बोलते हैं इशारे, तूलिका जता देती भावनाएं, दुनिया से कदम मिलाने को तैयार
संकेत राजकीय मूक बधिर विद्यालय में दिव्यांगता और हुनर का है अनूठा संगम। 146 दिव्यांग छात्र-छात्राएं यहां पढ़ते हैं। शिक्षा के साथ दिया जा रहा यहां व्यवहारिक ज्ञान भी।
आगरा [कुलदीप सिंह]: वे बोलने-सुनने में भले ही दिव्यांग हैं, मगर अपनी बात कहने के मोहताज नहीं। उनके इशारे ही बोलते हैं। तूलिका के जरिए कागज पर वे जब वे अपनी भावनाएं उकेरते हैं तो एक-एक चित्रण उनकी संवेदनाओं को आवाज देता है। विजय नगर स्थित संकेत राजकीय मूक बधिर विद्यालय में दिव्यांगता और हुनर का ये अनूठा संगम देखने को मिलता है। यहां पर 146 दिव्यांग छात्र-छात्राएं हैं। कलम से काबिल तो इन्हें बनाया ही जा रहा है। आपस में बातचीत करनी हो या औरों से, संकेत और होठों की आकृति ही इनकी जुबां बनते हैं। विद्यालय की प्रधानाचार्य ममता सिंह बताती हैं कि बच्चों को स्कूल में साइन लैंग्वेज में बातचीत सिखाई जाती है। अजब इशारे, गजब पहचान नाम, व्यक्ति, स्थान, वस्तु आदि के लिए अपनी साइन लैंग्वेज है। इस लैंग्वेज के जरिए बच्चे आपस में बेहद ही सामान्य तरीके से बातचीत करना सीख जाते हैं। अगर किसी से चेहरे या शरीर के हिस्से पर कोई निशान या बड़े कान, बड़ी घड़ी या कुछ और खास पहचान हो तो उसी संकेत के माध्यम से उसकी पहचान की जाती है।
चित्र उकेरने के कलाकार
ये छात्र चित्रकला में माहिर हैं। पिछले दिनों एक प्रतियोगिता में छात्रों ने बेहतरीन प्रदर्शन किया था। बेटे को जगाती मां, तिरंगा फहराने, ट्रैफिक सिपाही, डाकिया के जीवंत चित्र बनाए थे।
ऑनलाइन के भी मास्टर
कंप्यूटर पर इनकी अंगुलियां थिरकती ही हैं, सोशल मीडिया पर भी ये अपनी दुनिया से जुड़े हुए हैं। वीडियो कांफ्रेस के माध्यम से दूर बैठे मित्रों से संपर्क रखते हैं। सरकारी नौकरी कर रहे यहां के विद्यार्थी:: 1956 से संचालित इस स्कूल से अब तक हजारों बच्चों पढ़ चुके हैं। कई बच्चे बड़े होकर विभिन्न विभागों में उच्च पदों तक पहुंचे हैं। स्कूल का छात्र सौरभ श्रीवास्तव वर्तमान में पीडब्ल्यूडी विभाग में कार्यरत हैं।