सपा के गढ़़ में नया गुल खिलाएगी हाथी और साइकिल की जुगलबंदी, क्या रहेंगे नए समीकरण
सिरसागंज, शिकोहाबाद और जसराना को माना जाता है सपा का गढ़। टूंडला में बसपा काफी समय रही हावी, फीरोजाबाद में मुस्लिम वोट निर्णायक।
आगरा, जेएनएन। सूबे में 2019 के महासंग्राम के लिए सपा और बसपा के बीच हुए गठजोड़ के बाद सुहाग नगरी में भी समीकरण बदलने लगे हैं। जातीय और सामाजिक हालात बताते हैं कि साइकिल और हाथी की जुगलबंदी नया गुल खिलाएगी और इससे विरोधियों की राह और मुश्किल होगी।
कुछ महीनों बाद होने वाले लोकसभा चुनाव में जीत पक्की करने के लिए एक दूसरे की धुर विरोधी पार्टी सपा और बसपा में गठबंधन हो गया है। प्रदेश की करीब-करीब सभी सीटों का बंटवारा भी हो चुका है। फीरोजाबाद सपा का गढ़ है और पार्टी के राष्ट्रीय प्रमुख महासचिव प्रो. रामगोपाल यादव के पुत्र अक्षय यादव यहां से सांसद हैं। उनसे पहले सपा सुप्रीमो रहे मुलायम ङ्क्षसह यादव, उनके पुत्र पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और बहू ङ्क्षडपल यादव भी यहां से चुनाव लड़ चुकी हैं। 2014 में जब पूरे देश में मोदी लहर चल रही थी, तब भी सपा ने फीरोजाबाद से जीत हासिल की थी।
भाजपा यहां दूसरे और बसपा तीसरे नंबर पर रही थी। ऐसे में यदि सपा और बसपा मिलकर चुनाव लड़ेंगे तो उनकी जीत की राह आसान होगी। विश्लेषक जिले की पांच में से तीन विधानसभा सीटों सिरसागंज, शिकोहाबाद और जसराना विधानसभा को सपा का गढ़ मानते हैं। उधर टूंडला में बसपा का काफी वोट है। जबकि फीरोजाबाद शहर में मुस्लिम वोट निर्णायक की भूमिका निभाता है। नगर निगम चुनाव में मुस्लिम मतदाताओं ने एकजुट होकर इसका अहसास भी करा दिया था। तब मुस्लिम मतदाता सपा और बसपा में बंटे थे। ये फिर से एकजुट होकर किसी एक प्रत्याशी को वोट देंगे तो उसकी जीत की राह आसान हो जाएगी।
शिवपाल के चुनाव लडऩे पर संशय
प्रगतिशील सपा के स्थानीय नेता भले ही राष्ट्रीय संयोजक एवं पूर्व कैबिनेट मंत्री शिवपाल ङ्क्षसह यादव फीरोजाबाद से चुनाव लडऩे का दावा कर रहे हों, लेकिन इसकी अब तक औपचारिक घोषणा नहीं हुई है। यदि वह चुनाव लड़े तो पेच फंस सकता है। वजह है कि सपा के गढ़ में सपा के बागियों की संख्या भी काफी है और वे शिवपाल ङ्क्षसह का समर्थन कर रहे हैं।
20 साल से वनवास झेल रही भाजपा
फीरोजाबाद में लोकसभा चुनाव में भाजपा 20 साल से वनवास काट रही है। प्रभु दयाल कठेरिया के बाद यहां भाजपा के किसी प्रत्याशी को विजय नहीं मिली है। कठेरिया यहां से तीन बार सांसद निर्वाचित हुए थे।