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बदलाव और आरोप, छह महीने में आंबेडकर विवि में जानिए हुआ क्या− क्या

Ambedkar University in Agra आंबेडकर विश्वविद्यालय में छह महीने में हुए कई बदलाव। पिछले साल जुलाई में प्रो. अशोक मित्तल को किया था कार्य विरत। उसके बाद प्रो. आलोक राय को सौंपी दी थी जिम्मेदारी। अब प्रो. विनय कुमार पाठक को कार्यवाहक कुलपति के रूप में नियुक्त किया है।

By Tanu GuptaEdited By: Published: Tue, 25 Jan 2022 05:12 PM (IST)Updated: Tue, 25 Jan 2022 05:12 PM (IST)
बदलाव और आरोप, छह महीने में आंबेडकर विवि में जानिए हुआ क्या− क्या
आंबेडकर विश्वविद्यालय में छह महीने में हुए कई बदलाव।

आगरा, जागरण संवाददाता। डा. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय में पिछले साल जुलाई से लेकर अब तक कई बदलाव हुए हैं। पिछले साल जुलाई में राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने निवर्तमान कुलपति प्रो. अशोक मित्तल को कार्यविरत करने के आदेश दिए। उसके बाद लखनऊ विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. आलोक राय को कार्यवाहक कुलपति बनाया और अब प्रो. अशोक मित्तल के बाद छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. विनय कुमार पाठक को कार्यवाहक कुलपति के रूप में नियुक्त किया है।

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प्रो. मित्तल की 2020 फरवरी में बतौर कुलपति नियुक्ति हुई थी। पांच जुलाई 2021 में राज्यपाल के निर्देशों पर अपर मुख्य सचिव महेश कुमार गुप्ता द्वारा उन्हें कार्य विरत करने का पत्र जारी किया गया। राजभवन को प्रो. मित्तल के खिलाफ भ्रष्टाचार, प्रशासनिक एवं वित्तीय अनियमितताओं सहित अन्य गंभीर शिकायतें प्राप्त हुई थीं। उन पर नियम विरूद्ध नियुक्तियां करना, आडिट आपत्तियों का अनुपालन पूर्ण न करना, उच्च नयायालय व अन्य लंबित प्रकरणों पर विश्वविद्यालय पर आवश्यक पैरवी/कार्यवाही न किया जाना, छात्रों को नियमित रूप से उनकी डिग्री न प्रदान करना, कर्मचारियों को अनावश्यक ओवरटाइम भत्ता दिया जाना, नियुक्तियों के संबंध में आवश्यक रोस्टर न तैयार किया जाना आदि आरोप लगाए थे। विश्वविद्यालय के अधिवक्ता डा. अरूण दीक्षित ने भी उनके खिलाफ शिकायत पत्र सौंपा था।

राज्यपाल ने सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में जांच समिति का गठन किया था, जिसके बाद पिछले साल अगस्त में प्रो. मित्तल उच्च न्यायालय चले गए थे। प्रो. मित्तल द्वारा दायर रिट में कहा गया है कि उन्हें कार्य विरत करने से पहले उनसे उनका पक्ष नहीं सुना गया। राज्य विश्वविद्यालय एक्ट के सेक्शन 12(13) के अनुसार आरोपों के बाद भी कुलपति को कार्य से विरत नहीं किया जा सकता है, आरोप सिद्ध होने तक वे कुलपति पद पर आसीन रह सकते हैं। कुछ आरोपों के आधार पर उनके खिलाफ कार्यवाही कर दी गई है। उच्च न्यायालय से उन्हें राहत नहीं मिली थी। जांच समिति दो बार विश्वविद्यालय आई थी, बयान लिए थे। राजभवन में रिपोर्ट सौंप दी थी। विगत 10 जनवरी को प्रो. मित्तल को राजभवन बुलाया गया था। जहां उन्होंने स्वेच्छा से त्याग-पत्र दिया, जिसे स्वीकार कर लिया गया था। इसके बाद उम्मीद थी कि आंबेडकर विश्वविद्यालय को जल्द ही स्थायी कुलपति मिल जाएगा। मगर, कुलाधिपति ने सोमवार को कानपुर के छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. विनय कुमार पाठक को कुलपति का अतिरिक्त प्रभार सौंप चर्चाओं को हवा दिखा दी है। 


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