श्रद्धा का सावन: हर दिशा में बम बोल, भोले की आराधना में सराबोर ताजनगरी Agra News
आगरा की चारों दिशाओं में हैं शिवालय। सावन के चारों सोमवार को मंदिरों पर लगते हैं मेले। उमड़ती है भक्तों की भीड़।
आगरा, आदर्शनदंन गुप्त। शिव की शक्ति, हर मन में भक्ति, जन-जन को करता पावन, ऐसा है मनभावन सावन। हर जन में उमंग भरने वाले इस सावन के महीने में शिव पूजा का विशेष महत्व है। आगरा, जहां शहर के चारों कोनों में कैलाश महादेव मंदिर, बल्केश्वर नाथ महादेव, राजेश्वरनाथ महादेव मंदिर, पृथ्वीनाथ महादेव मंदिर हैं, वहीं हृदय में श्रीमनकामेश्वर नाथ और रावली महादेव मंदिर विराजमान हैं। मान्यता है कि चारों कोनों पर स्थित शिवालय इस शहर की विभिन्न आपदाओं से रक्षा करते हैं।
सावन महीने में जहां पूरे महीने श्रद्धा और भक्ति का भाव रहता है, वहीं सोमवार को भगवान शंकर का विशेष पूजन किया जाता है। शहर के चारों कोनों पर स्थित शिवालयों में मेले आयोजित होते हैं। राजेश्वर, बल्केश्वर के मेले पिछले दो सोमवार को हो गए। इस सोमवार को कैलाश महादेव मंदिर पर विशाल मेला लगेगा। जिसकी तैयारियां तेजी से हो रही हैं। मंदिर मुख्य मार्ग से करीब तीन किलोमीटर अंदर यमुना के किनारे है, पर मेला सिकंदरा स्मारक पर लगता है। आगरा-मथुरा रोड पर सिकंदरा चौराहा के पास करीब आधा किलोमीटर मार्ग पर मेला लग रहा है। जहां झूले, खेल तमाशे वाले पहुंच चुके हैं।
कांवडिय़ों की कतार
वैसे तो सावन के हर सोमवार को आगरा के सभी शिव मंदिरों में कांवड़ चढ़ाई जाती हैं, लेकिन सावन के तीसरे सोमवार को कैलाश मंदिर पर कांवड़ चढ़ाने का अपना अलग ही महत्व है। यहां सोरों आदि से गंगाजल लाकर शिवलिंगों पर अर्पित किया जाता है। इस दिन कैलाश मंदिर के किनारे से गुजरने वाली यमुना में स्नान करना भी काफी शुभ माना जाता है। इसलिए श्रद्धालु मंदिर में शिवलिंगों के दर्शन करने से पहले यमुना में स्नान करते हैं।
अद्भुत व ऐतिहासिक हैं एक जलहरी में दो शिवलिंग
यमुना के सुरम्य तट पर बने इस देवालय का ऐतिहासिक महत्व भी है। यहां एक ही जलहरी में दो शिवलिंग हैं, ऐसे शिवलिंग बहुत ही कम दिखाई देते हैं। इन शिवलिंगों को महर्षि परशुराम और उनके पिता ऋषि जमदग्नि ने स्थापित किया था। ये शिवलिंग कैलाश पर्वत से लाए गए थे, इसलिए इस मंदिर का नाम भी कैलाश रख दिया। यमुना में बाढ़ के दौरान कई बार ऐसी स्थिति हुई है कि इन शिवलिगों को यमुना ने स्पर्श करने का प्रयास किया है। मान्यता है कि यह मंदिर पांच हजार वर्ष से भी अधिक पुराना है।
अंग्रेज कलक्टर ने घोषित किया था स्थानीय अवकाश
चारों महादेव मंदिरों के मेलों में केवल कैलाश मंदिर के मेले का स्थानीय अवकाश होता है। इसे एक अंग्रेेज कलक्टर ने घोषित किया था। अंग्रेजों के शासनकाल में एक कलक्टर थे, उनके कोई संतान नहीं थी। उन्होंने देश के तमाम मंदिरों व धर्मस्थलों पर पूजा की। देवी-देवताओं का मनाया, लेकिन मुराद पूरी नहीं हुई। कैलाश मंदिर पर विशेष पूजन कर भगवान शिव से संतान देने की प्रार्थना की। भगवान शंकर की कृपा से उन्हें संतान की प्राप्ति हुई। जिसके बाद से कलक्टर ने आगरा में कैलाश मेले वाले दिन स्थानीय अवकाश की घोषणा की थी।
शिव पूजन का विशेष महत्व
श्रावण मास में पूजा का विशेष महत्व है। महंत निर्मल गिरी ने बताया कि सावन मास में भगवान को शिव की पूजा अर्चना का विशेष महत्व होता है। इस मास में पूजा अर्चना करने से भगवान शिव सभी भक्तों की मनोकामना पूरी करते हैं। भगवान शिव को सावन में हर दिन बिल्वपत्र और गंगाजल चढाने से सभी मन्नत पूरी होती हैं। भगवान शिव का सोमवार को दुग्धाभिषेक करना अत्यंत महत्वपूर्ण माना गया है।
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