Move to Jagran APP

तीर्थनगरी बटेश्वर के कण-कण में समाया है इतिहास

अज्ञातवास के दौरान पांडवों ने बटेश्वर-शौरीपुर में रहकर की थी सैन्य तैयारी

By JagranEdited By: Published: Fri, 19 Nov 2021 06:15 AM (IST)Updated: Fri, 19 Nov 2021 06:15 AM (IST)
तीर्थनगरी बटेश्वर के कण-कण में समाया है इतिहास
तीर्थनगरी बटेश्वर के कण-कण में समाया है इतिहास

सत्येंद्र दुबे, आगरा। बाह से 12 किलोमीटर उत्तर दिशा में यमुना नदी के किनारे बाबा भोलेनाथ की नगरी तीर्थ बटेश्वर धाम। यह कृष्ण भगवान के पूर्वज राजा सूरसेन की राजधानी रही। यमुना किनारे महादेव मंदिरों की अद्भुत श्रंखला। शौरीपुर स्थित ऐतिहासिक जैन मंदिर। भगवान नेमिनाथ की गर्भ व जन्म स्थली का गौरव हासिल है। जहां सतयुग, त्रेता और द्वापर युग का इतिहास छिपा हुआ है।

loksabha election banner

यहां हर साल कार्तिक माह में विशाल पशु व लोक मेले का आयोजन होता है। पूर्णिमा पर विशेष स्नान यहां लाखों श्रद्धालुओं का आना होता है। पुराणों में उल्लेख है कि महाभारत काल में वासुदेव की बरात बटेश्वर से मथुरा गई थी। श्रीकृष्ण द्वारा कंस का वध किए जाने के बाद उसका शव बटेश्वर में यमुना नदी के किनारे जिस स्थान से टकराया। उसे कंस कगार के नाम से जाना गया। अज्ञातवास के दौरान पांडवों ने भी सैन्य तैयारी बटेश्वर-शौरीपुर में रहकर ही की थी। बटेश्वर शेरशाह सूरी का भी आक्रमण केंद्र रहा है। उसने यहां पर किले भी बनवाए थे। पानीपत के तीसरे युद्ध में वीरगति को प्राप्त हुए हजारों मराठों की स्मृति में मराठा सम्राट मारू शंकर ने बटेश्वर में एक विशाल मंदिर बनवाया था, जो उनकी वीरगाथा अब भी सुना रहा है। इस मंदिर में वीर योद्धाओं को दीप जलाकर श्रद्धांजलि दी जाती थी। दीपक रखने के निशान आज भी यहां देखे जा सकते हैं। अ‌र्द्धचंद्राकार नदी के तट पर मंदिर श्रृंखला का नजारा अलौकिक

यमुना नदी पश्चिम से पूरब दिशा की ओर बहती है लेकिन बटेश्वर नगरी में यह पूरब से पश्चिम दिशा की ओर बहती हुई बटेश्वर का चक्कर लगाती है। यह आकृति अ‌र्द्धचंद्राकार का रूप लेती हुई बह रही है। कार्तिक पूर्णिमा में चंद्रमा का प्रकाश जब तट पर बनी 101 महादेव मंदिरों की श्रंखला पर पड़ता है तो मंदिरों का प्रतिबिंब यमुना में स्पष्ट झलकता है। यह अलौकिक पल श्रद्धालुओं को रोमांचित करता है। हालांकि अब दर्जनों मंदिर व घाट ध्वस्त हो चुके हैं, कुछ गिरासू हैं। लोक मेले के दौरान इसकी साफ सफाई व रंगाई पुताई जिला पंचायत ही कराती है। मेले के बाद इनकी देखभाल करने वाला कोई नहीं।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.