Bakrid 2020: दी जाएगी कोरोना और लॉकडाउन की कुर्बानी, डाइट प्लान से बनाया जा रहा तंदरुस्त
Bakrid 2020 इस बार कुर्बानी सलमान और सुल्तान की नहीं बल्कि कोरोना और लॉकडाउन की होगी।
आगरा, जागरण संवाददाता। कोरोना को मुस्लिम समाज के लोग ईद पर कुर्बान कर देंगे। लॉकडाउन को भी हलाल करेंगे। दरअसल, शनिवार को ईद-उल-अजहा है। मुस्लिम समाज के लोग ईद की नमाज के बाद बकरों की कुर्बानी देंगे। इस बार कुर्बानी सलमान और सुल्तान की नहीं, बल्कि कोरोना और लॉकडाउन की होगी। लोगों ने अपने बकरों के नाम कोरोना और लॉकडाउन रख लिए हैं। मंटोला के अदनान कुरैशी ने कोरोना के शुरूआती दौर में ही अपने दोनों बकरों के नाम कोरोना और लॉकडाउन रख दिए थे। उन्होंने पिछले वर्ष गोलू और मोनू की कुर्बानी की थी।
डॉक्टर ने बनाया डाइट प्लान
मंटोला निवासी बकरा पालक सलमान हर वर्ष सात बकरों की कुर्बानी देते हैं। इस बार भी सात बकरों का पालन-पोषण कर रहे हैं। बकरों का डाइट प्लान पशु चिकित्सक ने तैयार किया है। इन्हें पूरे दिन में आधा किलो चना, रातव, दो सौ ग्राम मक्का, जौ और शाम को एक लीटर गाय का दूध दिया जाता है।
इन बकरों की होती है मांग
बकरा व्यापारी हाजी जमालुद्दीन बताते हैं कि आगरा में हींग की मंडी और ईदगाह पर दो बड़ी बकरा मंडी लगती थीं। इस बार कोरोना संक्रमण के कारण मंडी नहीं लगी हैं। पालक गलियों में घूम-घूमकर बकरा बेच रहे हैं। ज्यादातर तोतापरी, जमनापरी की मांग है। इसके अलावा देसी बकरा भी खरीदा जा रहा है। आगरा में पहले फीरोजाबाद, भरतपुर, ग्वालियर, अलीगढ़, हाथरस के बकरा कारोबारी पहुंचते थे।
ये है कुर्बानी का असली मतलब
विद्वानों ने इस किस्से की व्याख्या में यह लिखा है कि हजरत इब्राहिम का यह कर्म उनके जज्बे को दर्शाता है और व्यक्ति का यही जज्बा खुदा तक पहुंचता है न कि किसी जानवर की कुर्बानी। कुरान में आता है कि खुदा तक तुम्हारी कुर्बानी नहीं पहुंचती बल्कि पहुंचती है व्यक्ति की परहेजगारी (22:37)। हज और ईद-उल-अजहा हजरत इब्राहिम और उनके परिवार द्वारा दी गई स्वयं की इच्छाओं की कुर्बानी को याद करने का ही दूसरा नाम है।