Hello Doctor: हर बार सांस का फूलना अस्थमा ही नहीं, ये भी हो सकती है वजह Agra News
अस्थमा ही नहीं खून की कमी से भी फूल रही सांस। हेलो डॉक्टर कार्यक्रम में एसएन के टीबी एंड चेस्ट डिपार्टमेंट के डॉ. गजेंद्र विक्रम सिंह ने दिए सुझाव।
आगरा, जागरण संवाददाता। सांस फूलने की समस्या अस्थमा, सीओपीडी और टीबी के मरीजों को ही नहीं होती, खून की कमी और हृदय रोग का लक्षण भी हो सकती है। ऐसे में डॉक्टर से परामर्श लेने के बाद ही कोई दवा लें। मौसम बदलने पर अस्थमा की समस्या बढ़ जाती है। दैनिक जागरण के हेलो डॉक्टर कार्यक्रम में एसएन के टीबी एंड चेस्ट डिपार्टमेंट के डॉ. गजेंद्र विक्रम सिंह ने पाठकों के सवालों के जवाब दिए।
सवाल: मौसम बदलने पर सांस फूलने लगती है और बलगम की समस्या भी हो रही है।
-चंद्रमोहन, आगरा
जवाब : यह अस्थमा के कारण हो सकता है, कुछ जांच की जाती हैं। इससे पता चल जाता है कि यह समस्या किस कारण से हो रही है, दवाओं से अस्थमा को नियंत्रित कर सकते हैं।
सवाल : टीबी का इलाज हो चुका है, अब सांस फूलती है।
-मदनलाल, मैनपुरी
जवाब : टीबी का संक्रमण होने पर फेफड़ों की आंतरिक संरचना में बदलाव हो जाता है, ऐसे केस में टीबी सही होने के बाद भी सांस फूलने की समस्या रहती है। इसके लिए अलग इलाज है।
सवाल : सांस फूलती है, दवा लेने से भी आराम नहीं है।
-रेखा आगरा, ओम प्रकाश सिंह चौहान कासगंज
जवाब : अस्थमा, सीओपीडी सहित फेफड़ों की समस्या के अलावा खून की कमी, हृदय रोग और मांसपेशियों में कमजोरी के कारण भी सांस फूलती है। डॉक्टर से परामर्श ले लें।
सवाल : सांस लेने में समस्या होती है, मौसम बदलने पर बढ़ जाती है।
-दिनेश मिश्रा, योगेंद्र सिंह, आगरा
जवाब : यह क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) के कारण हो सकता है। मौसम बदलने पर यह बढ़ जाता है, इसके लिए इन्हेलर सबसे अच्छा इलाज है।
सवाल : मौसम बदलने पर सर्दी जुकाम हो जाता है, सांस फूलने लगती है।
-हितेंद्र सिंह यादव, मैनपुरी
जवाब : यह एलर्जी के कारण हो सकता है, इसका इलाज करा लें। इलाज न लेने पर अस्थमा की समस्या हो सकती है।
जागरण के सवाल
सवाल : अस्थमा की समस्या क्यों बढ़ रही है?
जवाब : घर के अंदर धूल कण व घुन और बाहर वाहनों से प्रदूषण का स्तर बढ़ रहा है। इससे अस्थमा की समस्या बढऩे लगी है। इसी तरह से लोग जहां काम करते हैं, वहां भी प्रदूषण का स्तर अधिक होने से अस्थमा की समस्या हो रही है। बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक में यह समस्या देखने को मिल रही है। हालांकि, 80 फीसद अस्थमा की समस्या अनुवांशिक होती है।
सवाल : सीओपीडी क्या है, यह अस्थमा से कैसे अलग है?
जवाब : सीओपीडी में सांस की नलिकाएं सिकुड़ जाती हैं, यह सही नहीं हो सकता है। मौसम बदलने पर समस्या ज्यादा होती है, धूमपान करने वालों को यह समस्या हो सकती है। अस्थमा में सांस की नलिकाओं में सूजन आती है, यह कुछ समय के लिए होती है, इसके बाद ठीक हो जाती है।
सवाल : बच्चों में भी अस्थमा की बीमारी देखने को मिल रही है?
जवाब : अस्थमा के 88 फीसद केस में लक्षण पांच साल की उम्र में आ जाते हैं। इसमें जुकाम, खांसी और पसली चलने की समस्या मौसम बदलने पर होती है, यह कुछ दिन बाद ठीक हो जाती है। मगर, इसे सामान्य इन्फेक्शन समझते हैं। इसलिए समस्या बढ़ती जाती है।
सवाल : अस्थमा और सीओपीडी के मरीजों के लिए इलाज क्या है?
जवाब : अस्थमा और सीओपीडी को कंट्रोल किया जा सकता है। इसके लिए इन्हेलर सबसे अच्छी दवा है, इससे बहुत कम मात्रा में दवा सीधे फेफड़ों तक पहुंचती है।
सवाल : इन्हेलर के साइड इफेक्ट तो नहीं हैं, इसकी लत तो नहीं लग जाती?
जवाब : इन्हेलर से बहुत कम मात्रा में दवा सीधे फेफड़ों तक पहुंचती है, इसलिए साइड इफेक्ट नहीं हैं। लत भी नहीं लगती है। मगर, अस्थमा और सीओपीडी के मरीजों को बीमारी को रोकने के लिए उम्र भर इन्हेलर का इस्तेमाल करना होता है। दोनों बीमारियों में अलग अलग इन्हेलर इस्तेमाल किए जाते हैं। इसलिए डॉक्टर से परामर्श लेने के बाद ही इन्हेलर का इस्तेमाल करें।
एमबीबीएस - 1995 एसएन, मेडिकल कॉलेज
एमडी - 2005 केजीएमसी, लखनऊ
डॉ. गजेंद्र विक्रम सिंह, टीबी एंड चेस्ट डिपार्टमेंट, एसएन मेडिकल कॉलेज