Bakrid 2020: ईद-उल-अजहा पर कुर्बानी से पहले पढ़ लें खबर, भूल से भी न करें इन चीजों का इस्तेमाल
Bakrid 2020 कुर्बानी का खून नालियों में बहाना गलत दफन करने का हुक्म। मौलाना रियासत अली ने कहा शरीयत के तरीके से करें कुर्बानी।
आगरा, जागरण संवाददाता। ईद-उल-अजहा पर कुर्बानी खास चीजों में शुमार है।यह हज पूरा होने के बाद खुशी में की जाती थी, लेकिन आपको पता है कि जिस पशु की कुर्बानी कर रहे हैंं। उसके बहुत सारे अंग हराम भी होते हैं। इनका इस्तेमाल करना बिल्कुल भी जायज नहीं है। अगर, इस्तेमाल करते हैं तो गुनाह के भागीदारी बन सकते हैं। इस्लाम में कुर्बानी का खून तक नालियों में बहाना गलत है, उसे दफन करने का हुक्म है। कुर्बानी के सिलसिले पर नामनेर मस्जिद के इमाम मौलाना रियासत अली बताते हैं कि कुर्बानी दिखावा करने का काम नहीं है।इस काम को शरीयत के हिसाब से करना जायज है।
कुर्बानी के पशु की ये हैं हराम चीजें
जिस पशु की बकरीद पर कुर्बानी दी जाती है उसके बहुत सारे अंग हराम भी होते हैं। जैसे पेट के अंदर की थैली (ओझड़ी), आंत यानी अंतड़ी, मसाना यानी पेशाब की थैली, खुशिए (अंडास), जकर (नर पशु का स्पेशल पार्ट), फर्ज (मादा पशु का स्पेशल पार्ट), रगों का खून, गोश्त का खून (जिबा के बाद निकली खून), दिल का खून, जिगर का खून, तिहाल यानी तिल्ली खून, पित (पित्ते होने वाला पीला पानी), गूदूध (गोश्ता का वह टुकड़ा जो बीमारी से खाल और गोश्त एक जगह हो जाता है) मग्ज (वह गूदा जो रीड़ की हड्डी में होता है), गर्दन के दोनों पठ्ठे, नाक की रतूबत, नुतसा यानी मनी (नर या मादा दोनों की), वह बच्चा गर्भ से मरा निकला हो। ये चीजें कुर्बानी के पशु की हराम होती है और बाकी चीजें हलाल होती हैं।
इनकी करें कुर्बानी
बकरीद पर कुर्बानी चार जानवरों की जा सकती है। इसमें बकरी-बकरा, भैंस-भैंसा, ऊट, दुंबा( भेड़) शामिल हैं। आगरा में अधिकांश बकरे की ही कुर्बानी दी जाती है।
कब से कब तक करें कुर्बानी
बकरीद पर सुन्नी समुदाय के लिए कुर्बानी करने का समय सुबह ईद की नमाज करने के बाद शुरू होता है और तीसरे दिन असर नमाज तक कर सकते हैं।