Move to Jagran APP

नीले रंग में रंगी साइकिल, कुचल न जाए कहीं यहां कमल, जानिये किस सीट पर खड़ी हुई मुश्किल

मैनपुरी लोकसभा सीट पर बड़े अंतर से जीतती रही है सपा, बसपा को भी मिलते हैं काफी वोट। भाजपा के लिए लगभग नामुमकिन हुई इतिहास रचने की राह, नई रणनीति को मंथन में जुटे नेता।

By Prateek GuptaEdited By: Published: Sun, 13 Jan 2019 11:55 AM (IST)Updated: Sun, 13 Jan 2019 11:55 AM (IST)
नीले रंग में रंगी साइकिल, कुचल न जाए कहीं यहां कमल, जानिये किस सीट पर खड़ी हुई मुश्किल
नीले रंग में रंगी साइकिल, कुचल न जाए कहीं यहां कमल, जानिये किस सीट पर खड़ी हुई मुश्किल

आगरा, दिलीप शर्मा। सपा परिवार के घर सैफई से सटी मैनपुरी लोकसभा सीट। 22 साल से सपा का एकछत्र राज्य। ऐसा वर्चस्व की मोदी लहर में भी मुलायम ङ्क्षसह ने भाजपा को साढ़े तीन लाख से ज्यादा वोटों के अंतर से हराया था। इस सीट पर बसपा भी पिछले चुनावों में डेढ़ से दो लाख वोट तक पाती रही है। इस सीट पर जीत हासिल कर इतिहास रचने के भाजपा के ख्वाब का पूरा होना अब सपा- बसपा गठबंधन के बाद लगभग नामुमकिन माना जा रहा है।

loksabha election banner

वर्ष 1996 के लोकसभा चुनाव में मुलायम ङ्क्षसह यादव ने जब पहली बार इस सीट से चुनाव लड़ा, उसके बाद से ही कोई दूसरा दल यहां सपा को चुनौती नहीं दे पाया। उस पहले चुनाव में जरूर भाजपा थोड़े नजदीकी मुकाबले में रही थी। तब मुलायम ङ्क्षसह 51 हजार वोटों के अंतर से जीते थे। इसके बाद हर चुनाव में सपा अपने विरोधियों को दो से साढ़े तीन लाख तक वोटों के बड़े अंतर से पछाड़ती रही। अब सपा और बसपा गठबंधन होने के बाद इस सीट पर गठबंधन प्रत्याशी की ताकत कहीं ज्यादा होगी। जिले में पिछड़ा वर्ग के मतदाताओं की संख्या सर्वाधिक करीब 40 फीसद है। इनमें भी यादव मतदाताओं की संख्या लगभग 33 फीसद मानी जाती है। इसके बाद 35 फीसद सर्वण मतदाता और लगभग 25 फीसद दलित मतदाता हैं। मतदाताओं के इस गणित के हिसाब से माना जा रहा है कि गठबंधन से जो भी प्रत्याशी मैदान में उतरेगा, उसकी जीत लगभग तय होगी।

गठबंधन की घोषणा के बाद भाजपाई भले ही इसे अप्रभावी बता रहे हों, लेकिन वोटों के इस समीकरण से वह भी बेचैन हैं। भाजपा के सूत्रों के मुताबिक अब तक पार्टी इस सीट पर जीत हासिल करने को पूरी ताकत झोंक रही थी। अब नई रणनीति तैयार की जा रही है। 

संकट में न फंस जाए प्रसपा

सपा-बसपा गठबंधन के बाद अब शिवपाल यादव की पार्टी प्रसपा के लिए भी संकट के बादल मंडराना शुरू हो गए हैं। सूत्रों के मुताबिक मैनपुरी में शिवपाल का व्यक्तिगत प्रभाव बहुत है, परंतु गठबंधन की मजबूती देखते हुए अब उनके दल में शामिल लोग दोबारा सपा की ओर जा सकते हैं। ऐसे में शिवपाल भी अपने संगठन पर निगाह गड़ाए हुए हैं।

बीते चार लोस चुनावों में वोटों का गणित

2014 उपचुनाव

दल, कुल वोट मिले

सपा, 6.53 लाख वोट

भाजपा, 3.32 लाख वोट मिले।

बसपा, चुनाव नहीं लड़ी

2014

सपा, 5.95 वोट मिले।

भाजपा, 2.31 लाख वोट मिले।

बसपा, 1.42 लाख वोट मिले।

2009

सपा, 3.92 लाख वोट मिले।

बसपा, 2.19 लाख वोट मिले।

भाजपा, 56265 वोट मिले।

2004 उप चुनाव

सपा, 3.48 लाख वोट मिले।

बसपा, 1.69 लाख वोट मिले।

भाजपा, 14544 वोट मिले।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.