भगवान ऋषभदेव से कोरोना से बचाने की कामना
अक्षय तृतीया पर भगवान ऋषभदेव को इक्षु रस अर्पित किया गया जैन मंदिरों में नहीं हुए आयोजन घरों में की श्रद्धालुओं ने आराधना
आगरा, जागरण संवाददाता। जैन समाज ने शुक्रवार को अक्षय तृतीया सादगी से मनाई। दिगंबर व श्वेतांबर जैन अनुयायियों ने अपने घर पर ही भगवान ऋषभदेव की आराधना कर उन्हें इक्षु रस अर्पित किया। वैश्विक महामारी कोरोना से बचाने की कामना की गई। लगातार दूसरे वर्ष जैन मंदिरों में कोई आयोजन नहीं हुए।
अक्षय तृतीया पर शांतिनाथ दिगंबर जैन मंदिर, हरीपर्वत में मुनि विशोक सागर महाराज ने प्रवचन दिए। उन्होंने कहा कि, वर्तमान में हुंडावसर्पिणी काल चल रहा है। इसमें आयु, ज्ञान आदि क्षीण हो रहे हैं। इसमें अनेक घटनाएं घटी हैं। भगवान ऋषभदेव (आदिनाथ) का जब जन्म हुआ था तब भोग भूमि का समाप्ति और कर्म भूमि का प्रारंभ काल था। उन्होंने षट्कर्म असि, मसि, कृषि, विद्या, शिल्प, वाणिज्य का ज्ञान दिया था। ज्योतिष शास्त्र में चैत्र नवमी, वैशाख शुक्ल तृतीया, अश्विन के शुक्ल पक्ष की दशमी, कार्तिक के शुक्ल पक्ष की एकादश को स्वयंसिद्ध मुहूर्त बताया गया है। इन तिथियों का विशेष महत्व है। कोरोना काल में हम आहार दान न कर पाएं तो अनुमोदन तो कर ही सकते हैं कि साधुओं का आहार निर्विघ्न हो। जैन दादाबाड़ी में अर्पित किया गया इक्षु रस
जैन दादाबाड़ी, शाहगंज में जैन श्वेतांबर मूर्तिपूजक श्रीसंघ की ओर से इक्षु रस (गन्ने का रस) भगवान ऋषभदेव को अर्पित किया गया। भगवान ऋषभदेव ने अनेक वर्षों तक राज करने के बाद सांसारिक जीवन त्याग दिया था। उन्होंने जीवनयापन के लिए खेती का सुझाव दिया था। इसके चलते बैलों को 12 घंटे तक भोजन नहीं मिलने का दोष उन्हें लगा, जिससे उन्हें एक वर्ष आठ दिन तक भोजन नहीं मिला। अक्षय तृतीया पर हस्तिनापुर में राजा श्रेयांश ने उन्हें इक्षु रस से पारणा कराया था, तभी से वर्षी तप शुरू हुआ। श्रीसंघ के अध्यक्ष राजकुमार जैन ने कहा कि वर्षी तप में एक दिन अन्न और एक दिन जल ग्रहण किया जाता है। यह क्रम पूरे वर्ष चलता है। सुनील कुमार जैन, महेंद्र जैन, विमल जैन, कमलचंद जैन, दिनेश गादिया, प्रतिभा गादिया, रजत गादिया ने भगवान ऋषभदेव से कोरोना से बचाने को प्रार्थना की।