CoronaVirus: जान है तो जहान है, आगरा में व्यापारियों ने लिया दो मई तक स्वैच्छिक लाॅॅकडाउन का फैसला
एक के बाद एक संगठन कर रहे हैं आगरा में स्वैच्छिक लाॅॅकडाउन की घोषणा। एक्मा और कागज व्यापार मंडल के सदस्य-पदाधिकारी दो मई तक बंद रखेंगे काम। इससे पहले कपड़ा व्यापारी और सर्राफा कारोबारी भी कर चुके हैं स्वैच्छिक बंदी। लोगों को काेरोना वायरस संक्रमण से बचाना है मकसद।
आगरा, जागरण संवाददाता। बढ़ते कोरोना संक्रमण के बीच अस्पतालों में बेड, आक्सीजन व अन्य संसाधनों की किल्लत में इलाज मुश्किल से मिल रहा है। ऐसे में घर में रहना ही सुरक्षित है। इस उद्देश्य से एक के बाद एक व्यापार व कारोबारी संगठन स्वैच्छिक बंदी की तरफ बढ़ रहे हैं। आगरा कपड़ा बाजार संगठन के बाद इंजीनियरिंग कंपोनेंट मैन्यूफैक्चरर्स एसोसिएशन (एक्मा) और आगरा कागज व्यापार मंडल ने दो मई तक स्वैच्छिक लाकडाउन का फैसला लिया।
एक्मा अध्यक्ष शलभ गर्ग और सचिव संजीव गर्ग ने बताया कि साप्ताहिक बंदी से कोरोना संक्रमण की चेन टूटी है। इसे देख संगठन ने तय किया है कि फाउंड्री नगर, नुनिहाई और रामबाग क्षेत्र के सभी कंपोनेंट फैक्ट्रियां सात दिन का स्वैच्छिक लाकडाउन करेंगी और दो मई तक फैक्ट्रियों में संपूर्ण शटडाउन रहेगा। संगठन ने यह निर्णय अपने, परिवार व कर्मचारियों के स्वास्थ्य को ध्यान रखते हुए लिया। संगठन के पूर्व अध्यक्ष अमित जैन ने बताया कि इस समय व्यापार से जरूरी ज्यादा सुरक्षित रहना है। साप्ताहिक बंदी के बाद हफ्ते भर की स्वैच्छिक बंदी की जा रही है।
कागज व्यापार मंडल की बंदी
आगरा कागज व्यापार मंडल के अध्यक्ष प्रदीप कुमार जैन और सचिव विवेक जैन ने बताया कि संगठन सभी कागज व्यवसायी सदस्यों से निवेदन करता है कि महामारी से जनसामान्य गंभीर रूप से प्रभावित है। कई लोग असमय काल के गाल में समा गए। इस विपत्ति में अपनी और परिवार की सुरक्षा सुनिश्चित करें। परिस्थितियां ऐसी है कि पैसा होने के बाद भी अस्पतालों में बेड, वैंटीलेटर और आक्सीजन व इलाज नहीं मिल पा रहा। इसलिए मंडल दो मई तक अपने प्रतिष्ठान बंद रखने का आह्वान करता है, क्योंकि जान है जहान है।