। मृतक राजेश्वर प्रसाद पचौरी के पड़ोसियों का कहना है कि किसी ने भी परिवार के किसी भी सदस्य के चीखने-चिल्लाने की आवाज नहीं सुनीं। दूसरी तरफ इस स्थिति को लेकर पुलिस को यह आशंका है कि मौत से पहले कहीं परिवार के सदस्यों को कुछ खिला-पिलाकर बेहोश तो नहीं किया गया है। इसके लिए भगोने में मिले दूध की जांच कराने के लिए नमूने लिए गए हैं।

दिव्या गेट के पास ही बरामदे में बिना बिस्तर वाली चारपाई पर पड़ी थी। मुंह से झाग निकल रहा था। पास में ही टॉयलेट साफ करने वाले हार्पिक की बोतल भी पड़ी थी। अगर उसने शोर मचाया होता तो निश्चित तौर पर पड़ोसियों को पता चल जाता। सवाल यह भी है कि परिवार के अन्य सदस्यों को मारा गया तो वे चीखे-चिल्लाए क्यों नहीं। हालांकि बच्चों की बात समझ में आती है कि उनकी आवाज शायद बाहर न पहुंची हो, मगर राजेश्वर और बुलबुल ने भी शोर नहीं मचाया। ऐसे में एक सवाल और सामने आ रहा है कि मौत से पहले परिवार के सदस्यों को बेहोश तो नहीं किया गया। यह पूरा मामला बिग मिस्ट्री बना हुआ है कई ऐसे सवाल हैं जिनके जवाब बिना सामने आए यह गुत्थी नहीं सुलझ सकती। पुलिस दिव्या की आत्महत्या की थ्यौरी पर भी चल रही है क्योंकि उसके हाथ की नस कटी हुई थी और मुंह से झाग निकल रहा था। हाथ की नस दिव्या ने स्वयं काटी या किसी और ने, यह जांच में स्पष्ट हो सकेगा।

बीटीसी कर रही थी बुलबुल

दिव्या की बहन बुलबुल बीटीसी कर रही थी। दिव्या का मायका हाथरस जिले के मुड़सान में है। रात के समय बुलबुल और दिव्या ने वीडियो कॉल कर अपने मायके वालों से भी बात की थी। इसके अलावा पति से भी बात हुई। घर में पांच सदस्य ही रहते थे। दिव्या के पति दिवाकर रुड़की में एक दवा कंपनी में कार्यरत है। लॉकडाउन से पहले एटा आए थे। इसके बाद परिवार की सिर्फ फोन पर ही बात होती थी। सुबह उन्हें फोन पर सूचना दी गई और पास की व्यवस्था की गई।

बच्चों के गले पर भी खून के निशान

बच्चों के गले पर खून के निशान मिले हैं। मारे गए एक ही परिवार के लोगों में से बच्चों की मां दिव्या के हाथ की नस कटी हुई थी और काफी खून बहा था इसलिए अभी माना जा रहा है कि कहीं दिव्या के खून के निशान तो बच्चों के गले पर नहीं हैं। फोरेंसिक टीम ने बच्चों के गले पर लगा खून और दिव्या कि खून के सैंपल लिए हैं। जांच रिपोर्ट आने के बाद ही पता चल सकेगा कि दोनों का खून एक है अथवा नहीं।

दिन में बच्चों के बाल कटवाए थे, लोगों से की थी खूब बातचीत

राजेश्वर प्रसाद पचौरी के पड़ोसियों ने बताया कि दिन में घर में सब कुछ सामान्य दिखाई दे रहा था। दिव्या ने शाम के वक्त पड़ोसियों से भी बातचीत की थी और स्वयं राजेश्वर प्रसाद काफी देर तक गली में टहलते रहे और लोगों से बात करते रहे। दिन में बाबा ने नाई को बुलाकर बच्चों के बाल कटवाए थे। उनके गांव में किसी की तेरहवीं थी। लॉकडाउन के कारण परिवार गांव नहीं पहुंच पाया, मगर भोजन आ गया था।


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