चंबल नदी में घडि़याल और मगरमच्छ बढ़े या घट गए, पता चलेगा फरवरी में
फरवरी में शुरू होगी घड़ियालों की गिनती। पिछले साल मिले थे रिकार्ड 2176 घड़ियाल। मगरमच्छों और डाल्फिन की भी होगी गिनती। देश में सबसे अधिक घडि़याल चंबल नदी में ही पाए जाते हैं। फरवरी में धूप सेंकने आते हैं नदी से बाहर।
आगरा, प्रभजोत कौर। फरवरी में घड़ियालों की गिनती शुरू होगी। जनवरी में प्रजनन और नेस्टिंग के बाद फरवरी सबसे उपयुक्त महीना होता है। पिछले साल चंबल में घड़़ियालों की रिकार्ड संख्या दर्ज की गई थी। इस साल भी संख्या ज्यादा होने की संभावना है।
यूं तो घड़ियालों की प्रजाति हर उस नदी में पाई जाती है जो गंगा में जाकर मिलती है लेकिन चंबल नदी में घड़ियालाें की सबसे ज्यादा प्रजाति पाई जाती हैं। देश में सबसे अधिक घड़ियाल चंबल नदी में हैं। हर साल फरवरी माह में ही घड़ियालों की गिनती की जाती है क्योंकि इस महीने में तापमान न तो ज्यादा गर्म होता है न ही ठंडा। इसी महीने में यह बाहर निकलते हैं।
वर्ष 2020 में कम हो गई थी डॉल्फिन और घड़ियालों की संख्या
वर्ष 2020 में चंबल नदी के 435 किमी दायरे में की गई गणना में घड़ियाल और डाल्फिन की संख्या में गिरावट दर्ज की गई थी। वर्ष 2019 में 1876 घड़ियाल पाए गए थे, जबकि 2020 में यह संख्या 1859 रह गई थी। 2018 में चंबल नदी में 74 डाल्फिन मिलीं थीं। वर्ष 2019 में कोरोना के कारण सर्वे नहीं हुआ था। 2020 में गिनती हुई तो संख्या 68 ही रह गई थी। इसके बाद घड़ियालों, मगरमच्छों और डाल्फिन की संख्या में इजाफा होना शुरू हुआ था।
2021 में मिले थे रिकार्ड घड़ियाल
2021 में हुई गणना में चंबल में एक साल में 317 घड़ियाल बढ़े थे, जिससे संख्या 2176 हो गई थी। इसी तरह डाल्फिन की संख्या 82 हुई और मगरमच्छ की संख्या 710 से 886 हो गई थी। वर्ष 2008 में चंबल नदी में एक साथ 100 से ज्यादा घड़ियालों की मौत हुई थी। विदेशी विशेषज्ञों से जांच कराई गई थी, जिसमें मौत का कारण लिवर सिरोसिस बीमारी मानी गई थी।
आंकड़ों में देखें वृद्धि
वर्ष- घड़ियालों की संख्या
2012- 905
2013- 948
2014- 1088
2015- 1151
2016- 1162
2017- 1255
2018- 1681
2019- 1876
2020- 1859
2021- 2176
पिछले साल घड़ियालों, मगरमच्छों और डाल्फिन की संख्या में हुई वृद्धि से हम सभी खुश हैं। संभावना है कि इस साल भी संख्या ज्यादा होगी। इस समय सर्दी ज्यादा होने की वजह से घड़ियाल और मगरमच्छ नदी में नीचे चले जाते हैं। फरवरी में धूप सेंकने बाहर निकलेंगे।
- दिवाकर श्रीवास्तव, डीएफओ, चंबल आगरा रेंज