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इन चार बातों पर ध्यान देने से देश बनेगा मजबूत: बाबा रामदेव

रमणरेती में शुरू हुआ संतों का समागम बड़ी संख्या में जुटे संत। सुबह गणेशादि पूजन व कलश स्थापना रात को शास्त्रीय संगीत।

By Prateek GuptaEdited By: Published: Thu, 07 Mar 2019 08:07 PM (IST)Updated: Thu, 07 Mar 2019 08:07 PM (IST)
इन चार बातों पर ध्यान देने से देश बनेगा मजबूत: बाबा रामदेव
इन चार बातों पर ध्यान देने से देश बनेगा मजबूत: बाबा रामदेव

आगरा, जेएनएन। शिक्षा से विद्वान, शरीर से शक्तिमान, धन से धनवान, चरित्र से चरित्रवान। अगर बच्चा इन सभी बातों पर ध्यान देगा, तो हमारा भारत एक मजबूत राष्ट्र बनेगा। यह विचार योग गुरू बाबा रामदेव ने गुरुवार को महावन स्थित रमणरेती में आयोजित संग समागम के दौरान रखे। उन्होंने कहा कि यह जरूरी है कि बच्चों की बचपन से ही संस्कारों की नींव मजबूत की जाए।

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योगीराज भगवान श्रीकृष्ण की क्रीड़ा स्थली महावन के समीप रमणरेती आश्रम में गोपाल दास जयंती पर गुरुवार से 88वां महोत्सव मनाया जा रहा है। इसमें दूरदराज से आए महामंडलेश्वर व संतों का आगमन शुरू हुआ। संतों की वाणी का रसपान करने आए हजारों श्रद्धालु आनंद ले रहे हैं। देश विदेश से भक्तों ने शिरकत की है।

सुबह 7.30 बजे गणेशादि पूजन व कलश स्थापन किया गया। आठ बजे से अखंड श्रीमद्गोपाल विलास कीर्तन यज्ञ किया गया। 9.30 से दोपहर दो बजे तक व तीन से शाम पांच बजे तक संतों के प्रवचन व कीर्तन ने भक्तों को सराबोर कर दिया।

बाबा रामदेव ने कहा कि योग से व्यक्ति निरोग रहता है और 100 साल जीने की उम्मीद रखता है। पहले हम अपने आश्रम में आठ साल की उम्र के बच्चों को शिक्षा ग्रहण कराते थे। अब हमने परिर्वतन किया है। अब आश्रम में डेढ़ साल की उम्र के बच्चों को शिक्षा ग्रहण कराएंगे, जिससे बच्चा जन्म से वेदों का ज्ञान व सभी भाषाओं का ज्ञान अर्जित करना सीखेगा।

महामंडलेश्वर स्वामी राघवानंद ने कहा कि जब मनुष्य को ईश्वर की प्राप्ति नहीं होती है तो मनुष्य को संतों की संगत करनी चाहिए। संत समाज मनुष्य को सत्संग की राह दिखाता है। मलूक पीठाश्वर के महामंडलेश्वर राजेंद्र दास ने 'ठाकुर हमारे रमणबिहारी, हम हैं रमणबिहारी के, साधु सेवा धर्म हमारा काम न दुनियादारी से, अब चाहे हमको कोई बुरा कहे, हम हो गए रमणबिहारी के', भजन सुना कर भक्तों को भाव-विभोर कर दिया।

गीतामणि ज्ञानेंद्र दास महाराज, स्वामी पूर्णानंद, गोविंद देव, सुमेधानंद आदि संतों ने अपने अपने प्रवचनों से श्रद्धालुओं को कृतार्थ किया। देर शाम शास्त्रीय संगीत संध्या का आयोजन हुआ। 


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