कोई क्यों ले निराश्रित गाय, गोशालाओं में कम दूध देने वाली गाय ज्यादा
कुपोषित परिवारों से बहुत कम आ रहे गाय लेने के लिए आवेदन। रंग नहीं ला पा रही सरकार की योजना। योजना के तहत लगभग 100 कुपोषित परिवारों को गाय लेने के लिए आवेदन किया था। अब तक दर्जनभर भी लाभार्थियों को गाय नहीं दी जा सकी हैं।
आगरा, जागरण संवाददाता। कुपोषित परिवारों को पुष्टाहार उपलब्ध कराने के उद्देश्य से शुरू की गई मुख्यमंत्री निराश्रित/बेसहारा गोवंश सहभागिता योजना परवान नहीं चढ़ पा रही। दरअसल, गोशालाओं में दूध कम देने वाली गाय कम हैं। ऐसे में कुपोषित परिवारों के आवेदन भी कम आ रहे हैं। अब तक दर्जनभर भी लाभार्थियों को गाय नहीं दी जा सकी हैं।
योजना के तहत लगभग 100 कुपोषित परिवारों को गाय लेने के लिए आवेदन किया था। लेकिन गोशालाओं में गायों की स्थिति देख वह भी गाय लेने के अब इच्छुक नजर नहीं आ रहे। पूर्व से संचालित मुख्यमंत्री निराश्रित/बेसहारा गोवंश सहभागिता योजना के तहत कोई भी व्यक्ति निराश्रित गाय ले सकता है। इसके तहत जिले में 198 लोगों को 633 गाय दी गई थीं। मगर, इसी साल सितंबर की शुरुआत में इस योजना का लाभ कुपोषित परिवारों को वरियता पर देने का निर्णय लिया गया। इसकी शुरुआत तो जोरशोर से की गई लेकिन उद्देश्य पर खरी नहीं उतर पाई। सरकार ने अब यह गाय कुपोषित बच्चों के परिवारों को भी उपलब्ध कराने का निर्णय लिया है, जिससे कि उनका खान-पान सुधारकर उनको कुपोषण से मुक्त कराया जा सके। उन्हें यह गाय सरकारी गोशालाओं के माध्यम से उपलब्ध कराई जाएगी। मगर, गोशालाओं में भी दूध देने वाली गाय हैं ही नहीं। दरअसल, पशुपालक गाय तभी छोड़ता है, वह दूध देने में असमर्थ होती है। इन्हीं गायों को गोशालाओं में लाया जाता है। ऐसे में इस योजना से लाभार्थियों को ज्यादा लाभ होता नहीं दिख रहा। हालांकि वर्तमान में गोवंश के भरन-पोषण के लिए पशुपालन को 30 रुपये प्रतिदिन प्रति पशु देने की व्यवस्था है। यानी एक गाय के भरन-पोषण के लिए महीने में 900 रुपये मिलेंगे।
फैक्ट
18 गोवंश संरक्षण केंद्र हैं जिले में
5300 गोवंश हैं सभी केंद्रों पर
1200 नंदी हैं नंदीशालाओं में